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ग्राहक की किल्लत से जूझ रहे थोक किराना व्यापारी, ठप पड़ा धंधा - faridabad news

अनलॉक शुरू हो चुका है लेकिन किराने की दुकान और थोक व्रिकेताओं की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है. अनलॉक के बाद उनकी बिक्री मात्र 20 प्रतिशत रह गई है. होलसेल विक्रेताओं का मानना है कि आर्थिक मंदी से उबरने के लिए उन्हें कम से कम एक साल लग सकता है.

wholesaler and shopkeepers are facing financial crisis due to lockdown
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Published : Aug 17, 2020, 10:16 PM IST

नई दिल्ली/फरीदाबाद: कोरोना के कारण पहले लॉकडाउन लगा और अब अनलॉक का दौरा शुरू हो चुका है. धीरे-धीरे व्यवसाय खुल रहे हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने की कोशिश जारी है, लेकिन किराने की दुकान और होलसेल विक्रेताओं की हालत अभी भी खराब है. अनलॉक के बाद उनकी बिक्री मात्र 20 प्रतिशत रह गई है. होलसेल विक्रेताओं का मानना है कि आर्थिक मंदी से उबरने के लिए उन्हें कम से कम एक साल लग सकता है.

ग्राहक की किल्लत से जूझ रहे थोक किराना व्यापारी

आपको बता दें कि परचून के सामान की बिक्री जिसमें आटा, दाल, चावल, मिर्च, मसाले और खाने-पीने के दूसरे आइटम आते हैं उनकी बिक्री केवल 20% ही रह गई है. इसकी वजह ये है की पहले बाहर के जो मजदूर फरीदाबाद में काम कर रहे थे वो अपने घरों को लौट गए हैं और उनमें से बहुत ही कम संख्या में मजदूर वापस आए हैं.

थोक विक्रेताओं का कहना है की कंपनियों में काम करने वाले मजदूर भारी मात्रा में सामान उठाकर लेकर जाते थे. जिससे उनकी सेल अच्छी होती थी, लेकिन अब मजदूर ही नहीं है तो सेल भी नहीं हो रही है. लोगों के पास पैसे की कमी है. ऐसे में लोग बहुत ही कम मात्रा में सामान खरीद रहे हैं.

लॉकडाउन खुलने के बाद अब अनलॉक शुरू हुआ और शादी समारोह में लोगों की लिमिट तय की गई. लिमिट तय होने के बाद अब ज्यादा लोग ना बारात में जाते हैं और ना ही शादी की पार्टी में. ऐसे में थोक विक्रेताओं की सेल कम होने का ये भी एक मुख्या कारण है. कुछ थोक विक्रेताओं ने बताया कि ट्रांसपोर्ट महंगा होने के कारण सामान की कॉस्ट भी बढ़ गई है.

इन थोक विक्रेताओं का मानना है की लॉकडाउन के बाद अनलॉक-3 भले ही शुरू हो गया हो, लेकिन वो अभी भी मंदी की चपेट में हैं और जब तक कोरोना खत्म नहीं होगा, तब तक मंदी की मार से बाहर निकलना मुश्किल है.

नई दिल्ली/फरीदाबाद: कोरोना के कारण पहले लॉकडाउन लगा और अब अनलॉक का दौरा शुरू हो चुका है. धीरे-धीरे व्यवसाय खुल रहे हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने की कोशिश जारी है, लेकिन किराने की दुकान और होलसेल विक्रेताओं की हालत अभी भी खराब है. अनलॉक के बाद उनकी बिक्री मात्र 20 प्रतिशत रह गई है. होलसेल विक्रेताओं का मानना है कि आर्थिक मंदी से उबरने के लिए उन्हें कम से कम एक साल लग सकता है.

ग्राहक की किल्लत से जूझ रहे थोक किराना व्यापारी

आपको बता दें कि परचून के सामान की बिक्री जिसमें आटा, दाल, चावल, मिर्च, मसाले और खाने-पीने के दूसरे आइटम आते हैं उनकी बिक्री केवल 20% ही रह गई है. इसकी वजह ये है की पहले बाहर के जो मजदूर फरीदाबाद में काम कर रहे थे वो अपने घरों को लौट गए हैं और उनमें से बहुत ही कम संख्या में मजदूर वापस आए हैं.

थोक विक्रेताओं का कहना है की कंपनियों में काम करने वाले मजदूर भारी मात्रा में सामान उठाकर लेकर जाते थे. जिससे उनकी सेल अच्छी होती थी, लेकिन अब मजदूर ही नहीं है तो सेल भी नहीं हो रही है. लोगों के पास पैसे की कमी है. ऐसे में लोग बहुत ही कम मात्रा में सामान खरीद रहे हैं.

लॉकडाउन खुलने के बाद अब अनलॉक शुरू हुआ और शादी समारोह में लोगों की लिमिट तय की गई. लिमिट तय होने के बाद अब ज्यादा लोग ना बारात में जाते हैं और ना ही शादी की पार्टी में. ऐसे में थोक विक्रेताओं की सेल कम होने का ये भी एक मुख्या कारण है. कुछ थोक विक्रेताओं ने बताया कि ट्रांसपोर्ट महंगा होने के कारण सामान की कॉस्ट भी बढ़ गई है.

इन थोक विक्रेताओं का मानना है की लॉकडाउन के बाद अनलॉक-3 भले ही शुरू हो गया हो, लेकिन वो अभी भी मंदी की चपेट में हैं और जब तक कोरोना खत्म नहीं होगा, तब तक मंदी की मार से बाहर निकलना मुश्किल है.

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