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मिशन कायाकल्पः प्ले स्कूल की तर्ज पर विकसित हो रहे आंगनवाड़ी केंद्र

गाजियाबाद के डासना में कल्लू गढ़ी गांव के आंगनवाड़ी केंद्र को प्ले स्कूल की तर्ज पर विकसित किया गया है. स्कूल की दिवारों पर कार्टून के माध्यम से बच्चों को पढ़ाई कराने के लिए नया खाका तैयार किया गया है.

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मिशन कायाकल्प
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Published : Jul 17, 2021, 2:15 PM IST

Updated : Jul 17, 2021, 2:34 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: पैसे के अभाव में प्ले स्कूल से वंचित रहने वाले बच्चों के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों (Anganwadi center) को प्ले स्कूल (Play School) की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है. कार्टून के माध्यम से बच्चों को पढ़ाई कराने के लिए नया खाका तैयार किया गया है. जहां एक और निम्न वर्ग के आने वाले बच्चों के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों में भी प्ले स्कूल की तरह पढ़ाई कर सकेंगे साथ ही, मानसिक विकास के साथ-साथ शारीरिक विकास में वृद्धि होगी.

गाजियाबाद के डासना स्थित कल्लू गढ़ी गांव के आंगनवाड़ी केंद्र की दीवारों पर बनी बच्चों को लुभाने वाली पेंटिंग को देखकर ऐसा लगता है कि यह कोई प्राइवेट प्ले स्कूल है. क्लास रूम की दीवारों पर बने कार्टून यहां पढ़ने वाले बच्चों का मन मोह लेते हैं. जो बच्चे आंगनवाड़ी केंद्र आने से कतराते थे अब यही आंगनवाड़ी केंद्र बच्चों की सबसे पसंदीदा बनती दिखाई दे रही है.

प्ले स्कूल की तर्ज पर आंगनवाड़ी केंद्र.

ये भी पढ़ें: अगस्त के अंत तक देश में आ सकती है तीसरी लहर : ICMR विशेषज्ञ

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की मंशा के मुताबिक गाजियाबाद की मुख्य विकास अधिकारी (Chief Development Officer) अस्मिता लाल 'मिशन कायाकल्प' (Operation Kayakalp) को बखूबी धरातल पर उतार रही हैं. जिले में तकरीबन 1300 से अधिक आगनवाड़ी केंद्र हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के 490 आंगनवाड़ी केंद्रों का कायाकल्प किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: डिजिटल माध्यम से चलेंगी दिल्ली की आंगनवाड़ी, ऐसे मिल रही वर्कर्स को ट्रेनिंग

मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल ने बताया 14 बिंदुओं पर आंगनवाड़ी केंद्रों को विकसित किया जा रहा है. जिनमें बेबी-फ्रेंडली टॉयलेट्स, हाथ धोने की व्यवस्था, पोषण वाटिका, हर्बल वाटिका आदि बिंदु शामिल हैं. दीवारों पर पेंटिंग्स बनवाई जा रही है, जिससे बच्चों को आसानी से पेंटिंग के माध्यम से शिक्षित किया जा सके. 'ऑपरेशन कायाकल्प' का काम कई आंगनवाड़ी केंद्रों में पूरा कर लिया गया है. जबकि बचे हुए आंगनवाड़ी केंद्रों में कार्य तेजी से चल रहा है जो आने वाले कुछ महीनों में पूरा कर लिया जाएगा.

ये भी पढ़ें: नूंह के 45 आंगनवाड़ी केंद्र अब प्ले स्कूल में किए जाएंगे अपग्रेड

वहीं, सहायक बाल विकास परियोजना अधिकारी (Assistant Child Development Project Officer) पूनम शर्मा ने बताया कि ये प्रदेश सरकार का बेहद सराहनीय कदम है. कार्टून के माध्यम से छोटे बच्चों के लिए गिनती, हिंदी की वर्णमाला और अंग्रेजी के अल्फाबेट्स को समझना बेहद आसान हो जाता है. जहां छोटे बच्चे पढ़ने में बिल्कुल भी रुचि नहीं लेते थे अब वॉल पेंटिंग्स के माध्यम से बच्चे रुचि लेकर पढ़ाई कर रहे हैं.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: पैसे के अभाव में प्ले स्कूल से वंचित रहने वाले बच्चों के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों (Anganwadi center) को प्ले स्कूल (Play School) की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है. कार्टून के माध्यम से बच्चों को पढ़ाई कराने के लिए नया खाका तैयार किया गया है. जहां एक और निम्न वर्ग के आने वाले बच्चों के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों में भी प्ले स्कूल की तरह पढ़ाई कर सकेंगे साथ ही, मानसिक विकास के साथ-साथ शारीरिक विकास में वृद्धि होगी.

गाजियाबाद के डासना स्थित कल्लू गढ़ी गांव के आंगनवाड़ी केंद्र की दीवारों पर बनी बच्चों को लुभाने वाली पेंटिंग को देखकर ऐसा लगता है कि यह कोई प्राइवेट प्ले स्कूल है. क्लास रूम की दीवारों पर बने कार्टून यहां पढ़ने वाले बच्चों का मन मोह लेते हैं. जो बच्चे आंगनवाड़ी केंद्र आने से कतराते थे अब यही आंगनवाड़ी केंद्र बच्चों की सबसे पसंदीदा बनती दिखाई दे रही है.

प्ले स्कूल की तर्ज पर आंगनवाड़ी केंद्र.

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उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की मंशा के मुताबिक गाजियाबाद की मुख्य विकास अधिकारी (Chief Development Officer) अस्मिता लाल 'मिशन कायाकल्प' (Operation Kayakalp) को बखूबी धरातल पर उतार रही हैं. जिले में तकरीबन 1300 से अधिक आगनवाड़ी केंद्र हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के 490 आंगनवाड़ी केंद्रों का कायाकल्प किया जा रहा है.

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मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल ने बताया 14 बिंदुओं पर आंगनवाड़ी केंद्रों को विकसित किया जा रहा है. जिनमें बेबी-फ्रेंडली टॉयलेट्स, हाथ धोने की व्यवस्था, पोषण वाटिका, हर्बल वाटिका आदि बिंदु शामिल हैं. दीवारों पर पेंटिंग्स बनवाई जा रही है, जिससे बच्चों को आसानी से पेंटिंग के माध्यम से शिक्षित किया जा सके. 'ऑपरेशन कायाकल्प' का काम कई आंगनवाड़ी केंद्रों में पूरा कर लिया गया है. जबकि बचे हुए आंगनवाड़ी केंद्रों में कार्य तेजी से चल रहा है जो आने वाले कुछ महीनों में पूरा कर लिया जाएगा.

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वहीं, सहायक बाल विकास परियोजना अधिकारी (Assistant Child Development Project Officer) पूनम शर्मा ने बताया कि ये प्रदेश सरकार का बेहद सराहनीय कदम है. कार्टून के माध्यम से छोटे बच्चों के लिए गिनती, हिंदी की वर्णमाला और अंग्रेजी के अल्फाबेट्स को समझना बेहद आसान हो जाता है. जहां छोटे बच्चे पढ़ने में बिल्कुल भी रुचि नहीं लेते थे अब वॉल पेंटिंग्स के माध्यम से बच्चे रुचि लेकर पढ़ाई कर रहे हैं.

Last Updated : Jul 17, 2021, 2:34 PM IST
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