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योजना को लागू करने में देरी से महिलाओं, बुजुर्गों को नहीं मिल पा रहा फायदा : CAG रिपोर्ट

दिल्ली विधानसभा में साल 2020 का सीएजी रिपोर्ट पेश कर दी गई है. सीएजी रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू करने में देरी की बात कही है.

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दिल्ली विधानसभा
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Published : Jul 6, 2022, 2:24 PM IST

नई दिल्ली : सीएजी रिपोर्ट 2020 विधानसभा में पेश कर दी गई. इस रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू करने में देरी की बात सामने आई है. जिसके कारण योजना के लाभार्थियों को समय पर लाभ नहीं मिल पाया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रोहिणी में वृद्ध आश्रम के भूमि अधिग्रहण के 21 साल बाद भी वृद्धा आश्रम सिर्फ टेंडरिंग स्टेज पर है. इसके अलावा कीर्ति नगर वृद्धा आश्रम एजेंसी के बार-बार बदलाव के कारण भूमि अधिग्रहण के 12 साल बाद भी अभी तक काम पूरा नहीं हो पाया है. देरी के कारण विभाग को दिल्ली विकास प्राधिकरण को 130.14 लाख की कंपोजिशन फीस का भुगतान करना पड़ा है.

सीएजी रिपोर्ट में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन में गरीबों को किफायती आवास मुहैया कराने में भी गड़बड़ी की बात सामने आई है. डीएसएसआईडीसी और डीयूएसआईबी की सभी 14 आवासीय परियोजनाएं दिल्ली के केवल 4 जिलों तक सीमित थी. जहां 675 झुग्गी क्लस्टर में से 461 क्लस्टर सात जिले में थे.

छोटे-छोटे क्लस्टर बनाने की जगह बड़ी संख्या में घर बनाने की योजना बनाई गई. जिसमें दोनों एजेंसियों ने मिलकर 52,344 मकानों के 14 आवासीय परियोजना को क्रियान्वयन किया. लेकिन इन 14 परियोजनाओं में से 24,000 से अधिक मकानों की चार परियोजना समय खत्म होने के एक साल बाद भी अधूरा है.

नई दिल्ली : सीएजी रिपोर्ट 2020 विधानसभा में पेश कर दी गई. इस रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू करने में देरी की बात सामने आई है. जिसके कारण योजना के लाभार्थियों को समय पर लाभ नहीं मिल पाया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रोहिणी में वृद्ध आश्रम के भूमि अधिग्रहण के 21 साल बाद भी वृद्धा आश्रम सिर्फ टेंडरिंग स्टेज पर है. इसके अलावा कीर्ति नगर वृद्धा आश्रम एजेंसी के बार-बार बदलाव के कारण भूमि अधिग्रहण के 12 साल बाद भी अभी तक काम पूरा नहीं हो पाया है. देरी के कारण विभाग को दिल्ली विकास प्राधिकरण को 130.14 लाख की कंपोजिशन फीस का भुगतान करना पड़ा है.

सीएजी रिपोर्ट में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन में गरीबों को किफायती आवास मुहैया कराने में भी गड़बड़ी की बात सामने आई है. डीएसएसआईडीसी और डीयूएसआईबी की सभी 14 आवासीय परियोजनाएं दिल्ली के केवल 4 जिलों तक सीमित थी. जहां 675 झुग्गी क्लस्टर में से 461 क्लस्टर सात जिले में थे.

छोटे-छोटे क्लस्टर बनाने की जगह बड़ी संख्या में घर बनाने की योजना बनाई गई. जिसमें दोनों एजेंसियों ने मिलकर 52,344 मकानों के 14 आवासीय परियोजना को क्रियान्वयन किया. लेकिन इन 14 परियोजनाओं में से 24,000 से अधिक मकानों की चार परियोजना समय खत्म होने के एक साल बाद भी अधूरा है.

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