नई दिल्ली/गाजियाबाद: दुनिया में जब कुछ लोग युद्ध में इंसानियत की फिक्र को बारूदी धमाकों में उड़ा रहे हैं वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनकी इंसानियत की जद में न सिर्फ इंसान बल्कि बेजुबान जानवर भी हैं. मुसीबत की इस घड़ी में जब अपनी जान बचाने की फिक्र करनी चाहिए थी, तब भी वे अपने बेजुबान दोस्त, अपने पेट एनीमल्स को लेकर खासे परेशान थे. उनके बिना भारत लौट जाने का फैसला, उनके लिए मानों जान जाने से भी ज्यादा बड़ा हो गया. चलिए आपको मिलाते हैं यूक्रेन से लौटे गाजियाबाद से स्टूडेंट आमिर से...जो इन दिनों खासा चर्चा में हैं. उनके पास यूक्रेन से धमाकों की कहानी नहीं, बल्कि इंसानियत का फर्ज निभाने की ऐसी कहानी है, जिसे सुनकर आप भी वाह कर उठेंगे.
आमिर को अपनी पालतू बिल्ली से खासा लगाव था, वे जहां जाते,अपनी बिल्ली जिसे उन्होनें मार्स नाम दिया, उसे साथ लेकर ही जाते. अपनी इस खास दोस्त के लिए आमिर ने दो देशों का विशेष पासपोर्ट भी बनवाया है, ताकि पेट एनीमल उनके साथ दुनिया भर में जा सके. आमिर की ये बिल्ली, यूक्रेन ही नहीं, बल्कि कई दूसरी जगहों पर घूम कर आई है.
आमिर बताते हैं कि वे यूक्रेन की राजधानी कीव में फंसे हुए थे. वहां मंजर काफी डरावना था, हर जगह बमबारी और गनशॉट की आवाजें सुनाई दे रही थीं, दो दिनों तक उन्हें बंकर में छिपना पड़ा था. ऐसे में वे जल्द से जल्द यूक्रेन से निकलने का प्रयास कर रहे थे. वे इस दौरान लगातार भारतीय एंबेसी से संपर्क कर रहे थे और एंबेसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार बॉर्डर पर पहुंचे थे. इस पूरे वक्त आमिर की पालतू 'मार्स' उनके साथ ही थी. आमिर अपनी बिल्ली के साथ रोमानिया से वायु सेना की मदद से भारत लौटे.
गौरतलब है कि गाजियाबाद स्थित हिंडन एयर बेस में अब तक 12 ग्लोबमास्टर आ चुके हैं, जिसमें करीब ढाई हजार छात्रों को प्रशासन की मदद से उनके गंतव्य तक पहुंचाया जा रहा है. मौके पर मौजूद अधिकारी ने बताया कि जिन छात्रों को उनके परिवार के लोग हिंडन एयर बेस के बाहर लेने के लिए आ जाते हैं, उन को सौंप दिया जाता है. बाकी सभी छात्रों को अलग-अलग साधनों के माध्यम से उनके राज्यों तक उनके घर पहुंचाया जा रहा है.
जानिए पेट एनीमल के साथ इंटरनेशनल ट्रेवल के क्या हैं नियम ? - जानकारी के मुताबिक यूक्रेन में फंसे कई ऐसे स्टूडेंट्स अपने पालतू जानवरों को अपने साथ ट्रेवल करके लाना चाहते हैं. इनके लिए स्पेशल व्यवस्था की जा रही है. एक दस्तावेज प्रोवाइड किया जा रहा है, जिसका नाम 'पेट बुक' या 'पेट पासपोर्ट 'होता है. इसे ईशु कराने के लिए अपने पालतू जानवर से संबंधित सभी जानकारी देनी जरूरी होती है, और यह भी बताना होता है, उसका सभी तरह का टीकाकरण हो चुका है। तभी पालतू जानवर को साथ लाने की इजाजत मिल पाती है। हालांकि इन इमरजेंसी हालातों में ऐसे सर्टिफिकेट होने पर भी सिर्फ एक बार की छूट स्टूडेंट्स को मिल रही है। जिससे वह अपने पालतू जानवरों, जिनमें कुत्ते बिल्ली शामिल है, उन्हें साथ लेकर आ रहे हैं। वायु सना के विमान से जो छात्र अपने पालतू जानवर साथ लेकर आ रहे हैं, उसमें वायुसेना के अधिकारियों की मंजूरी भी जरूरी है। ह्यूमन ग्राउंड पर यह मंजूरी फिलहाल स्टूडेंट्स को मिल रही है। सामान्य एयरलाइंस में उनसे संबंधित दिशा निर्देशों का भी पालन करना जरूरी होता है।
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