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केंद्रीय शिक्षा मंत्री के इस्तीफा से डीयू में दाखिले के लिए छात्रों का इंतजार और बढ़ा

केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के इस्तीफा से दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में दाखिले की तारीख को लेकर छात्रों का इंतजार और बढ़ गया है.

wait of students for admission in DU increased further
डीयू में दाखिले के लिए छात्रों का इंतजार और बढ़ा
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Published : Jul 8, 2021, 12:41 PM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया है. इस फेरबदल में केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने इस्तीफा दे दिया और अब नया केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को बनाया गया है. इसी के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2021 - 22 में दाखिले की तारीख को लेकर छात्रों का इंतजार और बढ़ गया है.

दरअसल विश्वविद्यालयों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. किस वर्ष सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीयूसेट) के जरिए दाखिला होगा या पहले की तरह ही दाखिले की प्रक्रिया अपनाई जाएगी.


दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में एडमिशन के लिए दाखिले की तारीख का छात्र बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. वहीं पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि जुलाई माह के पहले या दूसरे सप्ताह में दाखिले के लिए प्रक्रिया शुरू हो सकती है. लेकिन अब यह इंतजार और बढ़ सकता है.

दिल्ली विश्वविद्यालय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दाखिले को लेकर इस सप्ताह फैसला होने की उम्मीद थी, लेकिन मंत्रालय में फेरबदल के बाद इंतजार और अधिक बढ़ सकता है. जानकारी के अनुसार, विश्वविद्यालयों को सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट ( सीयूसेट ) के तहत दाखिले को लेकर विश्वविद्यालय सरकार की ओर से फैसला अभी भी इंतजार है.



बता दें कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट केंद्रीय विश्वविद्यालयों का एक समूह है. जो विश्वविद्यालयों में एंट्रेंस एग्जाम के जरिए तमाम कोर्स में एडमिशन देने का काम करता है. वहीं सीयूसेट में विश्वविद्यालयों को कैटेगरी में बांटा गया है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी छात्र का परीक्षा में ज्यादा अंक आते हैं तो उसे सबसे ज्यादा रैंकिंग वाले यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिल जाएगा.

यह भी पढ़ें:- DU सरकार की तरफ से 100 फीसदी वित्त पोषित कॉलेजों में शुरू हुई फंड की समस्या

वहीं कम रैंक पाने वाले छात्र को कम रैंकिंग वाले यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिल जाएगा. इसके अलावा सीयूसेट होने से छात्रों को एक लाभ यह मिलेगा कि उन्हें अलग-अलग सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए कोई फॉर्म नहीं भरने पड़ेंगे. बता दें कि दाखिले का यह तरीका नई शिक्षा नीति के अंतर्गत विश्वविद्यालयों में लाया जा रहा है.

यह भी पढ़ें:- DU: कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर पीसी जोशी का 1 साल का कार्यकाल पूरा, गिनाई उपलब्धियां

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया है. इस फेरबदल में केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने इस्तीफा दे दिया और अब नया केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को बनाया गया है. इसी के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2021 - 22 में दाखिले की तारीख को लेकर छात्रों का इंतजार और बढ़ गया है.

दरअसल विश्वविद्यालयों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. किस वर्ष सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीयूसेट) के जरिए दाखिला होगा या पहले की तरह ही दाखिले की प्रक्रिया अपनाई जाएगी.


दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में एडमिशन के लिए दाखिले की तारीख का छात्र बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. वहीं पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि जुलाई माह के पहले या दूसरे सप्ताह में दाखिले के लिए प्रक्रिया शुरू हो सकती है. लेकिन अब यह इंतजार और बढ़ सकता है.

दिल्ली विश्वविद्यालय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दाखिले को लेकर इस सप्ताह फैसला होने की उम्मीद थी, लेकिन मंत्रालय में फेरबदल के बाद इंतजार और अधिक बढ़ सकता है. जानकारी के अनुसार, विश्वविद्यालयों को सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट ( सीयूसेट ) के तहत दाखिले को लेकर विश्वविद्यालय सरकार की ओर से फैसला अभी भी इंतजार है.



बता दें कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट केंद्रीय विश्वविद्यालयों का एक समूह है. जो विश्वविद्यालयों में एंट्रेंस एग्जाम के जरिए तमाम कोर्स में एडमिशन देने का काम करता है. वहीं सीयूसेट में विश्वविद्यालयों को कैटेगरी में बांटा गया है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी छात्र का परीक्षा में ज्यादा अंक आते हैं तो उसे सबसे ज्यादा रैंकिंग वाले यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिल जाएगा.

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वहीं कम रैंक पाने वाले छात्र को कम रैंकिंग वाले यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिल जाएगा. इसके अलावा सीयूसेट होने से छात्रों को एक लाभ यह मिलेगा कि उन्हें अलग-अलग सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए कोई फॉर्म नहीं भरने पड़ेंगे. बता दें कि दाखिले का यह तरीका नई शिक्षा नीति के अंतर्गत विश्वविद्यालयों में लाया जा रहा है.

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