ETV Bharat / city

गाजियाबाद जिला मुख्यालय परिसर में धरने पर बैठे 50 से ज्यादा बच्चे, जानें पूरा मामला - राइट टू एजुकेशन

राइट टू एजुकेशन के तहत गाजियाबाद में छोटे-छोटे बच्चे जिला मुख्यालय परिसर में धरने पर बैठे हुए हैं. ऑल पैरेंट्स एसोसिएशन के तत्वावधान में धरने पर बैठे हुए हैं.

ghaziabad news
गाजियाबाद जिला मुख्यालय पर बच्चों का धरना
author img

By

Published : Aug 17, 2022, 3:24 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : गाजियाबाद में राइट टू एजुकेशन के तहत छोटे-छोटे मासूम बच्चे डीएम ऑफिस के बाहर पहुंचे और जिला मुख्यालय परिसर में धरने पर बैठ गए. बच्चों के हाथ में तख्तियां भी देखी गई. इन पर लिखा था 'अंकल मेरे मम्मी-पापा मुझे पढ़ाना चाहते हैं, तभी मेरे दाखिले के लिए दो महीने से धक्के खा रहे हैं, क्या मेरा दाखिला हो पाएगा'.

ऑल पैरेंट्स एसोसिएशन के तत्वावधान में बच्चे और उनके पैरेंट्स जिला मुख्यालय परिसर पहुंचे और धरने पर बैठ गए. दरअसल यह वो पेरेंट्स है, जो अपने बच्चों का एडमिशन राइट टू एजुकेशन के तहत कराना चाहते हैं. गरीबी रेखा से नीचे आने वाले बच्चों के एडमिशन करीब 35 स्कूलों में नियंत्रित फीस के तहत किए जाते हैं. आरोप है कि ऐसे 35 स्कूल मनमानी कर रहे हैं और गरीब बच्चों को एडमिशन नहीं दे रहे हैं. बच्चों के पैरेंट्स और बच्चे लगातार स्कूल से लेकर अधिकारियों के पास धक्के खा रहे हैं, और उनका सिलेबस भी छूटता जा रहा है.

गाजियाबाद जिला मुख्यालय पर बच्चों का धरना
ऑल पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शिवानी जैन का कहना है कि करीब 5000 बच्चों ने गाजियाबाद में राइट टू एजुकेशन के तहत आवेदन किया हुआ था. इनमें से 40 से 50 बच्चे ऐसे हैं, जिनको एडमिशन नहीं दिया जा रहा है. उनको धक्के खिलवाए जा रहे हैं. वह प्रशासन से लेकर शिक्षा विभाग और प्राइवेट स्कूलों के चक्कर काट रहे हैं. उन्होंने कहा कि कानूनी दांव पेंच पर खेला जा रहा है. नियम के मुताबिक कोई भी स्कूल राइट टू एजुकेशन का पालन नहीं करता है तो उस पर एक्शन लिया जाना चाहिए. लेकिन यहां पर प्राइवेट स्कूल खुलकर उल्लंघन कर रहे हैं. उन स्कूलों पर शिकंजा नहीं कसा जा रहा है. ऐसे स्कूलों को एफिलियशन देते वक्त ही कहा जाता है कि राइट टू एजुकेशन के तहत वे बिलो पावर्टी लाइन के बच्चों को एडमिशन देगा. लेकिन एडमिशन नहीं दिया जा रहा है. शिवानी जैन ने कहा कि धरने पर बैठने वाले बच्चों में अधिकतर 5 से 6 साल के बच्चे हैं. एडमिशन की एज लिमिट 5 से 6 साल की होती है. आगे यह बच्चे अप्लाई भी नहीं कर पाएंगे. जिससे इनका भविष्य अधर में आ जाएगा. अगर यह बच्चे नहीं पढ़ पाएंगे तो इनमें से अधिकतर बच्चे क्राइम की तरफ जाने या फिर चाय वाले के पास काम करने के लिए मजबूर हो जाएंगे. ऐसे में प्रशासन द्वारा ध्यान दिया जाना चाहिए. इनको भी पढ़ने लिखने का अधिकार है. यह भी बड़े अफसर बन सकते हैं. मगर लापरवाही की वजह से इन्हें पढ़ाई से वंचित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इन बच्चों को एडमिशन दिया जाना चाहिए. इनका सिलेबस पूरा किया जाना चाहिए. अगर स्कूल इस पर काम नहीं करते हैं तो उन पर एक्शन लिया जाना चाहिए.

नई दिल्ली/गाजियाबाद : गाजियाबाद में राइट टू एजुकेशन के तहत छोटे-छोटे मासूम बच्चे डीएम ऑफिस के बाहर पहुंचे और जिला मुख्यालय परिसर में धरने पर बैठ गए. बच्चों के हाथ में तख्तियां भी देखी गई. इन पर लिखा था 'अंकल मेरे मम्मी-पापा मुझे पढ़ाना चाहते हैं, तभी मेरे दाखिले के लिए दो महीने से धक्के खा रहे हैं, क्या मेरा दाखिला हो पाएगा'.

ऑल पैरेंट्स एसोसिएशन के तत्वावधान में बच्चे और उनके पैरेंट्स जिला मुख्यालय परिसर पहुंचे और धरने पर बैठ गए. दरअसल यह वो पेरेंट्स है, जो अपने बच्चों का एडमिशन राइट टू एजुकेशन के तहत कराना चाहते हैं. गरीबी रेखा से नीचे आने वाले बच्चों के एडमिशन करीब 35 स्कूलों में नियंत्रित फीस के तहत किए जाते हैं. आरोप है कि ऐसे 35 स्कूल मनमानी कर रहे हैं और गरीब बच्चों को एडमिशन नहीं दे रहे हैं. बच्चों के पैरेंट्स और बच्चे लगातार स्कूल से लेकर अधिकारियों के पास धक्के खा रहे हैं, और उनका सिलेबस भी छूटता जा रहा है.

गाजियाबाद जिला मुख्यालय पर बच्चों का धरना
ऑल पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शिवानी जैन का कहना है कि करीब 5000 बच्चों ने गाजियाबाद में राइट टू एजुकेशन के तहत आवेदन किया हुआ था. इनमें से 40 से 50 बच्चे ऐसे हैं, जिनको एडमिशन नहीं दिया जा रहा है. उनको धक्के खिलवाए जा रहे हैं. वह प्रशासन से लेकर शिक्षा विभाग और प्राइवेट स्कूलों के चक्कर काट रहे हैं. उन्होंने कहा कि कानूनी दांव पेंच पर खेला जा रहा है. नियम के मुताबिक कोई भी स्कूल राइट टू एजुकेशन का पालन नहीं करता है तो उस पर एक्शन लिया जाना चाहिए. लेकिन यहां पर प्राइवेट स्कूल खुलकर उल्लंघन कर रहे हैं. उन स्कूलों पर शिकंजा नहीं कसा जा रहा है. ऐसे स्कूलों को एफिलियशन देते वक्त ही कहा जाता है कि राइट टू एजुकेशन के तहत वे बिलो पावर्टी लाइन के बच्चों को एडमिशन देगा. लेकिन एडमिशन नहीं दिया जा रहा है. शिवानी जैन ने कहा कि धरने पर बैठने वाले बच्चों में अधिकतर 5 से 6 साल के बच्चे हैं. एडमिशन की एज लिमिट 5 से 6 साल की होती है. आगे यह बच्चे अप्लाई भी नहीं कर पाएंगे. जिससे इनका भविष्य अधर में आ जाएगा. अगर यह बच्चे नहीं पढ़ पाएंगे तो इनमें से अधिकतर बच्चे क्राइम की तरफ जाने या फिर चाय वाले के पास काम करने के लिए मजबूर हो जाएंगे. ऐसे में प्रशासन द्वारा ध्यान दिया जाना चाहिए. इनको भी पढ़ने लिखने का अधिकार है. यह भी बड़े अफसर बन सकते हैं. मगर लापरवाही की वजह से इन्हें पढ़ाई से वंचित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इन बच्चों को एडमिशन दिया जाना चाहिए. इनका सिलेबस पूरा किया जाना चाहिए. अगर स्कूल इस पर काम नहीं करते हैं तो उन पर एक्शन लिया जाना चाहिए.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.