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kisan Andolan : विजय दिवस मनाते हुए 11 दिसम्बर से बॉर्डर खाली करना शुरू करेंगे किसान - कृषि बिल के विरोध में किसान आंदोलन

दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान 11 दिसंबर से (delhi border farmers protest end) अपने घरों के लिए रवाना होंगे. किसान मोर्चा के नेताओं ने गुरुवार को बैठक में काफी मंथन करने के बाद यह फैसला लिया है. हालांकि इस दौरान सरकार की ओर से भी किसान मोर्चा के लिए एक पत्र आया था, जिसमें सरकार ने आंदोलन कर रहे किसानों की सभी मांगें मांनने का जिक्र किया है.

kisan Andolan khatm
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Published : Dec 9, 2021, 7:40 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने आंदोलन खत्म (farmers protest end) करने का एलान कर दिया है. संयुक्त किसान मोर्चा गाजीपुर बॉर्डर के प्रवक्ता और किसान नेता जगतार सिंह बाजवा के मुताबिक सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त करते हुए किसान मोर्चा ने घोषणा की है कि 11 दिसंबर को विजय दिवस (Farmers will celebrate Vijay Diwas) मनाते हुए बॉर्डर खाली करना शुरू करेंगे. सीडीएस विपिन रावत व अन्य जांबाज बहादुरों की शहादत पर देश की इस अपूरणीय क्षति को देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा स्वयं को भी देश की संवेदना के साथ जोड़ता है. इसे देखते हुए 10 दिसंबर को बॉर्डर पर कोई भी जशन आदि नहीं मनाया जाएगा.

15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक आयोजित की जाएगी जिसमें सरकार द्वारा किए गए वायदों की समीक्षा करते हुए अन्य किसानी मुद्दों पर भी विचार विमर्श किया जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा को सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि किसानों की सबसे बड़ी मांग MSP पर कमेटी (Committee will be formed on MSP ) बनाई जाएगी. आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मुकदमों को भी वापस ले लिया जाएगा. आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को भी मुआवजा दिए जाने की मांग पर मांग ली गयी है. इसके अलावा बिजली और पराली पर किसानों की मांगें मान ली गई हैं.

किसान नेता जगतार सिंह बाजवा

इसे भी पढ़ेंः Farmers Protest : किसान आंदोलन स्थगित, 11 दिसंबर से घर लौटेंगे आंदोलनकारी

इसे भी पढ़ेंः किसान आंदोलन का एक साल: कृषि कानूनों के बनने से वापस होने की पूरी कहानी


कृषि बिल के विरोध में किसान आंदोलन नाै अगस्त 2020 से शुरू हुआ था. सितंबर 2020 में बिल काे स्वीकृति मिलने के बाद आंदोलन गरमाया. नवंबर में किसान दिल्ली के बॉर्डर पर जम (Ghazipur border farmers protest) गए. उस समय किसानों ने तीनों कृषि बिल को निरस्त करने, एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने, पराली जलाने पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने, बिजली अध्यादेश 2020 को निरस्त करने, आंदोलन के दौरान मारे गए किसान के परिवार को मुआवजा देने और किसान नेताओं पर से दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग की थी. सरकार ने उनकी सारी मांगें मान लीं.

नई दिल्ली/गाजियाबाद : संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने आंदोलन खत्म (farmers protest end) करने का एलान कर दिया है. संयुक्त किसान मोर्चा गाजीपुर बॉर्डर के प्रवक्ता और किसान नेता जगतार सिंह बाजवा के मुताबिक सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त करते हुए किसान मोर्चा ने घोषणा की है कि 11 दिसंबर को विजय दिवस (Farmers will celebrate Vijay Diwas) मनाते हुए बॉर्डर खाली करना शुरू करेंगे. सीडीएस विपिन रावत व अन्य जांबाज बहादुरों की शहादत पर देश की इस अपूरणीय क्षति को देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा स्वयं को भी देश की संवेदना के साथ जोड़ता है. इसे देखते हुए 10 दिसंबर को बॉर्डर पर कोई भी जशन आदि नहीं मनाया जाएगा.

15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक आयोजित की जाएगी जिसमें सरकार द्वारा किए गए वायदों की समीक्षा करते हुए अन्य किसानी मुद्दों पर भी विचार विमर्श किया जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा को सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि किसानों की सबसे बड़ी मांग MSP पर कमेटी (Committee will be formed on MSP ) बनाई जाएगी. आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मुकदमों को भी वापस ले लिया जाएगा. आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को भी मुआवजा दिए जाने की मांग पर मांग ली गयी है. इसके अलावा बिजली और पराली पर किसानों की मांगें मान ली गई हैं.

किसान नेता जगतार सिंह बाजवा

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कृषि बिल के विरोध में किसान आंदोलन नाै अगस्त 2020 से शुरू हुआ था. सितंबर 2020 में बिल काे स्वीकृति मिलने के बाद आंदोलन गरमाया. नवंबर में किसान दिल्ली के बॉर्डर पर जम (Ghazipur border farmers protest) गए. उस समय किसानों ने तीनों कृषि बिल को निरस्त करने, एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने, पराली जलाने पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने, बिजली अध्यादेश 2020 को निरस्त करने, आंदोलन के दौरान मारे गए किसान के परिवार को मुआवजा देने और किसान नेताओं पर से दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग की थी. सरकार ने उनकी सारी मांगें मान लीं.

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