नई दिल्ली/गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गाजियाबाद (Ghaziabad) में बढ़ते कोरोना वायरस (Corona virus) के चलते कर्फ्यू (Curfew) लगा हुआ है. ऐसे में रोजाना कमाने खाने वालों (Daily earners) के सामने दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना भी एक चुनौती बना हुआ है. ऐसे में गर्मियों (Summer) में मिट्टी से बने बर्तनों (clay pot) की बिक्री करने वाले लोग अच्छी दुकानदारी के आस में रहते हैं. लेकिन कोरोना (Corona virus) की वजह से यह लोग मुश्किल हालात में अपना गुजारा कर रहे हैं.
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लॉकडाउन में नहीं बिक रहे मिट्टी के बर्तन
बीस सालों से मिट्टी के बर्तन बेचकर (clay pot sellers ) अपना गुजारा करने वाले किशन वती ने बताया कि इस साल भी बीते साल की तरह कोरोना (corona) की वजह से काम न के बराबर है. जबकि माल पर महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है. मिट्टी लाने वाले वाहन भी अब अधिक चार्ज ले रहे हैं. आमतौर पर अप्रैल, मई और जून के महीने में अच्छी खासी बिक्री होती थी लेकिन कोरोना (corona) और लॉकडाउन (lockdown) ने काम ठप (Work stop) कर दिया है. परिवार का पेट भरना भी मुश्किल हो गया है.
राशन खरीदने में आ रही दिक्कत
राजवीर बताते हैं उनका पूरा परिवार मिट्टी के बर्तन (clay pot sellers ) बनाने का काम करता है. इसी से उनका घर चलता है. लेकिन मौजूदा हालात में बिक्री न होने के चलते परिवार वालों के लिए आटा, दाल (ration) आदि खरीदने में भी काफी परेशानियां हो रही हैं. मौजूदा हालात में अन्य काम भी बंद है. ऐसे में कहीं और भी दिहाड़ी (Day wage) नहीं मिल रही है.
हजार रुपये की बिक्री होती थी रोजाना
सितारा बताती है कई सालों से सड़क के किनारे झुग्गी (Roadside slum) में रहते हैं. झुग्गी के आगे ही मिट्टी के बर्तनों का स्टॉल (Pottery stall) लगाकर बिक्री करते हैं. कोरोना से पहले तकरीबन हजार रुपये रोज की बिक्री हो जाती थी. लेकिन मौजूदा हालात में मुश्किल से ₹200 की ही बिक्री हो पा रही है. लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है. दुकानदारी ठप (Shop stalled) होने से पेट पालना भी भारी पड़ रहा है. दिन भर खाली बैठे ही गुजर जाता.
कोरोना कर्फ्यू के कारण कारोबार ठप
हर साल गर्मियां का मौसम (Summer) शुरु होते ही कुम्हारों (potters) की चांदी हो जाती थी. दुकानों पर मटका, सुराही आदि मिट्टी के बर्तन खरीदने (clay pot buyers ) वालों का तांता लगा रहता था. लेकिन कोरोना कर्फ्यू (corona curfew) की वजह से इस बार कुम्हारों का कारोबार ठप (Business stalled) हो गया है. ऐसे में उन्हें डर सता रहा है कि लगातार घट रही आमदनी में उनका घर कैसे चलेगा.