नई दिल्ली/गाजियाबाद : साइबर अपराध के मामले में NCR का गाजियाबाद टॉप 2 सिटी में शामिल है. गाजियाबाद में लगातार साइबर अपराध बढ़ रहे हैं. साइबर अपराध को लेकर पुलिस की सिरदर्दी छोटे-छोटे मासूम बच्चों ने भी बढ़ाई है. आइए जानते हैं कि आखिर ठग किस तरह लोगों को साइबर क्राइम का शिकार बना रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक, बढ़ते साइबर अपराध के मामलों में लखनऊ के बाद गाजियाबाद का नाम दूसरे नंबर पर है. आए दिन साइबर अपराध की खबरें सुनने को मिलती रहती हैं. हालांकि गाजियाबाद पुलिस लगातार इन अपराधों पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रही है. इसके लिए पुलिस ने बाकायदा साइबर अपराध थाना भी खोला है. इसके अलावा पुलिस लोगों को जागरूक भी कर रही है.
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साइबर अपराध की रोकथाम के लिए नियुक्त सीओ अभय मिश्रा का कहना है कि पहले की तुलना में हमने गाजियाबाद में साइबर अपराध को कम करने के लिए तेजी से कार्य किए हैं. लोगों को पूरी तरह से साइबर अपराध से बचाने के लिए उन्हें जागरूक करना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि आजकल नए तरह के साइबर अपराध बढ़े हैं, जिनमें इंस्टाग्राम या दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को हैक कर युवाओं को ब्लैकमेल कर ठगी के मामले सामने आ रहे हैं. जोकि बेहद गंभीर है. अभय मिश्रा ने बताया कि अपराधी मासूम बच्चों के जरिए भी साइबर अपराध को अंजाम दे रहे हैं.
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बीजेपी पार्षद प्रदीप चौहान भी फोन पर होने वाले अपराध का शिकार हुए हैं. प्रदीप चौहान बताते हैं कि लोन के नाम पर ठगों ने उनसे 93 हजार रुपये ऐंठ लिए. प्रदीप ने लोन के लिए अप्लाई किया था. इसके बाद उन्हें जानकारी दी गई कि उनके खाते में तुरंत रकम आ जाएगी. इसके लिए ठग ने उनकी डिटेल मांगकर 94 हजार रुपये ठग लिए. ठगी के इस मामले में प्रदीप चौहान ने पुलिस पर कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगाए हैं. गाजियाबाद में बढ़ रहे साइबर अपराध को लेकर पुलिस का दावा है कि इस प्रकार के मामलों में पीड़ितों को उनके रुपये वापस दिलवाने की कोशिश की जाती है.
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बीते दिनों ऑनलाइन स्टडी से बचने के लिए बच्चों ने अपने पेरेंट्स का मोबाइल हैक कर लिया. इसके बाद वे बच्चे अज्ञात व्यक्ति बन अपने ही पेरेंट्स को ब्लैकमेल करने लगे. इस तरह के मामले सबसे ज्यादा चुनौती भरे होते हैं. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ऐसे मामलों में समय-समय पर बच्चों की काउंसिलिंग करवाई जा रही है.
साइबर ठग आपके सिम कार्ड या बैंक अकाउंट ब्लॉक होने की फर्जी जानकारी आपको देते हैं, जिसके बाद उसे रीस्टोर करने के लिए आपसे कुछ जानकारी मांगते हैं. यहां आप उनको जानकारी देते हैं और वहां आपके बैंक अकाउंट से पैसे उड़ा लिए जाते हैं.
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साइबर ठग ATM क्लोन के जरिए लोगों के बैंक अकाउंट से रुपये निकाल रहे हैं. एटीएम क्लोन बनाना तब तक मुमकिन नहीं होता जब तक आपने किसी अज्ञात व्यक्ति को अपना एटीएम न दिया हो या फिर उससे संबंधित जानकारी न दी हो. इसलिए ध्यान रखें कि किसी भी अज्ञात व्यक्ति के हाथ में अपना एटीएम कार्ड न दें.
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हाल ही में गाजियाबाद में सामने आया कि एक अज्ञात व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर एक युवती को लिंक भेजा. लिंक पर क्लिक करते ही उसका सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो गया. इसके बाद युवती की प्राइवेट तस्वीरें हैकर के हाथ में चली गईं और उसने युवती को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया और ठगी का शिकार हो गई.
इस तरह के मामले भी सामने आए हैं, जिसमें घर में मौजूद बच्चों ने ही माता-पिता की डांट से परेशान होकर जाने अंजाने में साइबर अपराध को अंजाम दिया है. इसे मामलों में पुलिस अधिकारी बताते हैं कि अपने बच्चों को एक सीमा से अधिक समय के लिए गैजेट्स इस्तेमाल करने से रोकना चाहिए. बच्चे गैजेट को किस तरह से इस्तेमाल कर रहे हैं. इस पर नजर रखनी चाहिए. माता-पिता और बच्चों के बीच कम्युनिकेशन साइबर अपराध को रोकने में मदद करेगा.