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'संकट मोचन हैं आपके सांसद, वानर सेना बन दीजिए उनका साथ'

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Published : Mar 30, 2019, 3:10 PM IST

Updated : Mar 30, 2019, 10:25 PM IST

वीके सिंह को काफी मेहनत के बाद गाजियाबद से टिकट हासिल हुआ. पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरना भी के उनके के लिए बेहद जरूरी है. बीजेपी की स्थानीय इकाई में भी कई नेता ऐसे पाए गए हैं जो वी के सिंह के खिलाफ हैं.

मोदी लहर में जीते थे वीके सिंह

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कहते हैं हर सफल नागरिक के पीछे किसी महिला का हाथ होता है.पूर्व जनरल और विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह जब 2014 में लोकसभा चुनाव जीते तब एक महिला उनके कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ चलती नजर आई थी.

मोदी लहर में जीते थे वीके सिंह

आज भी वही महिला उनके जीवन की सबसे बड़ी चुनौती में मिशन 2019 को सफल बनाने की कोशिश में वीके सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. हम किसी और की नहीं बल्कि उनकी अर्धांगिनी की बात कर रहे हैं.

मोदी लहर में जीते थे वीके सिंह
गाजियाबाद के निवर्तमान सांसद और विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह के लिए येचुनाव जीवन की सबसे बड़ी चुनौती है. 2014 में मोदी लहर में वी के सिंह चुनाव जीत गए थे.
इस बार बहुत सारे लोग नहीं चाहते थे कि बाहरी कैंडिडेट को गाजियाबाद में बीजेपी का टिकट मिले. उसके बावजूद वीके सिंह को काफी मेहनत के बाद टिकट हासिल हुआ. पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरना वी के सिंह के लिए बेहद जरूरी है. बीजेपी की स्थानीय इकाई में भी कई नेता हैं जो वी के सिंह के खिलाफ हैं.

पत्नी दे रही हैं साथ
वीके सिंह की पत्नी भारती सिंह इस चुनौती में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है. वोअपना हर फर्ज अदा कर रही हैं. भारती सिंह जगह-जगह जाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच जनसंपर्क में वीके सिंह का सहयोग कर रही हैं.

शनिवार को गाजियाबाद के एक प्राइवेट स्कूल में भारतीसिंह पहुंची. जहां पर स्कूली बच्चों को उन्होंने अपने हाथों से सम्मानित किया. कई मौकों पर भारती सिंह को वी के सिंह के साथ देखा गया है.

1975 में हुई थी शादी
बता दें कि साल 1975 में वीके सिंह की शादी भारतीसिंह से हुई थी. इतने साल बीत जाने के साथ ही भारतीसिंह ने वीके सिंह को सेना का जनरल बनते देखा और साल 2014 में राजनीति की नई पारी शुरू करते हुए भी देखा.

गाजियाबाद लोकसभा सीट पर अगर बात करें तो वीके सिंह का मुकाबला कोंग्रेस की डॉली शर्मा और सपा बसपा गठबंधन के सुरेश बंसल से है. टक्करमें सामने खड़े दोनों प्रत्याशी उन्हें बाहरी कैंडिडेट बता कर लोगों के बीच जा रहे हैं.जबकि वीके सिंह ने साफ तौर पर कहा है कि वह स्थानीय मुद्दों को किसी भी दूसरे कैंडिडेट से ज्यादा समझते हैं. और उन पर उन्होंने 5 साल में काफी काम भी किया है. इसी बात को समझाने की कोशिश भारती सिंह ने भी हमेशा की है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कहते हैं हर सफल नागरिक के पीछे किसी महिला का हाथ होता है.पूर्व जनरल और विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह जब 2014 में लोकसभा चुनाव जीते तब एक महिला उनके कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ चलती नजर आई थी.

मोदी लहर में जीते थे वीके सिंह

आज भी वही महिला उनके जीवन की सबसे बड़ी चुनौती में मिशन 2019 को सफल बनाने की कोशिश में वीके सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. हम किसी और की नहीं बल्कि उनकी अर्धांगिनी की बात कर रहे हैं.

मोदी लहर में जीते थे वीके सिंह
गाजियाबाद के निवर्तमान सांसद और विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह के लिए येचुनाव जीवन की सबसे बड़ी चुनौती है. 2014 में मोदी लहर में वी के सिंह चुनाव जीत गए थे.
इस बार बहुत सारे लोग नहीं चाहते थे कि बाहरी कैंडिडेट को गाजियाबाद में बीजेपी का टिकट मिले. उसके बावजूद वीके सिंह को काफी मेहनत के बाद टिकट हासिल हुआ. पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरना वी के सिंह के लिए बेहद जरूरी है. बीजेपी की स्थानीय इकाई में भी कई नेता हैं जो वी के सिंह के खिलाफ हैं.

पत्नी दे रही हैं साथ
वीके सिंह की पत्नी भारती सिंह इस चुनौती में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है. वोअपना हर फर्ज अदा कर रही हैं. भारती सिंह जगह-जगह जाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच जनसंपर्क में वीके सिंह का सहयोग कर रही हैं.

शनिवार को गाजियाबाद के एक प्राइवेट स्कूल में भारतीसिंह पहुंची. जहां पर स्कूली बच्चों को उन्होंने अपने हाथों से सम्मानित किया. कई मौकों पर भारती सिंह को वी के सिंह के साथ देखा गया है.

1975 में हुई थी शादी
बता दें कि साल 1975 में वीके सिंह की शादी भारतीसिंह से हुई थी. इतने साल बीत जाने के साथ ही भारतीसिंह ने वीके सिंह को सेना का जनरल बनते देखा और साल 2014 में राजनीति की नई पारी शुरू करते हुए भी देखा.

गाजियाबाद लोकसभा सीट पर अगर बात करें तो वीके सिंह का मुकाबला कोंग्रेस की डॉली शर्मा और सपा बसपा गठबंधन के सुरेश बंसल से है. टक्करमें सामने खड़े दोनों प्रत्याशी उन्हें बाहरी कैंडिडेट बता कर लोगों के बीच जा रहे हैं.जबकि वीके सिंह ने साफ तौर पर कहा है कि वह स्थानीय मुद्दों को किसी भी दूसरे कैंडिडेट से ज्यादा समझते हैं. और उन पर उन्होंने 5 साल में काफी काम भी किया है. इसी बात को समझाने की कोशिश भारती सिंह ने भी हमेशा की है.

Intro:गाजियाबाद। कहते हैं हर सफल नागरिक के पीछे किसी महिला का हाथ होता है। पूर्व जनरल और विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह जब 2014 में लोकसभा चुनाव जीते तब एक महिला उनके कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ चलती नजर आई थी। और आज भी वही महिला उनके जीवन की सबसे बड़ी चुनौती में मिशन 2019 को सफल बनाने की कोशिश में वीके सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।हम किसी और की नहीं बल्कि उनकी अर्धांगिनी की बात कर रहे हैं। आइए दिखाते हैं आपको यह स्पेशल रिपोर्ट कि कैसे जन जन तक पहुंच बनाने के लिए वीके सिंह की पत्नी भी तमाम जुगत में लगी हुई है।








Body:गाजियाबाद के निवर्तमान सांसद और विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह के लिए जीवन की सबसे बड़ी चुनौती है। 2014 में मोदी लहर में वी के सिंह चुनाव जीत गए थे। कहा जाता है कि वह चुनाव कितना मुश्किल नहीं था। क्योंकि बीजेपी की काफी ज्यादा हवा थीम और मोदी लहर का भी उन्हें फायदा मिला था। एक पैराशूट कैंडिडेट होने के बावजूद गाजियाबाद की जनता ने उन्हें चुना। लेकिन इस बार बहुत सारे लोग नहीं चाहते थे कि बाहरी कैंडिडेट को गाजियाबाद में बीजेपी का टिकट मिले।लेकिन उसके बावजूद वीके सिंह को काफी मेहनत के बाद यह टिकट हासिल हुआ। जाहिर है इस बार की चुनौती बहुत ज्यादा बड़ी है।और पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरना भी के सिंह के लिए बेहद जरूरी है।ऐसे में बीजेपी की स्थानीय इकाई में भी कई नेता ऐसे पाए गए हैं जो वी के सिंह के खिलाफ हैं। लेकिन उनकी पत्नी भारती सिंह भी इस चुनौती में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। वह अपना हर फर्ज अदा कर रही है।भारती सिंह जगह जगह जाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच जनसंपर्क में वीके सिंह का सहयोग कर रही है।गाजियाबाद के एक प्राइवेट स्कूल में आज भारतीय सिंह पहुंची।जहां पर स्कूली बच्चों को उन्होंने अपने हाथों से सम्मानित किया। यह वह बच्चे हैं जो परीक्षा में सफल हुए हैं।कई मौकों पर भारती सिंह को वी के सिंह के साथ देखा गया है।गाजियाबाद के मीरपुर हिंदू गांव को वीके सिंह ने साल 2014 के बाद गोद लिया था।उस गांव में भी भारती सिंह कई बार गई और वहां के लोगों के बीच जनसंपर्क करती रही है।बता दें कि साल 1975 में वीके सिंह की शादी भारतीय सिंह से हुई थी। इतने साल बीत जाने के साथ ही भारतीय सिंह ने वीके सिंह को सेना का जनरल बनते देखा और साल 2014 में राजनीति की नई पारी शुरू करते हुए भी देखा। कोई भी पत्नी नहीं चाहेगी कि उनका पति रेस में इतना आगे निकलने के बाद किसी से पिछड़ जाए। ऐसे में साफ है कि बीजेपी के किसी दूसरे कैंडिडेट के मुकाबले वीके सिंह और उनकी पत्नी के लिए चुनाव का यह दौर काफी ज्यादा चैलेंजिंग है।

बाइट भारती सिंह वी के सिंह की पत्नी


Conclusion:गाजियाबाद लोकसभा सीट पर अगर बात करें तो वीके सिंह का मुकाबला कोंग्रेस की डॉली शर्मा और सपा बसपा गठबंधन के सुरेश बंसल से है।टककर में सामने खड़े दोनों प्रत्याशी उन्हें बाहरी कैंडिडेट बता कर लोगों के बीच जा रहे हैं।जबकि वीके सिंह ने साफ तौर पर कहा है कि वह स्थानीय मुद्दों को किसी भी दूसरे कैंडिडेट से ज्यादा समझते हैं। और उन पर उन्होंने 5 साल में काफी काम भी किया है। इसी बात को समझाने की कोशिश भारती सिंह ने भी हमेशा की है।
Last Updated : Mar 30, 2019, 10:25 PM IST
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