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पलवल: गढ़ी पाटी गांव में युवाओं ने मनाया कारगिल विजय दिवस

करगिल की लड़ाई में पलवल के गांव गढ़ी पट्टी के निवासी लांस नायक राजवीर सिंह शहीद हो गए थे. उनकी याद में परिजन हर साल कारगिल विजय दिवस के अवसर पर रागनियां आयोजित कराते हैं. इस साल कोरोना की वजह से ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया जा रहा है.

youth celebrates kargil victory day in garhi patti village in palwal
पलवल: गढ़ी पाटी गांव में युवाओं ने मनाया कारगिल विजय दिवस
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Published : Jul 26, 2020, 10:06 PM IST

नई दिल्ली/पलवल: 1999 में हुई कारगिल की लड़ाई में भारत ने विजय हासिल की थी. देश के सैकड़ों जवान इस लड़ाई में शहीद हुए थे. इसी लड़ाई में हरियाणा के पलवल जिले के गांव गढ़ी पट्टी निवासी लांस नायक राजवीर सिंह भी शहीद हो गए थे. करगिल लड़ाई को लेकर देश में प्रतिवर्ष करगिल विजय दिवस मनाया जाता है. रविवार को करगिल शहीद राजवीर सिंह की प्रतिमा पर युवाओं ने फूल माला अर्पित कर मनाया और शहीदों को नमन किया. युवाओं ने शहीद राजवीर सिंह के नाम से अधूरा पड़ा स्टेडियम को बनाने की मांग की है.

युवाओं ने मनाया कारगिल विजय दिवस

शहीद के भाई ने बताई शौर्य गाथा

शहीद के भाई प्रताप सिंह ने बताया कि कारगिल की लड़ाई एक अहम लड़ाई थी और इस लड़ाई में शहीद राजवीर सिंह ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया. राजवीर सिंह ने अपने परिवार, अपने गांव व जिले के साथ-साथ प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है. हमें उनके बलिदान को कभी नहीं भुलाना चाहिए क्योंकि हम तो अपने घरों में सोते रहते हैं और देश की रक्षा के लिए हमारे जवान दुश्मनों की गोली सीने पर खाते हैं.

उन्होंने कहा कि शहीदों की याद में प्रतिवर्ष गढ़ी पट्टी गांव में रागनियां कराई जाती है, लेकिन अबकी बार कोरोना की वजह से रक्तदान शिविर लगाया गया. शहीद राजवीर सिंह दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद 11 मार्च 1988 को भारतीय सेना में भर्ती हुए, वो 17 जाट रेजीमेंट में थे. प्रताप सिंह ने बताया कि शहीद राजवीर सिंह का खेलों की तरफ काफी रुझान था और सामाजिक कार्य में बहुत रूचि रखते थे. उनका लोगों के प्रति व्यवहार काफी सकारात्मक था. वो शुरू से ही राष्ट्रहित के कार्यों की तरफ उनका रुझान था. दसवीं तक की पढ़ाई करने के बाद वह फौज में भर्ती हो गए थे. 7 जुलाई 1999 को राजवीर सिंह कारगिल की लड़ाई में दुश्मन से लड़ते हुए शहीद हो गए. उनके सीने में 7 गोलियां लगी थी.

शहीद राजवीर सिंह की याद में उनका परिवार हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर गांव के स्कूल में जरूरतमंद बच्चों को किताबें, पेंसिल, कॉपी वितरित करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि राजवीर के नाम पर होडल से गढ़ी पट्टी सड़क मार्ग का नाम शहीद राजवीर सिंह मार्ग रखा गया है. गांव के स्कूल का नाम शहीद राजवीर सिंह उच्च विद्यालय रखा गया है.

गांव के युवाओं ने कहा कि वो बहुत खुश हैं कि उनके गांव के नौजवान ने देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया. उनकी प्रेरणा से आज गांव के 3 सौ युवा आर्मी में हैं. उन्होंने हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार से मांग की है कि आज से 20 साल पहले शहीद राजवीर सिंह के नाम पर जो खेल स्टेडियम बनाया जा रहा था. वो आज भी अधूरा पड़ा हुआ है. उसको जल्द पूरा किया जाए. क्योंकि आज गांव के सैकड़ों युवा आर्मी की तैयारी सड़क पर करते हैं. जो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

नई दिल्ली/पलवल: 1999 में हुई कारगिल की लड़ाई में भारत ने विजय हासिल की थी. देश के सैकड़ों जवान इस लड़ाई में शहीद हुए थे. इसी लड़ाई में हरियाणा के पलवल जिले के गांव गढ़ी पट्टी निवासी लांस नायक राजवीर सिंह भी शहीद हो गए थे. करगिल लड़ाई को लेकर देश में प्रतिवर्ष करगिल विजय दिवस मनाया जाता है. रविवार को करगिल शहीद राजवीर सिंह की प्रतिमा पर युवाओं ने फूल माला अर्पित कर मनाया और शहीदों को नमन किया. युवाओं ने शहीद राजवीर सिंह के नाम से अधूरा पड़ा स्टेडियम को बनाने की मांग की है.

युवाओं ने मनाया कारगिल विजय दिवस

शहीद के भाई ने बताई शौर्य गाथा

शहीद के भाई प्रताप सिंह ने बताया कि कारगिल की लड़ाई एक अहम लड़ाई थी और इस लड़ाई में शहीद राजवीर सिंह ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया. राजवीर सिंह ने अपने परिवार, अपने गांव व जिले के साथ-साथ प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है. हमें उनके बलिदान को कभी नहीं भुलाना चाहिए क्योंकि हम तो अपने घरों में सोते रहते हैं और देश की रक्षा के लिए हमारे जवान दुश्मनों की गोली सीने पर खाते हैं.

उन्होंने कहा कि शहीदों की याद में प्रतिवर्ष गढ़ी पट्टी गांव में रागनियां कराई जाती है, लेकिन अबकी बार कोरोना की वजह से रक्तदान शिविर लगाया गया. शहीद राजवीर सिंह दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद 11 मार्च 1988 को भारतीय सेना में भर्ती हुए, वो 17 जाट रेजीमेंट में थे. प्रताप सिंह ने बताया कि शहीद राजवीर सिंह का खेलों की तरफ काफी रुझान था और सामाजिक कार्य में बहुत रूचि रखते थे. उनका लोगों के प्रति व्यवहार काफी सकारात्मक था. वो शुरू से ही राष्ट्रहित के कार्यों की तरफ उनका रुझान था. दसवीं तक की पढ़ाई करने के बाद वह फौज में भर्ती हो गए थे. 7 जुलाई 1999 को राजवीर सिंह कारगिल की लड़ाई में दुश्मन से लड़ते हुए शहीद हो गए. उनके सीने में 7 गोलियां लगी थी.

शहीद राजवीर सिंह की याद में उनका परिवार हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर गांव के स्कूल में जरूरतमंद बच्चों को किताबें, पेंसिल, कॉपी वितरित करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि राजवीर के नाम पर होडल से गढ़ी पट्टी सड़क मार्ग का नाम शहीद राजवीर सिंह मार्ग रखा गया है. गांव के स्कूल का नाम शहीद राजवीर सिंह उच्च विद्यालय रखा गया है.

गांव के युवाओं ने कहा कि वो बहुत खुश हैं कि उनके गांव के नौजवान ने देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया. उनकी प्रेरणा से आज गांव के 3 सौ युवा आर्मी में हैं. उन्होंने हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार से मांग की है कि आज से 20 साल पहले शहीद राजवीर सिंह के नाम पर जो खेल स्टेडियम बनाया जा रहा था. वो आज भी अधूरा पड़ा हुआ है. उसको जल्द पूरा किया जाए. क्योंकि आज गांव के सैकड़ों युवा आर्मी की तैयारी सड़क पर करते हैं. जो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

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