नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा के मामले में पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य देवांगन कलीता की जाफराबाद में 23 फरवरी 2020 को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन के वीडियो फुटेज की कॉपी मांगने वाली याचिका पर ट्रायल कोर्ट नए सिरे से विचार कर सकता है. दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने भले ही वीडियो फुटेज की कॉपी मांगने वाली याचिका खारिज कर दी है लेकिन वो नए सिरे से इस मांग पर विचार कर सकती है.
हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने जब कलीता की याचिका खारिज की थी उस समय जांच चल रही थी. अब चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और केस संज्ञान लेने के चरण में है. ऐसे में ट्रायल कोर्ट के समक्ष ये विकल्प खुला है कि अगर याचिका दोबारा दायर की जाती है तो वो उस पर विचार करे. सुनवाई के दौरान स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर (Special Public Prosecutor) अमित महाजन ने कहा कि जांच अभी पूरी नहीं हुई है. अभी पूरक चार्जशीट दाखिल की जानी है.
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याचिका में देवांगन कलीता ने पिछले 23 फरवरी 2020 को जाफराबाद में हुए प्रदर्शन की फुटेज की कॉपी देने की मांग की थी. याचिका में कहा गया था कि पुलिस ने इस मामले में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी है, उसक बावजूद उसे इलेक्ट्रॉनिक तथ्य उपलब्ध नहीं कराए गए हैं. कलीता ने इसके पहले कड़कड़डूमा कोर्ट में याचिका दायर की थी. कड़कड़डूमा कोर्ट ने कलीता की याचिका ये कहते हुए खारिज कर दी थी कि ये याचिका प्री-मैच्योर(pre-mature) है क्योंकि फाइनल रिपोर्ट पर अभी कोर्ट ने संज्ञान नहीं लिया है.
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देवांगन कलीता पिंजरा तोड़ संगठन से जुड़ी हुई हैं. कलीता पर आरोप है कि उसने 22 फरवरी 2020 को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास सड़क जाम करने के लिए लोगों को उकसाया था. कलीता को यूएपीए (UAPA) के मामले में हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है. बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे और करीब दो सौ लोग घायल हो गए थे.