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आयशा प्रकरण के बाद उलेमाओं ने दहेज के खिलाफ शुरू किया अभियान - मस्जिदों में देहज को जागरुकता अभियान

उत्तर पूर्वी जिले के जाफराबाद इलाके में मौजूद मस्जिदों से दहेज के खिलाफ अभियान शुरू किया गया है. मस्जिदों से उलेमा अपील कर रहे हैं कि समाज में व्याप्त दहेज रूपी दानव से कैसे खुद को और समाज को बचाया जा सकता है.

ulema start awareness campaign against dowry
उलेमाओं ने दहेज के विरुद्ध शुरू की जागरूकता अभियान
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Published : Mar 20, 2021, 5:15 PM IST

Updated : Apr 1, 2021, 6:50 PM IST

नई दिल्ली : आयशा प्रकरण के बाद देश भर में दहेज के खिलाफ अभियान चलाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में मुस्लिम समाज में जागरूकता पैदा करने के लिए उलेमाओं ने दहेज के विरूद्ध मस्जिदों से जागरूकता अभियन शुरू किया है. उलेमा लगातार मस्जिदों से दहेज प्रथा के खिलाफ अपील करते हुए लोगों से सादगी से शादी करने की अपील कर रहे हैं. ताकि फिजूलखर्ची को रोका जा सके और उस पैसे का इस्तेमाल समाज में शिक्षा के स्तर को सुधारने में किया जा सके.

उलेमाओं ने दहेज के विरुद्ध शुरू की जागरूकता अभियान

मुस्लिम समाज से खत्म होगी दहेज प्रथा

जाफराबाद स्थित कुएं वाली मस्जिद के इमाम मोहम्मद तालिब नदवी ने कहा कि शुक्रवार की नमाज से पहले होने वाली तकरीर में उन्होंने दहेज के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए लोगों से अपील की है. उन्होंने कहा कि दहेज एक कुप्रथा है, जो कि दूसरे धर्मों की तरह मुसलमानों में भी आम हो रही है. जबसे आयशा का मामला सामने आया है तभी से देशभर के उलेमा और इमामों ने इसे बेहद गंभीरता से लिया है. इसके खिलाफ तमाम उलेमा एकजुट होकर मुहिम चला रहे हैं. उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही दहेज रूपी यह बीमारी मुस्लिम समाज से खत्म होगी. उन्होंने बताया कि इस मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी कदम उठाया है. वैसे भी इस्लाम में जो लोग दहेज ले रहे हैं. वह शरीयत के कानून से वाकिफ नहीं हैं. उन्होंने बताया कि अल्लाह के रसूल की हदीस है कि जो लोग माल-ओ-दौलत की बुनियाद पर शादियां करते हैं, अल्लाह उन्हें गरीबी में मुब्तला करता है. कोई भी आदमी दुनिया में ऐसा नहीं है जो दहेज लेकर मालदार हो गया हो. बल्कि उनके घरों में गुरबतें आती हैं. उम्मीद की जा रही है कि दहेज के खिलाफ यह अभियान लोगों को जागरूक करने में कामयाब होगा.

ये भी पढ़ें : आयशा आत्महत्या मामला : परिजनों की मांग, आरोपी पति को दी जाए सजा

अल्लाह व रसूल की गाइडलाइंस को करें फॉलो

इसी तरह से इलाके में ही मौजूद खजूर वाली मस्जिद के इमाम मोहम्मद फुरकान नदवी ने कहा कि मुस्लिम बाहुल्य जाफराबाद के इलाके में एक अभियान के रूप में इसे चलाया जा रहा है. हमारी फिक्र है कि आयशा नाम की लड़की के साथ जो वाक्या हुआ, हमारी बहू बेटी के साथ इस तरह का मामला न हो. इसके लिए लोगों को दहेज के प्रति जागरूक करने का अभियान चलाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि लोगों को बताया जा रहा है कि निकाह के सिलसिले में अल्लाह के रसूल ने पूरी गाइडलाइंस दी है. हमें उस गाइडलाइंस को फॉलो करनी चाहिए. ताकि समाज में फैली कुरितों को खत्म किया का सके.

ये भी पढ़ें : EXCLUSIVE: संदिग्ध आतंकी यूसुफ की पत्नी आयशा बोली- पति की हरकत पर है शर्मिंदगी

आयशा के बाद लोगों में एक फिक्र पैदा कर दी

इस अहम मुद्दे पर प्रमुख समाजसेवी डॉ.फहीम ने कहा कि आयशा के कदम के बाद लोगों में एक फिक्र पैदा कर दी है. उलेमाओं ने मुस्लिम समाज में एक खास संदेश देना शुरू कर दिया है. ताकि समाज में व्याप्त दहेज प्रथा को खत्म किया जा सके. उसके लिए मस्जिदों से यह पहल की गई है. उन्होंने कहा कि आज मुस्लिम समाज में भी चकाचौंध भरी शादियां करने की हौड़ लगी हुई है. दहेज और शादियों के नाम पर लड़की वाले पर इतना बोझ डाल देना सिर्फ समाज के लिए नहीं, बल्कि इंसानियत के लिए एक बड़ा खतरा है.


लॉक डाउन ने दिया है बहुत बड़ा संदेश

डॉ.फहीम ने कहा कि शादियों को कैसे सादगी से किया जा सकता है. यह हमें लॉकडाउन ने सिखा दिया है. बहुत सारी लड़कियों के निकाह हुए. कम लोगों में ही शादी की प्रक्रिया पूरी की गई.

नई दिल्ली : आयशा प्रकरण के बाद देश भर में दहेज के खिलाफ अभियान चलाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में मुस्लिम समाज में जागरूकता पैदा करने के लिए उलेमाओं ने दहेज के विरूद्ध मस्जिदों से जागरूकता अभियन शुरू किया है. उलेमा लगातार मस्जिदों से दहेज प्रथा के खिलाफ अपील करते हुए लोगों से सादगी से शादी करने की अपील कर रहे हैं. ताकि फिजूलखर्ची को रोका जा सके और उस पैसे का इस्तेमाल समाज में शिक्षा के स्तर को सुधारने में किया जा सके.

उलेमाओं ने दहेज के विरुद्ध शुरू की जागरूकता अभियान

मुस्लिम समाज से खत्म होगी दहेज प्रथा

जाफराबाद स्थित कुएं वाली मस्जिद के इमाम मोहम्मद तालिब नदवी ने कहा कि शुक्रवार की नमाज से पहले होने वाली तकरीर में उन्होंने दहेज के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए लोगों से अपील की है. उन्होंने कहा कि दहेज एक कुप्रथा है, जो कि दूसरे धर्मों की तरह मुसलमानों में भी आम हो रही है. जबसे आयशा का मामला सामने आया है तभी से देशभर के उलेमा और इमामों ने इसे बेहद गंभीरता से लिया है. इसके खिलाफ तमाम उलेमा एकजुट होकर मुहिम चला रहे हैं. उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही दहेज रूपी यह बीमारी मुस्लिम समाज से खत्म होगी. उन्होंने बताया कि इस मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी कदम उठाया है. वैसे भी इस्लाम में जो लोग दहेज ले रहे हैं. वह शरीयत के कानून से वाकिफ नहीं हैं. उन्होंने बताया कि अल्लाह के रसूल की हदीस है कि जो लोग माल-ओ-दौलत की बुनियाद पर शादियां करते हैं, अल्लाह उन्हें गरीबी में मुब्तला करता है. कोई भी आदमी दुनिया में ऐसा नहीं है जो दहेज लेकर मालदार हो गया हो. बल्कि उनके घरों में गुरबतें आती हैं. उम्मीद की जा रही है कि दहेज के खिलाफ यह अभियान लोगों को जागरूक करने में कामयाब होगा.

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अल्लाह व रसूल की गाइडलाइंस को करें फॉलो

इसी तरह से इलाके में ही मौजूद खजूर वाली मस्जिद के इमाम मोहम्मद फुरकान नदवी ने कहा कि मुस्लिम बाहुल्य जाफराबाद के इलाके में एक अभियान के रूप में इसे चलाया जा रहा है. हमारी फिक्र है कि आयशा नाम की लड़की के साथ जो वाक्या हुआ, हमारी बहू बेटी के साथ इस तरह का मामला न हो. इसके लिए लोगों को दहेज के प्रति जागरूक करने का अभियान चलाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि लोगों को बताया जा रहा है कि निकाह के सिलसिले में अल्लाह के रसूल ने पूरी गाइडलाइंस दी है. हमें उस गाइडलाइंस को फॉलो करनी चाहिए. ताकि समाज में फैली कुरितों को खत्म किया का सके.

ये भी पढ़ें : EXCLUSIVE: संदिग्ध आतंकी यूसुफ की पत्नी आयशा बोली- पति की हरकत पर है शर्मिंदगी

आयशा के बाद लोगों में एक फिक्र पैदा कर दी

इस अहम मुद्दे पर प्रमुख समाजसेवी डॉ.फहीम ने कहा कि आयशा के कदम के बाद लोगों में एक फिक्र पैदा कर दी है. उलेमाओं ने मुस्लिम समाज में एक खास संदेश देना शुरू कर दिया है. ताकि समाज में व्याप्त दहेज प्रथा को खत्म किया जा सके. उसके लिए मस्जिदों से यह पहल की गई है. उन्होंने कहा कि आज मुस्लिम समाज में भी चकाचौंध भरी शादियां करने की हौड़ लगी हुई है. दहेज और शादियों के नाम पर लड़की वाले पर इतना बोझ डाल देना सिर्फ समाज के लिए नहीं, बल्कि इंसानियत के लिए एक बड़ा खतरा है.


लॉक डाउन ने दिया है बहुत बड़ा संदेश

डॉ.फहीम ने कहा कि शादियों को कैसे सादगी से किया जा सकता है. यह हमें लॉकडाउन ने सिखा दिया है. बहुत सारी लड़कियों के निकाह हुए. कम लोगों में ही शादी की प्रक्रिया पूरी की गई.

Last Updated : Apr 1, 2021, 6:50 PM IST
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