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गाजियाबाद: DM के 'ब्लैक बॉक्स' से मचा हड़कंप, अभी तक 43 शिकायतें हुई दर्ज - गाजियाबाद न्यूज

गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे की ब्लैक बॉक्स की पहल अब सुचारू रूप से सामने आ रही है. अभी तक 43 शिकायतें इस ब्लैक के जरिए की गई हैं. इस पहल से कई रिश्वत लेते आधिकारी और कर्मचारियों को अभी तक निलंबित किया जा चुका हैं.

black box is initiated at gaziabad in which 43 complaints are lodged
गाजियाबाद में लगे ब्लैक बॉक्स में 43 शिकायतें दर्ज
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Published : Jan 23, 2020, 5:44 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे ने करीब 2 हफ्ते पहले कलेक्ट्रेट परिसर में 'ब्लैक बॉक्स' लगवाया था. ब्लैक बॉक्स लगवाने का उद्देश्य था कि जिला मुख्यालय परिसर में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना.

गाजियाबाद में लगे ब्लैक बॉक्स में 43 शिकायतें दर्ज

शिकायतों को सीधे जिलाधिकारी को किया प्रस्तुत
जिला मुख्यालय में लगे 'ब्लैक बॉक्स' को गुरूवार को प्रभारी प्रशांत तिवारी डिप्टी कलेक्टर ने अपने समक्ष खुलवाया. इस दौरान उन्होंने बाकायदा इसकी वीडियोग्राफी भी कराई और शिकायतों को सीधे जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया.

ब्लैक बॉक्स में अभी तक 43 शिकायतें आई हैं जो इन विभागों से आई हैं-

  • पुलिस विभाग- इस विभाग से अब तक 5 शिकायतें आ चुकी हैं.
  • राजसव विभाग- 2 शिकायतें अब तक यहां से की गई.
  • नगर निगम- 4 शकायतें इस विभाग से सामने आई.
  • सिविल कोर्ट- इस विभाग से 1 शिकायत दर्ज की गई.
  • डूडा विभाग- 1 शिकायत इस विभाद से आई.
  • जिला पूर्ति विभाग- 2 शिकायतें जिले के इस विभाग से सामने आई.

हालांकि कुछ शिकायतें ऐसी हैं जिसमें शिकायतकर्ता का नाम और पता नहीं दिया गया है. जबकि नियमानुसार शिकायती प्रार्थना पत्र में शिकायतकर्ता को अपना नाम और पता देना अनिवार्य होता है लेकिन फिर भी जिलाधिकारी ने शिकायती प्रकरणों के संबंध में संबंधित अधिकारियों को स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए हैं.

अधिकारियों और कर्मचारियों में मचा हड़कंप
पिछले महीने जिलाधिकारी कार्यालय में कर्मचारी को रिश्वत लेते हुए ट्रेप किया जा चुका है और कर्मचारी को रिश्वत लेने के आरोप में जिलाधिकारी ने निलंबित किया है. जिलाधिकारी के 'ब्लैक बॉक्स' को लेकर पूरे जनपद के अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे ने करीब 2 हफ्ते पहले कलेक्ट्रेट परिसर में 'ब्लैक बॉक्स' लगवाया था. ब्लैक बॉक्स लगवाने का उद्देश्य था कि जिला मुख्यालय परिसर में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना.

गाजियाबाद में लगे ब्लैक बॉक्स में 43 शिकायतें दर्ज

शिकायतों को सीधे जिलाधिकारी को किया प्रस्तुत
जिला मुख्यालय में लगे 'ब्लैक बॉक्स' को गुरूवार को प्रभारी प्रशांत तिवारी डिप्टी कलेक्टर ने अपने समक्ष खुलवाया. इस दौरान उन्होंने बाकायदा इसकी वीडियोग्राफी भी कराई और शिकायतों को सीधे जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया.

ब्लैक बॉक्स में अभी तक 43 शिकायतें आई हैं जो इन विभागों से आई हैं-

  • पुलिस विभाग- इस विभाग से अब तक 5 शिकायतें आ चुकी हैं.
  • राजसव विभाग- 2 शिकायतें अब तक यहां से की गई.
  • नगर निगम- 4 शकायतें इस विभाग से सामने आई.
  • सिविल कोर्ट- इस विभाग से 1 शिकायत दर्ज की गई.
  • डूडा विभाग- 1 शिकायत इस विभाद से आई.
  • जिला पूर्ति विभाग- 2 शिकायतें जिले के इस विभाग से सामने आई.

हालांकि कुछ शिकायतें ऐसी हैं जिसमें शिकायतकर्ता का नाम और पता नहीं दिया गया है. जबकि नियमानुसार शिकायती प्रार्थना पत्र में शिकायतकर्ता को अपना नाम और पता देना अनिवार्य होता है लेकिन फिर भी जिलाधिकारी ने शिकायती प्रकरणों के संबंध में संबंधित अधिकारियों को स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए हैं.

अधिकारियों और कर्मचारियों में मचा हड़कंप
पिछले महीने जिलाधिकारी कार्यालय में कर्मचारी को रिश्वत लेते हुए ट्रेप किया जा चुका है और कर्मचारी को रिश्वत लेने के आरोप में जिलाधिकारी ने निलंबित किया है. जिलाधिकारी के 'ब्लैक बॉक्स' को लेकर पूरे जनपद के अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ.

Intro:गाजियाबाद के जिला अधिकारी अजय शंकर पांडे ने करीब 2 हफ्ते पहले कलेक्ट्रेट परिसर में 'ब्लैक बॉक्स' लगवाया था. ब्लैक बॉक्स लगवाने का उद्देश्य था कि जिला मुख्यालय परिसर में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना.


Body:जिला मुख्यालय में लगे 'ब्लैक बॉक्स' को आज प्रभारी प्रशांत तिवारी डिप्टी कलेक्टर ने अपने समक्ष खुलवाया. इस दौरान उन्होंने बाकायदा इसकी वीडियोग्राफी भी कराई और शिकायतों को सीधे जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया.

ब्लैक बॉक्स में कुल 43 शिकायतें प्राप्त हुई जो कि विभिन्न विभागों से संबंधित हैं.

पुलिस विभाग- 5

राजसव विभाग- 2

नगर निगम- 4

सिविल कोर्ट- 1

डूडा विभाग- 1

जिला पूर्ति विभाग- 2

हालांकि कुछ शिकायती प्रार्थना पत्रों में शिकायतकर्ता द्वारा उनका नाम व पता अंकित नहीं किया गया है जबकि नियमानुसार शिकायती प्रार्थना पत्र में शिकायतकर्ता को अपना नाम व पता करना अनिवार्य होता है परंतु फिर भी जिलाधिकारी ने शिकायती प्रकरणों के संबंध में संबंधित अधिकारियों को स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए हैं.









Conclusion:पिछले महीने जिलाधिकारी कार्यालय में कर्मचारी को रिश्वत लेते हुए ट्रेप किया जा चुका है एवं कर्मचारी को रिश्वत लेने के आरोप में जिलाधिकारी द्वारा निलंबित भी किया जा चुका है. जिलाधिकारी के 'ब्लैक बॉक्स' को लेकर पूरे जनपद के अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ.
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