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पलवल में फिर शुरू हुआ किसान आंदोलन, अब खाप पंचायतों ने संभाली कमान

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Published : Feb 3, 2021, 9:15 AM IST

पलवल में नेशनल हाईवे-19 पर किसान आंदोलन फिर शुरू हो गया है. इस बार आंदोलन की बागडोर 52 खापों के हाथों में है. खापों का साफ कहना है कि वो किसानों के साथ मिलकर आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे और किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे.

farmers protest
किसान आंदोलन

नई दिल्ली/पलवल: जिले में एक बार फिर किसान आंदोलन मजबूत होता जा रहा है, क्योंकि इस बार किसान आंदोलन की बागडोर 52 पालों (खापों) ने संभाल रखी है और सभी पालों के पंचों की ड्यूटियां आंदोलन की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए लगाई जा रही हैं. आने वाले दिनों में धरनास्थल पर हर पाल की ट्रैक्टर ट्रॉली या फिर टेंट लगा होगा.

पलवल में किसान आंदोलन

बता दें, 52 पालों के प्रधान अरुण जेलदार ने खुद किसानों के साथ धरनास्थल पर रात बिताई और दिनभर धरना स्थल पर मौजूद रहे. धरनास्थल पर विपक्षी पार्टियों के नेता भी लगातार हाजरी लगाकर केंद्र सरकार को कोसने का काम कर रहे हैं. इस मौके पर 52 पालों के प्रधान अरुण जेलदार ने कहा की रोजाना किसान आंदोलन को जनसमर्थन मिला रहा है.

ये भी पढ़ें- चक्का जाम के लिए कमर कस रहे हरियाणा के किसान, 3 फरवरी को जींद में राकेश टिकैत की महापंचायत

उन्होंने कहा कि लाल किले की घटना से किसान जो कन्फ्यूज हुआ अब उनका भ्रम दूर हो चूका है. किसानों को पता चला चुका है की आंदोलन को कमजोर करने की वो एक साजिश थी जो अब फेल हो चुकी है. समाज का हर वर्ग किसान आंदोलन की हर संभव मदद भी कर रहा है. ये आंदोलन और ज्यादा मजबूत होगा और जब तक जारी रहेगा तब तक कृषि कानून रद्द नहीं होंगे और एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा.

ये भी पढे़ं- कृषि आंदोलन : गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे संजय राउत, राहुल बोले- दीवारें नहीं, पुल बनाए भारत सरकार

आपको बता दें कि इससे पहले पलवल के नेशनल हाइवे-19 पर 57 दिनों तक किसानों ने धरना प्रदर्शन किया था. धरने में एमपी, राजस्थान, बुंदेलखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, यूपी, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों के किसान शामिल रहे थे. लेकिन 26 जनवरी को लाल किले की घटना के बाद किसान मायूस थे और जिला प्रसाशन ने 28 जनवरी को किसानों को धरनास्थल से हटा दिया था.

नई दिल्ली/पलवल: जिले में एक बार फिर किसान आंदोलन मजबूत होता जा रहा है, क्योंकि इस बार किसान आंदोलन की बागडोर 52 पालों (खापों) ने संभाल रखी है और सभी पालों के पंचों की ड्यूटियां आंदोलन की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए लगाई जा रही हैं. आने वाले दिनों में धरनास्थल पर हर पाल की ट्रैक्टर ट्रॉली या फिर टेंट लगा होगा.

पलवल में किसान आंदोलन

बता दें, 52 पालों के प्रधान अरुण जेलदार ने खुद किसानों के साथ धरनास्थल पर रात बिताई और दिनभर धरना स्थल पर मौजूद रहे. धरनास्थल पर विपक्षी पार्टियों के नेता भी लगातार हाजरी लगाकर केंद्र सरकार को कोसने का काम कर रहे हैं. इस मौके पर 52 पालों के प्रधान अरुण जेलदार ने कहा की रोजाना किसान आंदोलन को जनसमर्थन मिला रहा है.

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उन्होंने कहा कि लाल किले की घटना से किसान जो कन्फ्यूज हुआ अब उनका भ्रम दूर हो चूका है. किसानों को पता चला चुका है की आंदोलन को कमजोर करने की वो एक साजिश थी जो अब फेल हो चुकी है. समाज का हर वर्ग किसान आंदोलन की हर संभव मदद भी कर रहा है. ये आंदोलन और ज्यादा मजबूत होगा और जब तक जारी रहेगा तब तक कृषि कानून रद्द नहीं होंगे और एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा.

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आपको बता दें कि इससे पहले पलवल के नेशनल हाइवे-19 पर 57 दिनों तक किसानों ने धरना प्रदर्शन किया था. धरने में एमपी, राजस्थान, बुंदेलखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, यूपी, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों के किसान शामिल रहे थे. लेकिन 26 जनवरी को लाल किले की घटना के बाद किसान मायूस थे और जिला प्रसाशन ने 28 जनवरी को किसानों को धरनास्थल से हटा दिया था.

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