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29 नवंबर को संसद ट्रैक्टर मार्च के लिए तैयार रहें किसान: राकेश टिकैत

भाकियू कार्यकर्ता शुक्रवार काे नारे लगाते हुए मार्च पास्ट करने लगे. मंच के सामने से दिल्ली की ओर बढ़ चले. अचानक सैकड़ों की संख्या में किसानों को दिल्ली की ओर आता देख बैरिकेडस पर तैनात दिल्ली पुलिस सतर्क हो गई. दिल्ली पुलिस ने तुरंत मोर्चा संभाला और किसानों को जाने से रोकने के लिए खोले गए बैरिकेडस बंद कर दिए.

राकेश टिकैत
राकेश टिकैत
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Published : Nov 12, 2021, 8:59 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने के मौके पर 26 नवंबर को शक्ति प्रदर्शन और 29 नवंबर को संसद भवन पर ट्रैक्टर से कूच करने के लिए भाकियू नेता राकेश टिकैत (Farmer leader Rakesh Tikait) ने पदाधिकारियों को तैयार रहने का मंत्र दिया. गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur Border) पर दोपहर बाद समीक्षा बैठक हुई. इसके बाद कार्यकर्ताओं ने बॉर्डर पर मार्च निकाला और दिल्ली कूच का ऐलान किया. जिसके बाद दिल्ली की सीमा पर लगी बैरिकेडिंग पर किसान नारे लगाते हुए पहुंचे. हालांकि कुछ देर बाद ही कार्यकर्ता अपने कैंपों में लौटने लगे और इस मार्च को रिहर्सल बताया.

समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Farmer leader Rakesh Tikait) ने कहा कि आंदाेलन काे एक साल होने को (Kisan Andolan is about to be one year )है और सरकार किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है. बिना मांग मनवाए किसान बॉर्डर नहीं छोड़ेंगे, इसलिए अब सभी जिलों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता लंबे आंदोलन के लिए कमर कस लें. अपने-अपने टैंटों को दुरुस्त करें और खाने-पीने से लेकर सर्दी के मौसम में जरूरत के सामान के साथ बॉर्डर पर उपस्थिति सुनिश्चित करें.

इसे भी पढ़ेंः दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली बॉर्डर से आंदोलनकारी किसानों को हटाने की मांग खारिज की


किसान नेता राकेश टिकैत (Farmer leader Rakesh Tikait) ने कहा कि लड़ाई लंबी चलेगी क्योंकि सरकार किसानों को थकाना चाहती है और किसान थकने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट कंपनियों के हवाले एक बार फसलों का व्यापार हुआ तो किसान तबाह हो जाएगा और उसे घाटे के कारण खेतों को भी इन कंपनियों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. अब दो ही विकल्प किसानों के सामने हैं या तो खेती-बाड़ी इन कंपनियों के हवाले कर अपने ही खेत में मजदूर बन जाएं या इनका विरोध कर आने वाली पीढ़ियों के लिए इस खेती को सुरक्षित करें.

इसे भी पढ़ेंः राकेश टिकैत ने कंगना के बयान को बताया शहीदों का अपमान, कहा- पढ़ लेना चाहिए इतिहास


राकेश टिकैत ने कहा कि सरकारों का मुकाबला करने के लिए सोशल मीडिया के माध्यमों को भी सशक्त बनाना होगा. पढ़े लिखे किसानों और खासकर नौजवानों को फेसबुक, ट्वीटर, इस्टाग्राम जैसे माध्यमों से भी इस आंदोलन को चलाना होगा (kisan andolan have to run through Facebook, Twitter, Instagram) ताकि किसानों को बरगलाने वाली रिपोर्ट्स से बचाया जा सके. समीक्षा बैठक के बाद अचानक भाकियू कार्यकर्ता नारे लगाते हुए मार्च पास्ट करने लगे और मंच के सामने से दिल्ली की ओर बढ़ चले. अचानक सैकड़ों की संख्या में किसानों को दिल्ली की ओर आता देख बैरिकेड्स पर तैनात दिल्ली पुलिस सतर्क हो गई. दिल्ली पुलिस ने तुरंत मोर्चा संभाला और किसानों को जाने से रोकने के लिए खोले गए बैरिकेडस बंद कर दिए.

इसे भी पढ़ेंः लखनऊ किसान महापंचायतः क्या अब यूपी की राजधानी को दिल्ली बनाएंगे टिकैत ?

इस दौरान भाकियू के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि उन्हें बताया गया था कि दिल्ली पुलिस ने रास्ता खोल दिया है और अब बेरोकटोक पैदल या वाहन से लोग दिल्ली जा सकते हैं. धर्मेंद्र मालिक ने कहा कि एसकेएम के आह्वान के मुताबिक किसान ट्रैक्टरों से 29 नवंबर को दिल्ली जाएंगे इसलिए आज दिल्ली जाने के लिए पैदल मार्च का रिहर्सल किया गया था. उन्होंने दिल्ली की ओर से रास्ता खोलने को नाटक करार दिया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पुलिस ने दिखावे के लिए रास्ता खोला है और इसका आज पुख्ता सबूत सामने भी आ गया जब किसानों को बैरिकेडस लगातार तुरंत दिल्ली पुलिस ने रोकने का काम किया.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने के मौके पर 26 नवंबर को शक्ति प्रदर्शन और 29 नवंबर को संसद भवन पर ट्रैक्टर से कूच करने के लिए भाकियू नेता राकेश टिकैत (Farmer leader Rakesh Tikait) ने पदाधिकारियों को तैयार रहने का मंत्र दिया. गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur Border) पर दोपहर बाद समीक्षा बैठक हुई. इसके बाद कार्यकर्ताओं ने बॉर्डर पर मार्च निकाला और दिल्ली कूच का ऐलान किया. जिसके बाद दिल्ली की सीमा पर लगी बैरिकेडिंग पर किसान नारे लगाते हुए पहुंचे. हालांकि कुछ देर बाद ही कार्यकर्ता अपने कैंपों में लौटने लगे और इस मार्च को रिहर्सल बताया.

समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Farmer leader Rakesh Tikait) ने कहा कि आंदाेलन काे एक साल होने को (Kisan Andolan is about to be one year )है और सरकार किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है. बिना मांग मनवाए किसान बॉर्डर नहीं छोड़ेंगे, इसलिए अब सभी जिलों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता लंबे आंदोलन के लिए कमर कस लें. अपने-अपने टैंटों को दुरुस्त करें और खाने-पीने से लेकर सर्दी के मौसम में जरूरत के सामान के साथ बॉर्डर पर उपस्थिति सुनिश्चित करें.

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किसान नेता राकेश टिकैत (Farmer leader Rakesh Tikait) ने कहा कि लड़ाई लंबी चलेगी क्योंकि सरकार किसानों को थकाना चाहती है और किसान थकने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट कंपनियों के हवाले एक बार फसलों का व्यापार हुआ तो किसान तबाह हो जाएगा और उसे घाटे के कारण खेतों को भी इन कंपनियों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. अब दो ही विकल्प किसानों के सामने हैं या तो खेती-बाड़ी इन कंपनियों के हवाले कर अपने ही खेत में मजदूर बन जाएं या इनका विरोध कर आने वाली पीढ़ियों के लिए इस खेती को सुरक्षित करें.

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राकेश टिकैत ने कहा कि सरकारों का मुकाबला करने के लिए सोशल मीडिया के माध्यमों को भी सशक्त बनाना होगा. पढ़े लिखे किसानों और खासकर नौजवानों को फेसबुक, ट्वीटर, इस्टाग्राम जैसे माध्यमों से भी इस आंदोलन को चलाना होगा (kisan andolan have to run through Facebook, Twitter, Instagram) ताकि किसानों को बरगलाने वाली रिपोर्ट्स से बचाया जा सके. समीक्षा बैठक के बाद अचानक भाकियू कार्यकर्ता नारे लगाते हुए मार्च पास्ट करने लगे और मंच के सामने से दिल्ली की ओर बढ़ चले. अचानक सैकड़ों की संख्या में किसानों को दिल्ली की ओर आता देख बैरिकेड्स पर तैनात दिल्ली पुलिस सतर्क हो गई. दिल्ली पुलिस ने तुरंत मोर्चा संभाला और किसानों को जाने से रोकने के लिए खोले गए बैरिकेडस बंद कर दिए.

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इस दौरान भाकियू के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि उन्हें बताया गया था कि दिल्ली पुलिस ने रास्ता खोल दिया है और अब बेरोकटोक पैदल या वाहन से लोग दिल्ली जा सकते हैं. धर्मेंद्र मालिक ने कहा कि एसकेएम के आह्वान के मुताबिक किसान ट्रैक्टरों से 29 नवंबर को दिल्ली जाएंगे इसलिए आज दिल्ली जाने के लिए पैदल मार्च का रिहर्सल किया गया था. उन्होंने दिल्ली की ओर से रास्ता खोलने को नाटक करार दिया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पुलिस ने दिखावे के लिए रास्ता खोला है और इसका आज पुख्ता सबूत सामने भी आ गया जब किसानों को बैरिकेडस लगातार तुरंत दिल्ली पुलिस ने रोकने का काम किया.

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