नई दिल्ली/गाजियाबाद: देश में पहले से ही कोरोना काल में रोजी-रोटी का संकट सबके सामने गहराया हुआ है. ऐसे में बढ़ती गर्मी ने इस संकट को और ज्यादा बढ़ा दिया है जिससे गाजियाबाद में ऑटो वालों के सामने काफी मुश्किल खड़ी हो गई है. रोड पर लोगों की संख्या कम होने की वजह से उन्हें सवारी नहीं मिल पा रही है.
हाल ये है कि ऑटो वाले अपने मूल खर्चे भी नहीं निकाल पा रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक 30 से 40 प्रतिशत ऑटो वाले फिलहाल ऑटो चलाना छोड़कर दूसरा काम तलाश रहे हैं. ऑटो वालों का कहना है कि सवारी नहीं मिल पाने से काम पर बुरा असर पड़ा है. ऐसे में परिवार का गुजारा चलना तो दूर की बात है, ऑटो का मेंटेनेंस खर्च भी नहीं निकल रहा है.
सवारियों को बैठाने की लिमिट
ज्यादातर ऑटो चालकों का कहना है कि पहले से ही सवारी बैठाने की लिमिट है. सैनिटाइजेशन से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का भी पालन कर रहे हैं लेकिन वक्त और हालात साथ नहीं दे रहे हैं.
सोचा था कि लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद जब ऑटो चलेंगे तो रोजी रोटी का संकट खत्म होगा, पर हाल यह है कि हेल्पर को देने के लिए भी खर्च नहीं निकल पा रहा है. इसलिए हेल्पर भी नहीं रख रहे हैं. रूट पर ऑटो की संख्या काफी कम हो गई है. कुछ ऑटो वाले तो सब्जी और फल बेच रहे हैं, लेकिन ऑटो नहीं चला रहे हैं.
40 डिग्री पहुंचा पारा
ऑटो चालकों की उम्मीद, तब टूट गई जब तापमान 40 डिग्री के पार चला गया. पहले से ही कोरोना काल में रोड पर लोगों की संख्या कम थी लेकिन गर्मी की वजह से सुबह 9 बजते ही रोड पर सन्नाटा पसर ने लगता है.
इसके बाद शाम तक सन्नाटा पसरा रहता है. रात को 9 बजे से पहले ही ऑटो को रोड से हटा कर घर वापस चले जाते हैं. ऐसे में दाने-दाने के लिए कई ऑटो वाले मोहताज हो रहे हैं. इस समस्या का उन्हें समाधान भी नजर नहीं आ रहा.