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डॉक्टर की ये सलाह आपको प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से बचाएगी! - etv bharat

दिवाली के बाद से दिल्ली-एनसीआर वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है. लोगों को सांस लेने में भी दिक्कतों का सामना करना पढ़ रहा है. गाजियाबाद का वायु प्रदूषण 550 AQI को पार कर चुका है.

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण
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Published : Nov 4, 2019, 9:08 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिवाली के बाद से गाजियाबाद में वायु प्रदूषण ने डेरा जमा रखा है. यहां की हवा बेहद खराब हो चुकी है. शहर का प्रदूषण स्थल डार्क रेड जोन को पार कर चुका है.

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों की माने तो जनपद में प्रदूषण 550 एकयूआई पार कर चुका है. जहरीली होती हवा को देखते हुए दिल्ली एनसीआर में हेल्थ इमरजेंसी जारी कर दी गई है गाजियाबाद जिला प्रशासन ने भी शहर के तमाम स्कूलों की दो दिन की छुट्टी कर दी.

शहर में फैला है धुंध और धुआं
बढ़ते प्रदूषण स्तर के चलते शहर में चारों ओर धुंध, धुआं और प्रदूषण की सफेद चादर नजर आ है. शहरवासी जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं जिससे आंखों में जलन और सांस लेने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. किस तरह प्रदूषण से बचा जा सके इस को लेकर ईटीवी भारत ने गाजियाबाद के संयुक्त जिला अस्पताल के चिकित्सक डॉ. संजय तेवतिया से खास बातचीत की.

प्रदूषण से बचने के लिए क्या करें?
डॉक्टर संजय तेवतिया ने कहा कि प्रदूषण के दौरान घरों से ना निकले यदि बहुत ही आवश्यक हो तब ही घर से बाहर निकले क्योंकि बाहर की हवा में ऑक्सीजन के साथ-साथ जहरीली गैस भी मौजूद हैं, इस हवा में सांस लेने से शरीर के अंदरूनी एवं बाहरी अंगों पर दुष्ट प्रभाव पड़ता है.

उन्होंने बताया कि इन दिनों अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के मरीजों को बाहर नहीं निकलना चाहिए क्योंकि इस जहरीली हवा में सांस लेने से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही इस जहरीली हवा में सांस लेने से इन मरीजों की स्थिति इतनी खराब हो सकती है कि इनको आईसीयू में भर्ती कराना पड़ सकता है.

हृदय संबंधित बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को बाहर बिल्कुल नहीं निकलना चाहिए क्योंकि प्रदूषण के कारण हवा में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है, इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि प्रदूषण के दौरान अच्छी क्वालिटी के मास्क का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि अच्छी क्वालिटी के मास्क ही कुछ हद तक प्रदूषण से बचा सकते हैं.

लोगों को होती है परेशानी
उन्होंने बताया कि प्रदूषण के दुष्प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों पर काफी देखने को मिलते हैं क्योंकि बच्चों और बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. प्रदूषण के दौरान बच्चों को बाहर खेलकूद से दूर रहना चाहिए. जहरीली होती हवा से शहर वासियों का दम घुटने लगा है, जिला प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाद भी जनपद में प्रदूषण स्तर तेजी से बढ़ रहा है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिवाली के बाद से गाजियाबाद में वायु प्रदूषण ने डेरा जमा रखा है. यहां की हवा बेहद खराब हो चुकी है. शहर का प्रदूषण स्थल डार्क रेड जोन को पार कर चुका है.

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों की माने तो जनपद में प्रदूषण 550 एकयूआई पार कर चुका है. जहरीली होती हवा को देखते हुए दिल्ली एनसीआर में हेल्थ इमरजेंसी जारी कर दी गई है गाजियाबाद जिला प्रशासन ने भी शहर के तमाम स्कूलों की दो दिन की छुट्टी कर दी.

शहर में फैला है धुंध और धुआं
बढ़ते प्रदूषण स्तर के चलते शहर में चारों ओर धुंध, धुआं और प्रदूषण की सफेद चादर नजर आ है. शहरवासी जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं जिससे आंखों में जलन और सांस लेने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. किस तरह प्रदूषण से बचा जा सके इस को लेकर ईटीवी भारत ने गाजियाबाद के संयुक्त जिला अस्पताल के चिकित्सक डॉ. संजय तेवतिया से खास बातचीत की.

प्रदूषण से बचने के लिए क्या करें?
डॉक्टर संजय तेवतिया ने कहा कि प्रदूषण के दौरान घरों से ना निकले यदि बहुत ही आवश्यक हो तब ही घर से बाहर निकले क्योंकि बाहर की हवा में ऑक्सीजन के साथ-साथ जहरीली गैस भी मौजूद हैं, इस हवा में सांस लेने से शरीर के अंदरूनी एवं बाहरी अंगों पर दुष्ट प्रभाव पड़ता है.

उन्होंने बताया कि इन दिनों अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के मरीजों को बाहर नहीं निकलना चाहिए क्योंकि इस जहरीली हवा में सांस लेने से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही इस जहरीली हवा में सांस लेने से इन मरीजों की स्थिति इतनी खराब हो सकती है कि इनको आईसीयू में भर्ती कराना पड़ सकता है.

हृदय संबंधित बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को बाहर बिल्कुल नहीं निकलना चाहिए क्योंकि प्रदूषण के कारण हवा में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है, इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि प्रदूषण के दौरान अच्छी क्वालिटी के मास्क का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि अच्छी क्वालिटी के मास्क ही कुछ हद तक प्रदूषण से बचा सकते हैं.

लोगों को होती है परेशानी
उन्होंने बताया कि प्रदूषण के दुष्प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों पर काफी देखने को मिलते हैं क्योंकि बच्चों और बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. प्रदूषण के दौरान बच्चों को बाहर खेलकूद से दूर रहना चाहिए. जहरीली होती हवा से शहर वासियों का दम घुटने लगा है, जिला प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाद भी जनपद में प्रदूषण स्तर तेजी से बढ़ रहा है.

Intro:दिवाली के बाद से गाजियाबाद में वायु प्रदूषण ने डेरा जमा रखा है स्थिति हवा की इतनी खराब हो चुकी है कि शहर का प्रदूषण स्थल डार्क रेड जोन को पार कर चुका है


Body: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों की माने तो जनपद में प्रदूषण 550 एकयूआई पार कर चुका है. जहरीली होती हवा को देखते हुए दिल्ली एनसीआर में हेल्थ इमरजेंसी जारी कर दी गई है गाजियाबाद जिला प्रशासन ने भी शहर के तमाम स्कूलों की दो दिन की छुट्टी कर दी.

बढ़ते प्रदूषण स्तर के चलते शहर में चारों ओर धुंध, धुआं और प्रदूषण की सफेद चादर नजर आती है. शहरवासी जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं जिससे आंखों में जलन और सांस लेने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

किस तरह प्रदूषण से बचा जा सके इसी को लेकर ईटीवी भारत ने गाजियाबाद के संयुक्त जिला अस्पताल के चिकित्सक डॉ संजय तेवतिया से खास बातचीत की.

डॉक्टर संजय तेवतिया ने कहा कि प्रदूषण के दौरान घरों से ना निकले यदि बहुत ही आवश्यक हो तब ही घर से बाहर निकले क्योंकि बाहर की हवा में ऑक्सीजन के साथ-साथ जहरीली गैस भी मौजूद हैं, इस हवा में सांस लेने से शरीर के अंदरूनी एवं बाहरी अंगों पर दुष्ट प्रभाव पड़ता है.

उन्होंने बताया कि इन दिनों अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के मरीजों को बाहर नहीं निकलना चाहिए क्योंकि इस जहरीली हवा में सांस लेने से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, साथ ही इस जहरीली हवा में सांस लेने से इन मरीजों की स्थिति इतनी खराब हो सकती है कि इनको आईसीयू में भर्ती कराना पड़ सकता है.

हृदय संबंधित बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को बाहर बिल्कुल नहीं निकलना चाहिए क्योंकि प्रदूषण के कारण हवा में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है, इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.

डॉक्टर तेवतिया ने बताया कि प्रदूषण के दौरान अच्छी क्वालिटी के मास्क का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि अच्छी क्वालिटी के मास्क ही कुछ हद तक प्रदूषण से बचा सकते हैं.

उन्होंने बताया कि प्रदूषण के दुष्प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों पर काफी देखने को मिलते हैं क्योंकि बच्चों और बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. प्रदूषण के दौरान बच्चों को बाहर खेलकूद से दूर रहना चाहिए.



Conclusion:जहरीली होती हवा से शहर वासियों का दम घुटने लगा है, जिला प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाद भी जनपद में प्रदूषण स्तर तेजी से बढ़ रहा है.
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