गाजियाबाद : आई. एम. टी. गाजियाबाद ने मंगलवार को (IMT Ghaziabad) Certificate Program on Enhancing Employability Skill of Sports Persons (E2S2) कार्यक्रम को लॉन्च किया. आई.एम.टी. गाजियाबाद के निर्देशक डॉ. विशाल तलवार ने इस योजना के बारे में बताते हुए कहा कि संस्थान के स्पोर्ट्स रिसर्च सेंटर के हेड डॉ. कनिष्क पाण्डेय के विस्तृत शोध के बाद यह पाठ्यक्रम शुरू किया जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को तो भारी पुरस्कार, नाम, प्रतिष्ठा एवं रोजगार मिल जाता है पर देश में लाखों की संख्या में विभिन्न खेलों के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के खिलाड़ी रोजगार के संकट से जूझते हैं. इन्हीं खिलाड़ियों के सशक्तीकरण के लिए यह पाठ्यक्रम शुरू किया (started the course) जा रहा है.
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पाठ्यक्रम का मकसद प्रबंधकीय क्षमता विकसित करना : स्पोर्ट्स रिसर्च सेंटर के हेड डॉ. कनिष्क पाण्डेय ने इस पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि निजी क्षेत्र और सरकारी क्षेत्र में रोजगार की विशिष्ठ अपेक्षाओं और आवश्यकताओं का गहन अध्ययन और शोध कर इस पाठ्यक्रम को तैयार किया गया है. पाठ्यक्रम का उद्देश्य खिलाड़ी में पेशेवर एवं प्रबंधकीय क्षमताओं का विकास करना है. वह इस पृष्ठभूमि पर नौकरी के लिए आवेदन न करें कि वे खिलाड़ी हैं, बल्कि पेशेवर एवं प्रबंधकीय क्षमताओं के आधार पर भी किसी भी क्षेत्र में नौकरी के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर सकें. देश का यदि कोई अन्य संस्थान E2S2 जैसा पाठ्यक्रम शुरू करता है तो आई.एम.टी. गाजियाबाद उसे परामर्श देने को तैयार रहेगा.
मिलेंगी रोजगार के विकल्प की संभावनाएंं : कार्यक्रम में उपस्थित पूर्व ओलंपियन एवं हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचन्द के पुत्र अशोक ध्यानचन्द ने कहा कि भारत में अभिभावक बच्चों को खेल से इसलिए भी दूर रखते हैं कि खिलाड़ियों के पास रोजगार की संभावनाएं बहुत कम होती हैं. आई.एम.टी. गाजियाबाद का यह प्रयास वास्तव में अभूतपूर्व है जो खिलाड़ियों के लिए रोजगार के विकल्प की संभावनाओं को जन्म देगा. पूर्व ओलिम्पयन और पूर्व हॉकी खिलाड़ी जफर इकबाल ने कहा E2S2 भारतीय खेल इतिहास में एक गेम चेंजर साबित होगा.
पूर्व राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी फल-सब्जी बेचने को मजबूर : भारतीय हैण्डबॉल टीम के उप-कप्तान नवीन पूनिया ने कहा कि कई ऐसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हम लोगों के बीच में हैं जो आज अपना जीवन यापन करने के लिए बहुत अधिक संघर्ष कर रहे हैं. कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं आज वे ही खिलाड़ी गोल गप्पे बेचने, पन्चर बनाने, पान की दुकान लगाने, फल-सब्जी बेचने और ऑटो या रिक्शा चलाने के लिए मजबूर हैं. यदि यह पाठ्यक्रम कई वर्षो पहले शुरू कर दिया जाता तो इन खिलाड़ियों को नौकरी प्राप्त करने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होती.
"इस अभिनव प्रयोग को देश की शिक्षा नीति में स्थान मिलना चाहिए. इस नवाचार की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है. इस कोर्स की सफलता के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं"- अनिल सहस्त्रबुद्धे, अध्यक्ष, नेशनल एजुकेशन टेक्नीकल फोरम
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