नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट टू-जी स्पेक्ट्रम केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और दूसरे आरोपियों को ट्रायल कोर्ट से बरी करने के फैसले के खिलाफ सीबीआई और ईडी की याचिका पर आज भी सुनवाई जारी रखेगा. पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि उसने अपील दायर करने के लिए जरुरी अनुमति ली थी जबकि आरोपियों की ओर से कहा गया कि ये बातें हलफनामे में सीबीआई बताए.
सीबीआई हलफनामा दायर कर बताए
एक आरोपी शाहिद बलवा की ओर से वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा था कि धारा 378 के तहत अभियोजक की भूमिका स्पष्ट होनी चाहिए. उसमें क्षेत्राधिकार का भी मामला है जिसका निपटारा होना चाहिए. वकील विजय अग्रवाल ने कहा था कि सीबीआई वह दस्तावेज दिखाए जिसके तहत उसे इस अपील को दायर करने की अनुमति मिली. हमारा सीबीआई के प्रति कोई आरोप नहीं है, हम केवल ये चाहते हैं कि प्रक्रियाओं का पालन हो. केवल दस्तावेजों का स्क्रीन शेयर करने से प्रक्रिया का पालन नहीं हो जाता है. सीबीआई को हलफनामे में ये सारी चीजें बतानी चाहिए। उन्होंने कहा था कि सीबीआई को इसके लिए कोर्ट की ओर से औपचारिक नोटिस जारी किया जाना चाहिए.
केंद्र ने एस भंडारी को स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर नियुक्त किया था
पिछले 6 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट को बताया था कि हाईकोर्ट में अपील दायर करने के लिए केंद्र सरकार से जरुरी अनुमति ली गई थी. पिछले 6 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान एएसजी संजय जैन ने कोर्ट को बताया था कि सीबीआई की ओर से वकील एस भंडारी को स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर नियुक्त किया गया था. उन्होंने ही टू-जी मामले में सीबीआई की ओर से अपील दायर की थी. केंद्र सरकार ने भंडारी को सीबीआई के सभी मामलों में प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी थी. संजय जैन ने टू-जी मामलों में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर नियुक्त करने के केंद्र के नोटिफिकेशन की प्रति कोर्ट को सौंपा था.
केंद्र का आदेश कोर्ट को सौंपा
संजय जैन ने केंद्र सरकार के वो दस्तावेज कोर्ट को दिखाया था जिसमें कहा गया था कि टू-जी मामला अपील के लिए सही केस है. केंद्र के इसी आदेश के बाद सीबीआई को अपील दायर करने को कहा गया. जैन ने एडवोकेट एक्ट में सीनियर और दूसरे एडवोकेट के बारे में बताया. उन्होंने बार काउंसिल ऑफ इंडिया रुल्स के बारे में बताते हुए कहा था कि सीनियर एडवोकेट की सीमाएं हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर के रुप में नियुक्ति का ये मतलब नहीं है कि वो वह सब कुछ करेंगे जो एक सीनियर वकील नहीं कर सकता है. तब कोर्ट ने पूछा था कि क्या ये सभी दस्तावेज कोर्ट के रिकॉर्ड में हैं. तब जैन ने कहा था कि अभी नहीं, हम इन्हें रिकॉर्ड में रख सकते हैं.
जल्द सुनवाई की अनुमति दी थी
पिछले 29 सितंबर को कोर्ट ने इस मामले पर जल्द सुनवाई की अनुमति दे दी थी. सुनवाई के दौरान सीबीआई और ईडी की ओर से कहा गया था कि जल्द सुनवाई की मांग के पीछे जनहित है. वहीं दूसरी तरफ ए राजा समेत दूसरे आरोपियों ने कहा था कि जल्द सुनवाई की मांग का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि हाईकोर्ट के दिशानिर्देश के मुताबिक कोरोना के संकट के दौरान बरी किए जाने के फैसले पर सुनवाई करने में कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए.
ए राजा समेत 19 आरोपी हैं
इस मामले में सीबीआई और ईडी ने ए राजा औऱ कनिमोझी समेत सभी 19 आरोपियों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. 25 मई 2018 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया था. हाईकोर्ट ने इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया है.
2017 में बरी किया गया था
बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसंबर 2017 को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. जज ओपी सैनी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है.