नई दिल्ली/गाजियाबाद: मुरादनगर श्मशान घाट हादसे के वक्त चार दोस्त घायलों की मदद करने के लिए फरिश्ता बनकर मौके पर पहुंचे. जहां उन्होंने समय रहते मदद करके 6 लोगों की जान बचा ली. मुरादनगर के उखलारसी गांव के श्मशान घाट में हुए हादसे के वक्त वहां से गुजर रहे चार दोस्तों ने अपनी सूझबूझ दिखाते हुए आसपास भागदौड़ करके छेनी-हथौड़ी और बाट (वजन तौलने वाला) की मदद से लेटर को तोड़कर घायलों को बाहर निकाला.
'लेंटर गिरने की बम जैसी थी आवाज'
ईटीवी भारत ने फरिश्ता की तरह मौके पर पहुंचकर लोगों की जान बचाने वाले चार दोस्तों से खास बातचीत की. मुरादनगर निवासी मोहम्मद समीर ने बताया कि रविवार दोपहर को वह श्मशान घाट के सामने से जा रहे थे. तभी अचानक उनको बम के धमाके जैसी एक आवाज सुनाई दी. जिसके बाद वह शमशान घाट की ओर दौड़े. जहां उन्होंने देखा कि 50 से 60 लोग लेंटर के नीचे दबे हुए हैं और वहां पर चीख-पुकार मची हुई है. इसके बाद उन्होंने अपने परिजनों को खबर देकर घायल लोगों को लेंटर के नीचे से निकाला और अपनी निजी गाड़ियों समेत एंबुलेंस से उन्हें अस्पताल भेजा.
मुरादनगर निवासी शादाब ने बताया कि उन्होंने लेंटर के नीचे से तकरीबन 32 लोगों को निकाला है. जिसमें अधिकतर लोगों की मृत्यु हो गई है और तत्काल मौके पर मदद मिलने से 6 लोगों की जान बच गई है. इसके बाद वहां मौजूद भीड़ की मदद से और भी लोगों को बाहर निकाला गया.
चश्मदीदों ने बताया कि हादसा होने के बाद उन्होंने तुरंत पुलिस और एंबुलेंस को फोन किया. घटना के 15 मिनट बाद पुलिस पहुंच चुकी थी. लेकिन एनडीआरएफ के पहुंचने से पहले ही स्थानीय लोग अधिकतर लोगों को लेंटर के नीचे से निकाल चुके थे.