नई दिल्ली: राजधानी में लॉकडाउन के चलते भले ही अपराध का ग्राफ नीचे आ गया हो, लेकिन राजधानी में खून बहाने की घटनाएं बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष ज्यादा हुई हैं. इस वर्ष हत्या एवं हत्या प्रयास के मामलों में लगभग 25 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. इसमें अहम भूमिका दिल्ली में हुए दंगों ने निभाई है जिसमें 52 लोगों की हत्याएं की गई थी.
खून बहाने के यह आंकड़े इस वर्ष इतने ज्यादा थे कि लॉकडाउन के 25 दिन बाद भी यह आंकड़े वर्ष 2019 के मुकाबले ज्यादा हैं. वर्ष 2019 में भी वर्ष 2018 के मुकाबले हत्या की वारदातें ज्यादा हुई थीं.
लॉकडाउन के समय में हुई कम हत्याएं
पुलिस के अनुसार राजधानी में लॉकडाउन लगने के बाद से हत्या एवं हत्या प्रयास की वारदातों में भी कमी देखने को मिली है. वर्ष 2019 में जहां एक से 15 अप्रैल के बीच हत्या की 19 वारदातें हुई थी. वहीं वर्ष 2020 में इस अवधि के दौरान हत्या की चार वारदातें हुई हैं.
इसी तरह वर्ष 2019 में एक से 15 अप्रैल के बीच हत्या प्रयास की 23 वारदातें हुई थीं. वहीं इस अवधि के दौरान वर्ष 2020 में हत्या प्रयास की 8 वारदातें हुई हैं. अगर लॉकडाउन नहीं होता तो हत्या एवं हत्या प्रयास का यह आंकड़ा काफी ज्यादा हो सकता था.
अपराधों को बढ़ाने में दंगों की अहम भूमिका
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इस वर्ष राजधानी में हुई हत्या की वारदातों को बढ़ाने में दंगों की अहम भूमिका है. बीते फरवरी माह में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 52 लोगों की हत्या की गई थी.
अगर इन आंकड़ों को हटा दिया जाए तो राजधानी में इस वर्ष हत्या की वारदातों में कमी देखने को मिलेगी. लेकिन दंगों के दौरान हुई वारदातों के चलते इस वर्ष यह आंकड़ा बढ़ा हुआ है. लॉकडाउन के दौरान ऐसे अपराधों में कमी आई है और आगे भी पुलिस इसे कम करने का पूरा प्रयास करेगी.
31 मार्च तक की वारदातें | ||
वर्ष | हत्या | हत्या प्रयास |
2019 | 120 | 148 |
2020 | 117 | 140 |
15 अप्रैल तक की वारदातें | ||
2019 | 139 | 152 |
2020 | 140 | 148 |