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पलवल: कृषि कानून के विरोध में किसानों ने किया पीएम मोदी का विरोध

किसानों का कहना है कि आज उन्हें इस आंदोलन में 36 बिरादरी की भरपूर समर्थन मिल रहा है. सरकार के बीच इन काले कानूनों को लेकर कब की सहमती बन हो गई होती, लेकिन वो किसानो की मन की बात को सुनना ही नहीं चाहते है.

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पीएम मोदी का विरोध
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Published : Dec 31, 2020, 10:40 PM IST

नई दिल्ली/पलवल: किसान आंदोलन को लेकर जहाँ किसान नेताओ के साथ अब तक सरकार की कई दौर की वार्ताए हो चुकी है, लेकिन बावजूद इसके सरकार का किसानों की मांगों को लेकर किसी तरह का कोई सार्थक परिणाम देखने को नही मिला. जिसे देखते हुए आक्रोशित किसानों ने पलवल के अटोहां चौक पर मार्ग संकेतक पर प्रधानमंत्री मोदी का पुतला बना कर विरोध किया.

किसानों ने किया पीएम मोदी का विरोध

तीनों बिल हितकारी नहीं है- किसान

आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर किसी तरह की सहमति नही बनती. तब तक मोदी जी को थर्ड डिग्री देने का यह कार्यक्रम युही जारी रहेगा. क्योंकि ये तीनो बिल किसी भी सूरत में किसानो के हित में नहीं है और जब तक सरकार इन काले कानूनों को वापस नहीं ले लेती है. तब तक उनका आंदोलन यूही जारी रहेगा.

ये भी पढ़िए: अलविदा 2020: कोरोना से प्रभावित रहे इस साल में हरियाणा ने क्या खोया और क्या पाया

'पीएम किसानों की बात सुनने के लिए तैयार नहीं'

किसानों का कहना है कि एक और तो देश के प्रधानमंत्री मन की बात करते है. दूसरी और वो किसानों की बात सुनने के लिए तैयार नहीं है. अगर मोदी जी धरना स्थल पर पहुंचकर किसानों के बीच में आकर उनकी मन की बातों को सुनते तो अब तक किसानों और सरकार के बीच इन काले कानूनों को लेकर कब की सहमती बन गई होती.

नई दिल्ली/पलवल: किसान आंदोलन को लेकर जहाँ किसान नेताओ के साथ अब तक सरकार की कई दौर की वार्ताए हो चुकी है, लेकिन बावजूद इसके सरकार का किसानों की मांगों को लेकर किसी तरह का कोई सार्थक परिणाम देखने को नही मिला. जिसे देखते हुए आक्रोशित किसानों ने पलवल के अटोहां चौक पर मार्ग संकेतक पर प्रधानमंत्री मोदी का पुतला बना कर विरोध किया.

किसानों ने किया पीएम मोदी का विरोध

तीनों बिल हितकारी नहीं है- किसान

आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर किसी तरह की सहमति नही बनती. तब तक मोदी जी को थर्ड डिग्री देने का यह कार्यक्रम युही जारी रहेगा. क्योंकि ये तीनो बिल किसी भी सूरत में किसानो के हित में नहीं है और जब तक सरकार इन काले कानूनों को वापस नहीं ले लेती है. तब तक उनका आंदोलन यूही जारी रहेगा.

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'पीएम किसानों की बात सुनने के लिए तैयार नहीं'

किसानों का कहना है कि एक और तो देश के प्रधानमंत्री मन की बात करते है. दूसरी और वो किसानों की बात सुनने के लिए तैयार नहीं है. अगर मोदी जी धरना स्थल पर पहुंचकर किसानों के बीच में आकर उनकी मन की बातों को सुनते तो अब तक किसानों और सरकार के बीच इन काले कानूनों को लेकर कब की सहमती बन गई होती.

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