नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाज़ीपुर किसान आंदोलन स्थल पर चौधरी अजित सिंह के निधन पर मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गयी. किसानों ने कहा देश ने एक सच्चे किसान हितरक्षक को खो दिया है.
ये भी पढ़ेंःऑक्सीजन कंसंट्रेटर लगवाने के लिए बीजेपी विधायक ने विधायक निधि से दिए 25 लाख रुपये
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान नेता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा की चौधरी अजीत सिंह का निधन पूरी किसान बिरादरी के लिए अपूरणीय क्षति है. किसान आंदोलन की सफलता ही चौधरी अजीत सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि होगी. उन्होंने कहा कि चौधरी अजीत सिंह के परिवार ने किसानों के भले के लिए बहुत से प्रयास किए हैं.
राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों ने दिल्ली में अपना बड़ा वकील खो दिया. जब 28 जनवरी को किसान आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया गया तब चौधरी अजित ने बड़ा हौसला दिया. उन्होंने सीधे फोन करके कहा कि डरना नहीं, हटना नहीं. हम सब साथ हैं. राकेश टिकैत ने यह बातें रूंधे हुए गले से कहीं. उन्होंने कहा चौधरी साहब का किसानों को बड़ा सहारा था. आंदोलन के बीच-बीच में भी बात करते रहे और हमेशा हौसला अफजाई करते रहे. चौधरी साहब का जाना किसानों के लिए बहुत बड़ा नुकसान है. ऐसा नुकसान, जिसका आकलन भी मुश्किल है.
टिकैत ने कहा चौधरी साहब का जीवन हमेशा किसानों से जुड़ा रहा, गांव के लोगों से जुड़ा रहा. उनकी विचारधारा पूर्ण रूप से गांव और गरीब की थी. जीवन भर वे गांव और गरीब के लिए काम करते रहे. दिल्ली में आने वाले गांव के हर आदमी को हर एक किसान को एक अहसास रहता था कि उनका एक घर दिल्ली में भी है. गांव से लोग आकर चौधरी साहब को हर बात बताते थे और चौधरी साहब भी उनकी बात बड़े चाव से सुनते थे. गांव की बात करते थे.
जब-जब किसान आंदोलन हुए, उनके बड़ा सहयोग रहा. चौधरी साहब पद पर रहें या न रहें, लेकिन किसानों को उन पर भरोसा था. चौधरी अजित सिंह के जाने से तो मानों दिल्ली में किसानों ठिकाना ही खत्म हो गया. किसान के लिए बड़े कष्ट का विषय है, दुखद है.
टिकैत ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे चौधरी अजीत सिंह ने भी किसानों के लिए संघर्ष जारी रखा. किसान और किसानी की चिंता करते रहे. सरकारों में भागीदारी करते हुए उन्होंने बहुत से किसान हित में निर्णय करवाएं. इसके लिए किसान बिरादरी सदैव उनकी ऋणी रहेगी. किसान आंदोलन के प्रति भी उनकी चिंता लगातार रहती थी. समय-समय पर किसान आंदोलन के संबंध में जानकारी लेते रहते थे. इस दौरान डीपी सिंह, राजवीर सिंह जादौन, बलजिंदर सिंह मान, ओमपाल मलिक, होशियार सिंह आदि किसान नेता मौजूद रहे.