नई दिल्ली/फरीदाबाद: हर शहर छोटे-छोटे सेक्टरों और कॉलोनियों से बनता है. इन सेक्टरों और कॉलोनियों की देखरेख में RWA यानी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन का अहम रोल होता है. कॉलोनी के विकास के लेकर सामाजिक कार्यक्रमों में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं.
साथ ही लोगों की परेशानियों को दूर करने में प्रशासन और लोगों के बीच एक मुख्य भूमिका निभाती हैं. अगर बात औद्योगिक नगर फरीदाबाद की करें, तो यहां 100 के करीब कॉलोनियां हैं और करीब 71 कॉलोनियों में RWA का संचालन हो रहा है.
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विकसित हो रहे शहरों में आज भी कई तरह की समस्याएं होती हैं. पक्की सड़कों से लेकर साफ-सफाई और यहां तक कि पीने का पानी भी, इन्हीं समस्याओं को दूर करने और प्रशासन के साथ तालमेल रखने में RWA का अहम योगदान होता है. वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य और प्रधान रोजाना कॉलोनी में हो रहे कामकाज पर नजर रखते हैं और ये कोशिश करते हैं कॉलोनी में रह रहे लोगों को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो.
RWA को पैसा कहां से आता है और इसकी चुनाव प्रक्रिया क्या है?
आपके मन में एक सवाल जरूर आ रहा होगा कि अकेले RWA इतनी सारी जिम्मेदारी कैसे संभाल रहा है और आखिर RWA का फंडिंग सोर्स क्या है? तो हम आपको बता दें कि जिस भी कॉलोनी में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन का गठन होता है तो वहां के निवासी RWA को मासिक चार्ज देते हैं. ये चार्ज बेहद कम होता है. साथ ही वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान और सदस्यों का चुनाव भी कॉलोनी में रहने वाले लोग ही करते हैं. ज्यादातर कॉलोनियों में ये सर्वसम्मति से कर लिया जाता है.
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किसी भी शहर को विकसित तभी कहा जाएगा जब वहां की कॉलोनियों और सेक्टरों में मूलभूत सुविधाओं की कमी ना हो. इन्हीं कमियों को पूरा करने की जिम्मेदारी RWA के कंधों पर रहती है. आरडब्ल्यूए की टीम प्रशासन और स्थानीय नेताओं के साथ तालमेल भी रखती है, ताकि लोगों की समस्याओं को जल्द से जल्द दूर किया जाए.