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गाजियाबाद: दाने-दाने को मोहताज हुए जम्मू के मजदूर! लगा रहे मदद की गुहार

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Published : Apr 25, 2020, 1:50 PM IST

Updated : Apr 25, 2020, 8:46 PM IST

साहिबाबाद के ट्रांसपोर्ट एरिया में ईटीवी भारत को करीब ऐसे 40 मजदूरों का पता चला है. जिनके लिए लॉकडाउन के कारण खाने-पीने की व्यवस्था नहीं हो पाई है. इनमें से ज्यादातर जम्मू के रहने वाले हैं. उनके पास रुपये भी खत्म हो चुके हैं. थोड़ी बहुत मदद इनके ट्रांसपोर्टर भेज रहे हैं. लेकिन वो सबके लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हो पा रहे हैं.

migrant transport workers trapped in lockdown
प्रवासी ट्रांसपोर्ट मजदूर परेशान

नई दिल्ली/गाजियाबाद: लॉकडाउन के दौरान ट्रांसपोर्ट से जुड़े मजदूर लकड़ियां एकत्रित करके उन्हें जला रहे हैं और फिर उन पर रोटियां बना रहे हैं. लकड़ियों का धुआं आंखों को जला रहा है. मजदूरों की ये व्यथा आपकी आंखों में आंसू ला देगी. मजदूरों का रोजगार पूरी तरह से खत्म हो चुका है और वो फंसे हुए हैं. गाजियाबाद प्रशासन की ओर से कोई मदद भी नहीं पहुंच पा रही है.

प्रवासी ट्रांसपोर्ट मजदूर परेशान
मजबूरी में मजबूती कायम
साहिबाबाद के ट्रांसपोर्ट एरिया में ईटीवी भारत को करीब ऐसे 40 मजदूरों का पता चला हैं. जिनके लिए लॉकडाउन के कारण खाने-पीने की व्यवस्था नहीं हो पाई है. इनमें से ज्यादातर जम्मू के रहने वाले हैं. उनके पास रुपये भी खत्म हो चुके हैं. थोड़ी बहुत मदद इनके ट्रांसपोर्टर भेज रहे हैं. लेकिन वो सबके लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हो पा रहे हैं.


उधार के भरोसे पक रही है रोटियां!

मजदूरों की संख्या ज्यादा है और मदद ना के बराबर है. इसलिए कहीं से थोड़ा बहुत आटा एकत्रित किया और फिर लकड़ियां एकत्रित करके उन्हें जला लिया. इस पर ही रोटी बना रहे हैं. आंखों में लकड़ी से उठने वाला धुआं आंखें जला देता है. ऊपर से भीषण गर्मी परेशान करती है. कुछ दिनों तक उधार मांग कर भी खाने-पीने का सामान एकत्रित किया. लेकिन अब उधार मिलना भी बंद हो गया है. फिर भी कठिन परिस्थिति में डटे हुए हैं.


पशुओं के खाने की भी व्यवस्था में जुटे

जिस ट्रांसपोर्ट एरिया में ये फंसे हैं. वहां पर कुछ पशु भी मौजूद हैं और ये मजदूर उन पशुओं के खाने की व्यवस्था भी कर रहे हैं. इससे इनका देश के प्रति जज्बा नजर आता है. साथ ही इनकी मानसिक मजबूती भी नजर आती है. मजदूरों ने हमारे माध्यम से सरकार से गुहार लगाई है, कि उनकी कोई मदद की जाए.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: लॉकडाउन के दौरान ट्रांसपोर्ट से जुड़े मजदूर लकड़ियां एकत्रित करके उन्हें जला रहे हैं और फिर उन पर रोटियां बना रहे हैं. लकड़ियों का धुआं आंखों को जला रहा है. मजदूरों की ये व्यथा आपकी आंखों में आंसू ला देगी. मजदूरों का रोजगार पूरी तरह से खत्म हो चुका है और वो फंसे हुए हैं. गाजियाबाद प्रशासन की ओर से कोई मदद भी नहीं पहुंच पा रही है.

प्रवासी ट्रांसपोर्ट मजदूर परेशान
मजबूरी में मजबूती कायम
साहिबाबाद के ट्रांसपोर्ट एरिया में ईटीवी भारत को करीब ऐसे 40 मजदूरों का पता चला हैं. जिनके लिए लॉकडाउन के कारण खाने-पीने की व्यवस्था नहीं हो पाई है. इनमें से ज्यादातर जम्मू के रहने वाले हैं. उनके पास रुपये भी खत्म हो चुके हैं. थोड़ी बहुत मदद इनके ट्रांसपोर्टर भेज रहे हैं. लेकिन वो सबके लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हो पा रहे हैं.


उधार के भरोसे पक रही है रोटियां!

मजदूरों की संख्या ज्यादा है और मदद ना के बराबर है. इसलिए कहीं से थोड़ा बहुत आटा एकत्रित किया और फिर लकड़ियां एकत्रित करके उन्हें जला लिया. इस पर ही रोटी बना रहे हैं. आंखों में लकड़ी से उठने वाला धुआं आंखें जला देता है. ऊपर से भीषण गर्मी परेशान करती है. कुछ दिनों तक उधार मांग कर भी खाने-पीने का सामान एकत्रित किया. लेकिन अब उधार मिलना भी बंद हो गया है. फिर भी कठिन परिस्थिति में डटे हुए हैं.


पशुओं के खाने की भी व्यवस्था में जुटे

जिस ट्रांसपोर्ट एरिया में ये फंसे हैं. वहां पर कुछ पशु भी मौजूद हैं और ये मजदूर उन पशुओं के खाने की व्यवस्था भी कर रहे हैं. इससे इनका देश के प्रति जज्बा नजर आता है. साथ ही इनकी मानसिक मजबूती भी नजर आती है. मजदूरों ने हमारे माध्यम से सरकार से गुहार लगाई है, कि उनकी कोई मदद की जाए.

Last Updated : Apr 25, 2020, 8:46 PM IST
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