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कांवड़ यात्रा: भोले के भक्तों की झांकी देख खुश हो जाएंगे आप, दे रहे हैं कुछ खास संदेश - बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

हर साल की तरह इस बार भी कांवड़िए कई तरह की झांकियों के साथ निकल रहे हैं. इसी कड़ी में एक झांकी ऐसी दिखी जो देश और सामाज के लिए कई तरह के संदेश दे रही है.

भोले के भक्तों की झांकी
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Published : Jul 28, 2019, 9:55 AM IST


नई दिल्ली: सावन का पावन महीना चल रहा है. कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल भर रहे हैं, और अपने आसपास के शिव मंदिरों में गंगाजल चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करके उनका आशीर्वाद ले रहे हैं.

भोले के भक्तों की झांकी

सड़कों पर दिख रही अलग-अलग झांकियां
वहीं सड़कों पर कांवड़ यात्रियों की अलग-अलग झांकियां भी देखने को मिल रही है. इसी कड़ी में ईटीवी भारत की टीम ने कुछ कांवड़ियों से मुलाकात की, जो हरिद्वार से गंगाजल भरकर पैदल वापस लौट रहे थे.

कांवड़ की झांकियों द्वारा संदेश
इसी कड़ी एक कांवड़ियों की झांकी के पीछे पोस्टर लगा हुआ था. जिस पर लिखा है 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ'. वहीं इस झांकी में एक संदेश पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी था, जिसमें पेड़ लगाने की बात कही गई थी. साथ ही ट्रैफिक नियमों के पालन करने का भी संदेश दिया गया था. वहीं सामने की तरफ एक जवान की तस्वीर लगाई गई थी.

शहीद जवान की लगाई तस्वीर
कांवड़ियों का कहना था कि यह जवान हमारे पड़ोस के गांव के हैं, जो पुलवामा अटैक में शहीद हो गए थे. कांवड़ यात्रा पर भले ही कुछ लोग कई तरह के आरोप लगाते हैं. लेकिन कहीं ना कहीं बहुत सारे ऐसे कांवड़िए हैं जो अपनी यात्रा के दौरान कई सामाजिक संदेश देते हुए नजर आ रहे हैं.

उन्हीं में से एक यह कांवड़ यात्रा है जिसमें झांकी के चारों तरफ से कोई ना कोई संदेश दिया जा रहा है. जो समाज के लिए बहुत जरूरी है. कांवड़ अपने भक्ति के साथ ही अपने सामाजिक दायित्वों का भी निर्वाहन कर रहे हैं और अपनी आस्था के अनुसार हरिद्वार से गंगाजल भरकर पैदल अपने गांव के शिव मंदिर में जल चढ़ाने के लिए निकले हुए हैं.


नई दिल्ली: सावन का पावन महीना चल रहा है. कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल भर रहे हैं, और अपने आसपास के शिव मंदिरों में गंगाजल चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करके उनका आशीर्वाद ले रहे हैं.

भोले के भक्तों की झांकी

सड़कों पर दिख रही अलग-अलग झांकियां
वहीं सड़कों पर कांवड़ यात्रियों की अलग-अलग झांकियां भी देखने को मिल रही है. इसी कड़ी में ईटीवी भारत की टीम ने कुछ कांवड़ियों से मुलाकात की, जो हरिद्वार से गंगाजल भरकर पैदल वापस लौट रहे थे.

कांवड़ की झांकियों द्वारा संदेश
इसी कड़ी एक कांवड़ियों की झांकी के पीछे पोस्टर लगा हुआ था. जिस पर लिखा है 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ'. वहीं इस झांकी में एक संदेश पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी था, जिसमें पेड़ लगाने की बात कही गई थी. साथ ही ट्रैफिक नियमों के पालन करने का भी संदेश दिया गया था. वहीं सामने की तरफ एक जवान की तस्वीर लगाई गई थी.

शहीद जवान की लगाई तस्वीर
कांवड़ियों का कहना था कि यह जवान हमारे पड़ोस के गांव के हैं, जो पुलवामा अटैक में शहीद हो गए थे. कांवड़ यात्रा पर भले ही कुछ लोग कई तरह के आरोप लगाते हैं. लेकिन कहीं ना कहीं बहुत सारे ऐसे कांवड़िए हैं जो अपनी यात्रा के दौरान कई सामाजिक संदेश देते हुए नजर आ रहे हैं.

उन्हीं में से एक यह कांवड़ यात्रा है जिसमें झांकी के चारों तरफ से कोई ना कोई संदेश दिया जा रहा है. जो समाज के लिए बहुत जरूरी है. कांवड़ अपने भक्ति के साथ ही अपने सामाजिक दायित्वों का भी निर्वाहन कर रहे हैं और अपनी आस्था के अनुसार हरिद्वार से गंगाजल भरकर पैदल अपने गांव के शिव मंदिर में जल चढ़ाने के लिए निकले हुए हैं.

Intro:सावन का पावन महीना चल रहा है कांवड़िए कांवर लेकर हरिद्वार से गंगा जल भर रहे हैं और अपने आसपास के शिव मंदिरों में गंगाजल चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर रहे हैं और उनका आशीर्वाद पा रहे हैं सड़कों पर कांवर यात्रियों की अलग-अलग झांकियां भी देखने को मिल रही है इसी कड़ी में ईटीवी के टीम को हरिद्वार से गंगाजल भरकर अपने गांव "गौछी बल्लबगढ़ फरीदाबाद हरियाणा पैदल लौट रहे कुछ कांवरियों से हमारी मुलाकात हुई और हमने उनसे बात की दरअसल उन लोगों ने जो अपनी झांकी बना रखी थी उसमें सामाजिक संदेश दिए गए थे जिसमें पर्यावरण संरक्षण, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ,ट्रैफिक नियमों का पालन साथ ही उन्हीं के गांव के पास के गांव के पुलवामा के शहीद श्रद्धांजलि का भी संदेश दिया गया था ।


Body:हरियाणा के बल्लभगढ़ फरीदाबाद के गांव गौछी के निवासी हरिद्वार से गंगाजल भरकर पैदल वापस लौट रहे थे तभी हमारी मुलाकात उनसे दिल्ली के मथुरा रोड पर हुई उनके झांकी के पीछे पोस्टर लगा हुआ था जिस पर लिखा हुआ था "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" वही झांकी के एक तरफ संदेश दिया गया था पर्यावरण संरक्षण को लेकर जिसमें पेड़ लगाने की बात कही गई थी वहीं झांकी के एक तरफ ट्रैफिक नियमों के पालन करने का संदेश दिया गया था वही सामने की तरफ एक जवान की तस्वीर लगाई गई थी उन कावड़ियों का कहना थस कि यह जवान हमारे गांव के पड़ोस के गांव के हैं जो पुलवामा अटैक में शहीद हो गए थे यही चार संदेश ए लोग अपने कांवर यात्रा के दौरान हरिद्वार से लेकर अपने गांव गौछी लेकर के जा रहे थे ।

कांवर यात्रा पर भले ही कुछ लोग कई तरह की आरोप लगाते हैं लेकिन कहीं ना कहीं बहुत सारे ऐसे कांवरिया हैं जो अपनी यात्रा के दौरान कई सामाजिक संदेश देते हुए नजर आ रहे हैं उन्हीं में से एक यह कावड़ यात्रा है जिसमें झांकी के चारों तरफ कोई ना कोई संदेश दिया जा रहा है जो समाज के लिए बहुत जरूरी है ।


Conclusion:अपनी भक्ति के साथ ही कांवरियों ने अपने सामाजिक दायित्वों का भी निर्वाहन कर रहे हैं और अपनी आस्था के अनुसार हरिद्वार से गंगाजल भरकर पैदल अपने गांव के शिव मंदिर में जल चढ़ाने के लिए निकले हुए हैं लेकिन वह भक्ति के साथ ही अपने सामाजिक कर्तव्यों का भी निर्वाहन कर रहे हैं और अपनी कांवर यात्रा के दौरान झांकी में समाजिक संदेशों को भी दे रहे हैं जो कि काफी प्रेरणादायक है ।
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