नई दिल्ली : एम्स के आरपी सेंटर में आंखों के कैंसर यानी रेटिनोब्लास्टोमा से पीड़ित बच्चों के इलाज में अब देश में विकसित प्लाक ब्रेकीथेरेपी का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है. भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने यह रूथेनियम-106 प्लाक ब्रेकीथेरेपी विकसित की है. इसकी मदद से आंखों में कैंसर की बीमारी से पीड़ित बच्चों को रेडिएशन थेरेपी दी जाती है. आरपी सेंटर के प्रमुख डा. जेएस तितियाल ने बताया कि एम्स में इस स्वदेशी तकनीक से गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त इलाज मिल रहा है.
प्लाक ब्रेकीथेरेपी से इलाज काफी महंगा है. स्वदेशी तकनीक से अब निजी अस्पतालों में भी इलाज का खर्च 30 प्रतिशत कम हो जाएगा. अभी तक देश के तीन अस्पतालों में ही प्लाक ब्रेकीथेरेपी का इस्तेमाल शुरू किया गया है. आंखों के कैंसर के इलाज में रेडिएशन के लिए प्लाक ब्रेकीथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है.
एम्स यह सुविधा शुरू करने वाला देश का पहला सरकारी अस्पताल है. प्लाक ब्रेकीथेरेपी में बटन के आकार के उपकरण को आंख की ऊपरी परत पर दो से चार दिन के लिए अस्थायी तौर पर लगाया जाता है. यह प्लाक रेडियो एक्टिव होता है. जिससे धीर-धीरे रेडिएशन निकलता है. वह रेडिएशन मरीज की आंखों में मौजूद कैंसर के ट्यूमर को नष्ट कर देता है. बाद में उस प्लाक को निकाल लिया जाता है.
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यह तकनीक कैंसर प्रभावित आंख की रोशनी बचाने में मददगार है. एम्स के डाक्टर कहते हैं कि बच्चों में आंखों का कैंसर जेनेटिक कारणों से होता है. समय पर इलाज नहीं मिल पाने के कारण ज्यादातर बच्चों की आंखों की रोशनी चली जाती है. एम्स में ज्यादातर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चे इलाज के लिए पहुंचते हैं.