नई दिल्ली/फरीदाबाद: यूं तो हरियाणा अपनी वेशभूषा और परंपरागत तौर तरीकों के बारे में जाना जाता है लेकिन हरियाणा के ब्रज क्षेत्र के नगाड़े से निकलने वाला संगीत भी बेहद मनमोहक होता है. हरियाणा के पलवल से आए नगाड़ा पार्टी के लोग 34वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में अपनी महक बिखेर रहे हैं.
ब्रज के ढोल-नगाड़े
परंपरागत उपकरणों के माध्यम से लोग जो संगीत पैदा कर रहते हैं वो अपने आप में एक कला है. ये लोग मेले में हर बार आते हैं और हर बार इनके नगाड़े पर लोग जमकर नाचते हैं. ये नगाड़ा पिछले काफी लंबे समय से मेले में अपनी पहचान बनाए हुए हैं.
गांव बंचारी की मिट्टी का जादू
नगाड़ा पार्टी के प्रधान टेकचंद का कहना है कि उनके गांव बंचारी की मिट्टी में इस तरह का जादू है कि उनके गांव से सबसे ज्यादा कलाकार पैदा होते हैं. ये हमारा परंपरागत प्राचीन माध्यम है और नगाड़े के साथ-साथ झांझर के द्वारा वे अपने होली के समय गाए जाने वाले गीतों और भगवान की पूजा करते हैं.
मेले में होली के गीत
मेले में उन्होंने होली के गीतों से रंगत जमाई हुई है. लोगों को उनका नगाड़ा बहुत ही पसंद आ रहा है. नगाड़ा उनकी प्राचीन सभ्यता का हिस्सा है, जो बहुत ही कम जगह पर देखने को मिलता है.
उनके बच्चे भी संगीत की दुनिया से जुड़ रहे हैं और संगीत की दुनिया से जुड़ने के साथ-साथ वे अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान दे रहे हैं. आज चाहे जमाना कितना ही मॉडर्न हो गया हो लेकिन उनके नगाड़े पर हर कोई नाचने को मजबूर हो जाता है.