नई दिल्ली: बीते 10 सालों से भी ज्यादा समय से लंबित होलम्बी कला का मेगा टर्मिनल प्रोजेक्ट बहुत जल्दी जमीनी हकीकत बनता नजर आएगा. उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल ने इस प्रोजेक्ट में बदलाव करते हुए अपनी मौजूदा जमीन पर ही इसे आगे बढ़ाने का फैसला किया है. अधिकारियों का कहना है कि जल्दी इसका निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.
दरअसल, होलम्बी कलां में एक मेगा टर्मिनल बनाकर यात्री गाड़ियों के साथ-साथ माल गाड़ियों को ठहराने का प्रस्ताव था. इस काम में 284 हेक्टयर जमीन चाहिए थी लेकिन इतनी जमीन रेलवे के पास नहीं थी. रेलवे की अपनी लगभग 40 हेक्टयर जमीन के अलावा साल 2009 में डीडीए की ओर से 33 हेक्टेयर जमीन दी लेकिन इसके बाद भी जगह असल जरूरत से बहुत कम थी. इसी दौरान डीडीए ने अपनी जमीन के रेट बढ़ाए भी लेकिन उसके बावजूद पूरी जमीन नहीं दे पाई. ऐसे में ये प्रोजेक्ट सालों लटका रहा.
अधिकारियों की मानें तो समाधान के रूप में रेलवे की अपनी जमीन पर अब यहां सिर्फ यात्री गाड़ियों के लिए ही टर्मिनल बनाने का फैसला किया गया है. प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करने के लिए रोडमैप भी तैयार कर लिया गया है जिसके तहत पूरा काम 2 फेज में किया जाएगा. पहले फेज में 5 प्लेटफार्म और 6 सिक लाइन और 2 वाशिंग लाइन बनाई जाएंगी जबकि दूसरे फेज में 2 नए प्लेटफार्म, 5 सिक लाइन और 3 वाशिंग लाइन बनाई जाएंगी. इस तरह पूरा काम समयबद्ध तरीके से कर लिया जाएगा.
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि पहले जमीन नहीं मिलने के चलते यह प्रोजेक्ट लटका हुआ था. हालांकि अब यहां सिर्फ कोचिंग टर्मिनल बनाए जाने की बात चल रही है. उन्होंने कहा कि अभी के समय में यहां पर माल गाड़ियों के लिए भी टर्मिनल बनाना बहुत जरूरी है लेकिन उसके लिए अभी बातचीत चल रही हैं और इसका समाधान निकाला जाएगा. उन्होंने कहा कि अब इस प्रोजेक्ट को लेट नहीं किया जाएगा और बहुत जल्दी इसका काम शुरू हो जाएगा.
बता दें साल 2008 के इस प्रोजेक्ट को नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली जैसे रेलवे स्टेशनों पर गाड़ियों का बोझ कम करने के लिए घोषित किया गया था. उस समय यह योजना बनाई गई थी कि दिल्ली की अलग-अलग दिशाओं में बाहरी छोरों पर टर्मिनल बनाए जाएंगे जो उस तरफ की गाड़ियों को संभालने के लिए होंगे.
इस योजना में ही बिजवासन, आनंद विहार और शकूरबस्ती पर टर्मिनल बनाया जाना तय किया गया था. दावा है कि यह प्रोजेक्ट पूरे हो जाएंगे तो रेल यात्रियों की सहूलियत बहुत बढ़ जाएगी ऐसे में न सिर्फ गाड़ियों को समय पर चला कर यात्रियों का समय बचाया जा सकेगा बल्कि गाड़ियों की संख्या भी बढ़ पाएगी.