नई दिल्लीः दिल्ली में हर रोज लगभग 90 हजार सैंपल की जांच हो रही है. इनमें हर दिन डेढ़ गुना से अधिक कोविड पॉजिटिव केस सामने आ (third wave of corona) रहे हैं. गुरुवार को 15 हजार से अधिक कोरोना के नये केस सामने आये थे. इनमें चार साै 65 ओमिक्रोन वैरिएंट (Omicron New variant of corona) से संक्रमित पाये गये. पिछले 14 दिनों में दिल्ली में 46 हजार से अधिक पॉजिटिव केस आये हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि कोरोना के जो नए मामले सामने आ रहे हैं क्या यह कोरोना का वही डेडली डेल्टा वेरिएंट (delta variant) है, जिसने 2021 में अप्रैल-मई महीने में तबाही मचाई थी? जितने लोग संक्रमित हो रहे हैं उनमें क्या ज्यादातर डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित हैं? अगर ऐसा है तो यह उनके लिए कितना खतरनाक हो सकता है? दिल्ली के अस्पतालों में पिछले दिनों 12 मरीजों की मौत (died from corona in Delhi) हुई थी क्या वे लोग कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित थे ? ऐसे कई सवाल हैं, जिसके बारे में विशेषज्ञ बता रहे हैं.
कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे (corona in delhi) हैं. दिल्ली में 20 हजार से ज्यादा कोरोना के नए केस सामने आये हैं. कोरोना की तीसरी लहर में जिस वैरिएंट ओमिक्रोन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है उसके मामले बहुत कम आ रहे हैं. हालांकि विशेषज्ञों ने यह दावा किया था ओमीक्रोन की इनफेक्टिविटी रेट डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले आठ गुना से अधिक है, लेकिन जो आंकड़े अभी सामने आ रहे हैं उससे ऐसा नहीं लग रहा है. कोरोना के सभी नए मामलों में एक परसेंट भी ओमिक्रोन वेरिएंट नहीं देखा जा रहा है. दिल्ली में हर रोज लगभग 90 हजार सैंपल की जांच हो रही है, इनमें हर दिन पिछले दिन के मुकाबले डेढ़ गुना से अधिक कोविड पॉजिटिव केस सामने आ रहे हैं.
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सचिव एवं vaccin ieindia.org के अध्यक्ष डॉक्टर अजय गंभीर बताते हैं कि हमारे पास ऐसी तकनीक नहीं है, जिससे कोरोना के अलग-अलग वैरिएशन का पता लगा सकें. हमारे अस्पतालों में जिनोम सीक्वेंसिंग लैब नहीं है, जहां यह पता लगाया जा सके कि संक्रमित व्यक्ति कोरोना के किस वैरिएंट से संक्रमित है. दिल्ली में ऐसे दो लैब हैं, जहां जिनोम सीक्वेंसिंग की जाती है. इनमें से एक लैब दिल्ली सरकार के एलएनजेपी हॉस्पिटल में है. यहां हर दिन अधिकतम तीन हजार कोविड-19 की जिनोम सीक्वेंसिंग हो पाता है. जबकि दिल्ली में हर रोज औसतन 90 हजार के आसपास कोरोना जांच की जाती है. इनमें से आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट में हर रोज पिछले दिन के मुकाबले डेढ़ गुना अधिक मरीजों को संक्रमित पाया जा रहा है. शुक्रवार को 20 हजार से अधिक कोरोना संक्रमित मरीज सामने आए. इनमें से सभी सैंपल्स का जिनोम सीक्वेंसिंग करना संभव नहीं है, इसलिए यह पक्के तौर पर नहीं बताया जा सकता कि जो मरीज कोरोना संक्रमित हो रहे हैं वह डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित हैं या ओमिक्रोन से.
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डॉ अजय गंभीर बताते हैं कि विशेषज्ञों के सामने अभी यक्ष प्रश्न यह है कि राजधानी दिल्ली समेत देशभर में जो कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है वह किस वेरिएंट से संक्रमित हो रहे हैं. नया वेरिएंट ओमिक्रोन है या डेल्टा ? ये सारे आंकड़े अभी भारत सरकार के पास है. भारत सरकार को ही यह पता हो सकता है कि कौन सा वेरिएशन का संक्रमण फैल रहा है, लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि ओमीक्रोन कोई नया वायरस नहीं है. यह डेल्टा से ही ओमिक्रोन में बदल रहा है. डेल्टा का रूपांतरण हो रहा है. 60-70 परसेंट डेल्टा वेरिएंट माइक्रोन में बदल गया है और धीरे-धीरे बाकी बचे डेल्टा भी ओमिक्रोन में कन्वर्ट हो जाएगा. इसका सबसे बड़ा सबूत यह है कि यह दूसरी लहर की तरह खतरनाक नहीं है. अगर डेल्टा अपने पुराने रूप में होता तो यह एक बार फिर अभी तबाही मचा रहा होता, लेकिन अब हल्का संक्रमण हो रहा है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि डेल्टा का रूपांतरण ओमिक्रोन के रूप में होने लगा है.
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डॉ अजय गंभीर बताते हैं कि डेल्टा वैरिएंट का संक्रमण कर 2.5 परसेंट था जबकि ओमिक्रोन का संक्रमण दर आठ परसेंट है. चूंकी कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है, इससे साफ जाहिर है कि यह डेल्टा वैरिएंट नहीं है. यह ओमिक्रोन ही है, जिसमें तेजी से फैलने की प्रवृत्ति होती है. यह बात अलग है कि हम तकनीकी कमजोरी की वजह से पकड़ नहीं पा रहे हैं, क्योंकि हमारे पास जिनोम सीक्वेंसिंग लैब पर्याप्त संख्या में नहीं है.
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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स के कार्डियो-रेडियो डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अमरिंदर सिंह बताते हैं कि अभी जितने भी कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं, उनमें 90% ओमिक्रोन वैरिएंट है. हमारे यहां जिनोम सीक्वेंसिंग लैब नहीं है, जिसकी वजह से हम उसे डिटेक्ट नहीं कर पा रहे हैं. इतनी तेजी से केवल ओमिक्रोन वैरिएंट ही फैल सकता है. दूसरी बात डेल्टा के विपरीत इस वैरिएंट में हॉस्पिटलाइजेशन की दर बहुत कम है, क्योंकि इसमें माइल्ड इंफेक्शन होता है. हॉस्पिटल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं पड़ती है.
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