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सिग्नेचर ब्रिज से 'दिल्ली के दीदार' पर ब्रेक! पर्यटन विभाग ने उठाए थे सवाल

एफिल टावर की तर्ज पर दिल्ली से गुजरने वाली यमुना नदी पर बनाए गए नवनिर्मित सिगनेचर ब्रिज के शीर्ष से दिल्ली दर्शन की योजना पर फिलहाल ब्रेक लग गया है. यह ब्रेक दिल्ली पर्यटन विभाग द्वारा सिगनेचर ब्रिज के ऊपर बने ग्लासबॉक्स को लेकर सवाल उठाने पर लगा है.

Tourism department Raise questions on signature bridge
सिग्नेचर ब्रिज से 'दिल्ली के दीदार' पर ब्रेक
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Published : Jan 6, 2020, 5:06 PM IST

नई दिल्ली: एफिल टावर की तर्ज पर दिल्ली से गुजरने वाली यमुना नदी पर बनाए गए नवनिर्मित सिगनेचर ब्रिज के शीर्ष से दिल्ली दर्शन की योजना पर फिलहाल ब्रेक लग गया है.

सिग्नेचर ब्रिज से 'दिल्ली के दीदार' पर ब्रेक

दरअसल दिल्ली पर्यटन विभाग द्वारा सिगनेचर ब्रिज के ऊपर बने ग्लास बॉक्स को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. सवाल ये कि यह शायद पर्यटकों के भारी दबाव को नहीं झेल सकेगा. इसके चलते इसे खोलने की योजना स्थगित कर दिया गया है.

2010 में थी ब्रिज को बनाने की योजना

वजीराबाद के समीप यमुना नदी पर सिगनेचर ब्रिज बनाने की परिकल्पना 11 साल पहले दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने की थी. इसे दिल्ली के लैंडमार्क के तौर पर बनाने का काम शुरू हुआ था. इसे अक्टूबर 2010 में आयोजित राष्ट्रमंडल खेल से पहले बनकर तैयार होने की बात कही गई थी, लेकिन यह हो नहीं सका.

लिफ्ट, एस्केलेटर लगाने का काम हुआ पूरा
लेट-लतीफी के बाद तैयार सिगनेचर ब्रिज पिछले महीने ही पूरी तरह काम संपन्न हो पाया है. वहीं निर्माण कार्य में वर्षों से लगी क्रेन को हटा दिया गया है. ऊपरी हिस्से में जहां पर्यटकों को जाकर दिल्ली के दीदार करने की व्यवस्था की गई थी, वह भी कर दी गई है.

गुणवत्ता पर सवाल
सूत्रों के मुताबिक सिग्नेचर ब्रिज के शीर्ष पर उस जगह पहुंचाने वाले चारों एलेवेटर्स की इतनी क्षमता नहीं है कि पर्यटकों की क्षमता को दबाव को झेल सकें. भारी संख्या में जब पर्यटक सिग्नेचर ब्रिज के दर्शक दीर्घा में 154 मीटर की ऊंचाई पर होंगे, जो कि कुतुब मीनार से भी दोगुनी ऊंचाई है. उसके अगले हिस्से में शीशे की मोटी दीवार है, जिसके गर्मियों के मौसम में बेहद गर्म होने की आशंका है. ऐसे में इस गैलरी को चालू करने को लेकर दिल्ली सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है.

डिजाइन बदलने पर चल रहा विचार
सिग्नेचर ब्रिज को तैयार करने वाले हैं दिल्ली पर्यटन विभाग ब्रिज के दोनों पिलर में लगाए गए एस्केलेटर के डिजाइन में सुधार और चौड़ा करने का काम शुरू कर दिया है.

हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि गैलरी को शुरू करने का फैसला राजनीतिक नेतृत्व को ही लेना है. इस संबंध में हमने दिल्ली के पर्यटन मंत्री मनीष सिसोदिया से कई बार संपर्क करने की कोशिश की अगर उनका कोई जवाब नहीं आया सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण में 1518 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.

ये थी योजना
बता दें कि सिगनेचर ब्रिज के जिस ऊपरी हिस्से पर टूरिस्ट प्वाइंट बनाया गया है. वहां 50 से 60 पर्यटक एक साथ लिफ्ट व एस्केलेटर के जरिए पहुंचकर पूरी दिल्ली का दीदार कर सकेंगे. वहीं नीचे से चार जगहों पर लिफ्ट होंगे. जो ब्रिज के ऊपरी हिस्से तक पर्यटकों को ले जाएंगे और वहां से पर्यटक पूरे दिल्ली का दीदार कर सकेंगे. लेकिन अभी ऐसा नहीं हो पाएगा.

नई दिल्ली: एफिल टावर की तर्ज पर दिल्ली से गुजरने वाली यमुना नदी पर बनाए गए नवनिर्मित सिगनेचर ब्रिज के शीर्ष से दिल्ली दर्शन की योजना पर फिलहाल ब्रेक लग गया है.

सिग्नेचर ब्रिज से 'दिल्ली के दीदार' पर ब्रेक

दरअसल दिल्ली पर्यटन विभाग द्वारा सिगनेचर ब्रिज के ऊपर बने ग्लास बॉक्स को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. सवाल ये कि यह शायद पर्यटकों के भारी दबाव को नहीं झेल सकेगा. इसके चलते इसे खोलने की योजना स्थगित कर दिया गया है.

2010 में थी ब्रिज को बनाने की योजना

वजीराबाद के समीप यमुना नदी पर सिगनेचर ब्रिज बनाने की परिकल्पना 11 साल पहले दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने की थी. इसे दिल्ली के लैंडमार्क के तौर पर बनाने का काम शुरू हुआ था. इसे अक्टूबर 2010 में आयोजित राष्ट्रमंडल खेल से पहले बनकर तैयार होने की बात कही गई थी, लेकिन यह हो नहीं सका.

लिफ्ट, एस्केलेटर लगाने का काम हुआ पूरा
लेट-लतीफी के बाद तैयार सिगनेचर ब्रिज पिछले महीने ही पूरी तरह काम संपन्न हो पाया है. वहीं निर्माण कार्य में वर्षों से लगी क्रेन को हटा दिया गया है. ऊपरी हिस्से में जहां पर्यटकों को जाकर दिल्ली के दीदार करने की व्यवस्था की गई थी, वह भी कर दी गई है.

गुणवत्ता पर सवाल
सूत्रों के मुताबिक सिग्नेचर ब्रिज के शीर्ष पर उस जगह पहुंचाने वाले चारों एलेवेटर्स की इतनी क्षमता नहीं है कि पर्यटकों की क्षमता को दबाव को झेल सकें. भारी संख्या में जब पर्यटक सिग्नेचर ब्रिज के दर्शक दीर्घा में 154 मीटर की ऊंचाई पर होंगे, जो कि कुतुब मीनार से भी दोगुनी ऊंचाई है. उसके अगले हिस्से में शीशे की मोटी दीवार है, जिसके गर्मियों के मौसम में बेहद गर्म होने की आशंका है. ऐसे में इस गैलरी को चालू करने को लेकर दिल्ली सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है.

डिजाइन बदलने पर चल रहा विचार
सिग्नेचर ब्रिज को तैयार करने वाले हैं दिल्ली पर्यटन विभाग ब्रिज के दोनों पिलर में लगाए गए एस्केलेटर के डिजाइन में सुधार और चौड़ा करने का काम शुरू कर दिया है.

हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि गैलरी को शुरू करने का फैसला राजनीतिक नेतृत्व को ही लेना है. इस संबंध में हमने दिल्ली के पर्यटन मंत्री मनीष सिसोदिया से कई बार संपर्क करने की कोशिश की अगर उनका कोई जवाब नहीं आया सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण में 1518 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.

ये थी योजना
बता दें कि सिगनेचर ब्रिज के जिस ऊपरी हिस्से पर टूरिस्ट प्वाइंट बनाया गया है. वहां 50 से 60 पर्यटक एक साथ लिफ्ट व एस्केलेटर के जरिए पहुंचकर पूरी दिल्ली का दीदार कर सकेंगे. वहीं नीचे से चार जगहों पर लिफ्ट होंगे. जो ब्रिज के ऊपरी हिस्से तक पर्यटकों को ले जाएंगे और वहां से पर्यटक पूरे दिल्ली का दीदार कर सकेंगे. लेकिन अभी ऐसा नहीं हो पाएगा.

Intro:नई दिल्ली. एफिल टावर की तर्ज पर दिल्ली से गुजरने वाली यमुना नदी पर बनाए गए नवनिर्मित सिगनेचर ब्रिज के शीर्ष से दिल्ली दर्शन की योजना पर फिलहाल ब्रेक लग गया है. दिल्ली पर्यटन विभाग द्वारा सिगनेचर ब्रिज के ऊपर बने ग्लासबॉक्स को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. सवाल ये कि यह शायद पर्यटकों के भारी दबाव को नहीं झेल सकेगा. इसके चलते इसे खोलने की योजना स्थगित कर दिया गया है.


Body:11 साल पहले ब्रिज को तैयार बनाने की बनी थी योजना

वजीराबाद के समीप यमुना नदी पर सिगनेचर ब्रिज बनाने की परिकल्पना 11 साल पहले दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने की थी. इसे दिल्ली के लैंडमार्क के तौर पर बनाने का काम शुरू हुआ था. इसे अक्टूबर 2010 में आयोजित राष्ट्रमंडल खेल से पहले बनकर तैयार होने की बात कही गई थी. लेकिन यह हो नहीं सका.

लिफ्ट, एस्केलेटर लगाने का काम पिछले महीने हुआ पूरा

लेटलतीफी के बाद तैयार सिगनेचर ब्रिज पिछले महीने ही पूरी तरह काम संपन्न हो पाया. वहां निर्माण कार्य में वर्षों से लगी क्रेन आदि को हटा दिया गया है. सिग्नेचर ब्रिज के दो मुख्य पिलर में आदि लगाने की जो योजना थी वह सब भी लग गई. ऊपरी हिस्से में जहां पर्यटकों को जाकर दिल्ली के दीदार करने की व्यवस्था की गई थी, वह भी कर दी गई है.

ऊपरी हिस्से में लगाए गए शीशे की दीवार की गुणवत्ता पर सवाल

सूत्रों के मुताबिक सिग्नेचर ब्रिज के शीर्ष पर उस जगह पहुंचाने वाले चारों एलेवेटर्स की इतनी क्षमता नहीं है कि पर्यटकों की क्षमता को दबाव को झेल सकें. भारी संख्या में जब पर्यटक सिग्नेचर ब्रिज के दर्शक दीर्घा में 154 मीटर की ऊंचाई पर होंगे, जोकि कुतुब मीनार से भी दोगुनी ऊंचाई है. उसके अगले हिस्से में शीशे की मोटी दीवार है. जिसके गर्मियों के मौसम में बेहद गर्म होने की आशंका है. ऐसे में इस गैलरी को चालू करने को लेकर दिल्ली सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है.

डिज़ाइन बदलने पर चल रहा है विचार

सिग्नेचर ब्रिज को तैयार करने वाले हैं दिल्ली पर्यटन विभाग ब्रिज के दोनों पिलर में लगाए गए एस्केलेटर के डिजाइन में सुधार और चौड़ा करने का काम शुरू कर दिया है. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि गैलरी को शुरू करने का फैसला राजनीतिक नेतृत्व को ही लेना है. इस संबंध में हमने दिल्ली के पर्यटन मंत्री मनीष सिसोदिया से कई बार संपर्क करने की कोशिश की अगर उनका कोई जवाब नहीं आया सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण में 1518 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं.


Conclusion:बता दें कि सिगनेचर ब्रिज के जिस ऊपरी हिस्से पर टूरिस्ट प्वाइंट बनाया गया है. वहां 50 से 60 पर्यटक एक साथ लिफ्ट व एस्केलेटर के जरिए पहुंचकर पूरी दिल्ली का दीदार कर सकेंगे. नीचे से चार जगहों पर लिफ्ट होंगी जो ब्रिज के ऊपरी हिस्से तक पर्यटकों को ले जायेंगे और वहां से पर्यटक पूरे दिल्ली का दीदार कर सकेंगे. लेकिन अभी ऐसा नहीं हो पायेगा.

समाप्त, आशुतोष झा
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