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पलवल में विशाल होता जा रहा है किसानों का आंदोलन, कई राज्यों से पहुंच रहे हैं किसानों के जत्थे

किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार को इन काले कानूनों को लागू करने से पहले किसानों की राय लेनी चाहिए. जिसके विरोध में आज देशभर का किसान सड़कों पर बैठा है.

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पलवल
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Published : Jan 9, 2021, 10:51 PM IST

नई दिल्ली/पलवल: एनएच-19 स्थित अटोहां चौक पर चल रहा किसानों का धरना 38 वें दिन भी कडकड़ती ठंड के बीच जारी रहा. साथ ही 20 वें दिन 24 घंटे की क्रमिक भूख हड़ताल पर जिले के गांव औरंगाबाद के 11 किसान बैठे. शनिवार को छत्तीसगढ़ से लगभग 500 किसानों का जत्था धरना स्थल पर पहुंचा. किसानों का कहना है कि जब तक तीनों काले कानूनों को वापस नहीं लिया जाता और एमएसपी पर लिखित कानून नहीं बनाया जाता तब तक उनका यह आंदोलन यूंही लगातार जारी रहेगा.

इस आंदोलन में शामिल अखिल भारतीय किसान सभा मध्यप्रदेश के अध्यक्ष राम नारायण का कहना है कि किसानों का यह संघर्ष व्यर्थ नहीं जाएगा. सरकार को किसानों के सामने झुकना ही होगा. सरकार को यह काले कानून निरस्त करने ही होंगे और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बनाना ही होगा.

'सरकार को कानून बनाने के लिए किसानों से राय लेनी चाहिए'

उन्होंने कहा केंद्र सरकार द्वारा ये काले कानून पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाए गए. इसलिए हम चाहते है कि यह काले कानून रद्दे होने चाहिए. सरकार बार-बार वार्ताएं कर रही है, लेकिन कोई हल नहीं निकल रहा है. जिससे पूरे देश के किसानों में सरकार के प्रति ख़ासा रोष है. उन्होंने कहा केंद्र सरकार को इन काले कानूनों को लागू करने से पहले किसानों की राय लेनी चाहिए. लेकिन इस घमंडी सरकार ने ऐसा मुनासिब नहीं समझा और बड़े-बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए इन बिलों को चोर दरवाजे से लागू कर दिया गया. जिसके विरोध में आज देशभर का किसान सड़कों पर बैठा है.

ये भी पढे़ं- सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल किसान ने जहर खाकर दे दी जान

'बिल वापसी नहीं, घर वापसी नहीं'

उन्होंने कहा दिन-प्रतिदिन इस आंदोलन को बल मिल रहा है और यह आंदोलन जन आंदोलन में तब्दील होता जा रहा है. तमाम प्रदेशों से किसान इस आंदोलन में भाग ले रहे हैं. इसलिए सरकार को अब अपनी हठधर्मिता को छोड़ देना चाहिए. किसानों की तरफ से केजीपी और केएमपी पर निकाली गई ट्रैक्टर रैली तो केवल ट्रेलर था. जो फिल्म है वो तो आने वाली 26 जनवरी को देखने को मिलेगी. किसानों का अब एक ही नारा है कि जब तक बिल वापसी नहीं तब तक किसानों की घर वापसी नहीं.

नई दिल्ली/पलवल: एनएच-19 स्थित अटोहां चौक पर चल रहा किसानों का धरना 38 वें दिन भी कडकड़ती ठंड के बीच जारी रहा. साथ ही 20 वें दिन 24 घंटे की क्रमिक भूख हड़ताल पर जिले के गांव औरंगाबाद के 11 किसान बैठे. शनिवार को छत्तीसगढ़ से लगभग 500 किसानों का जत्था धरना स्थल पर पहुंचा. किसानों का कहना है कि जब तक तीनों काले कानूनों को वापस नहीं लिया जाता और एमएसपी पर लिखित कानून नहीं बनाया जाता तब तक उनका यह आंदोलन यूंही लगातार जारी रहेगा.

इस आंदोलन में शामिल अखिल भारतीय किसान सभा मध्यप्रदेश के अध्यक्ष राम नारायण का कहना है कि किसानों का यह संघर्ष व्यर्थ नहीं जाएगा. सरकार को किसानों के सामने झुकना ही होगा. सरकार को यह काले कानून निरस्त करने ही होंगे और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बनाना ही होगा.

'सरकार को कानून बनाने के लिए किसानों से राय लेनी चाहिए'

उन्होंने कहा केंद्र सरकार द्वारा ये काले कानून पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाए गए. इसलिए हम चाहते है कि यह काले कानून रद्दे होने चाहिए. सरकार बार-बार वार्ताएं कर रही है, लेकिन कोई हल नहीं निकल रहा है. जिससे पूरे देश के किसानों में सरकार के प्रति ख़ासा रोष है. उन्होंने कहा केंद्र सरकार को इन काले कानूनों को लागू करने से पहले किसानों की राय लेनी चाहिए. लेकिन इस घमंडी सरकार ने ऐसा मुनासिब नहीं समझा और बड़े-बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए इन बिलों को चोर दरवाजे से लागू कर दिया गया. जिसके विरोध में आज देशभर का किसान सड़कों पर बैठा है.

ये भी पढे़ं- सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल किसान ने जहर खाकर दे दी जान

'बिल वापसी नहीं, घर वापसी नहीं'

उन्होंने कहा दिन-प्रतिदिन इस आंदोलन को बल मिल रहा है और यह आंदोलन जन आंदोलन में तब्दील होता जा रहा है. तमाम प्रदेशों से किसान इस आंदोलन में भाग ले रहे हैं. इसलिए सरकार को अब अपनी हठधर्मिता को छोड़ देना चाहिए. किसानों की तरफ से केजीपी और केएमपी पर निकाली गई ट्रैक्टर रैली तो केवल ट्रेलर था. जो फिल्म है वो तो आने वाली 26 जनवरी को देखने को मिलेगी. किसानों का अब एक ही नारा है कि जब तक बिल वापसी नहीं तब तक किसानों की घर वापसी नहीं.

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