नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है, जिसमें पाकिस्तान पर भारत के एक ट्रिलियन रुपये से ज्यादा की रकम के बकाये की वसूली के आदेश देने की मांग की गई थी. कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ये नीतिगत मसला है और कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकती है.
याचिका ओम सहगल ने दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि पाकिस्तान पर भारत का करीब एक ट्रिलियन से ज्यादा का कर्ज है. याचिका में कहा गया था कि विभाजन के समय भारत ने पाकिस्तान को करीब 20 करोड़ रुपये से ज्यादा दिए थे, लेकिन उसके ठीक बाद पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला कर दिया. इन पैसों का पाकिस्तान भारत पर लगातार हमले में इस्तेमाल करता रहा है. इन हमलों में हजारों भारतीय सैनिकों ने अपनी जान गंवाई है.
याचिका में बजट के बहुत सारे दस्तावेजों का हवाला दिया गया था, जिसमें 1947 और उसके बाद भारत की ओर से पाकिस्तान को करीब 300 करोड़ रुपये देने का जिक्र है. याचिका में कहा गया था कि इस कर्ज का ब्याज बढ़कर करीब एक ट्रिलियन रुपये से ज्यादा हो गया है. याचिका में कहा गया था कि कोर्ट वित्त मंत्रालय को निर्देश दे कि वो पाकिस्तान से अपने कर्ज की वसूली के लिए तत्काल कदम उठाए. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता अपनी भावनाओं के लिहाज से सही हो सकता है, लेकिन ये एक नीतिगत मसला है, जिसे सरकार पर छोड़ देना चाहिए.
पाकिस्तान पर भारत के एक ट्रिलियन बकाये को वसूलने की मांग पर सुनवाई से इनकार - recovery from Pakistan
याचिका ओम सहगल ने दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि पाकिस्तान पर भारत का करीब एक ट्रिलियन से ज्यादा का कर्ज है. याचिका में कहा गया था कि विभाजन के समय भारत ने पाकिस्तान को करीब 20 करोड़ रुपये से ज्यादा दिए थे, लेकिन उसके ठीक बाद पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला कर दिया. इन पैसों का पाकिस्तान भारत पर लगातार हमले में इस्तेमाल करता रहा है. इन हमलों में हजारों भारतीय सैनिकों ने अपनी जान गंवाई है.
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नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है, जिसमें पाकिस्तान पर भारत के एक ट्रिलियन रुपये से ज्यादा की रकम के बकाये की वसूली के आदेश देने की मांग की गई थी. कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ये नीतिगत मसला है और कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकती है.
याचिका ओम सहगल ने दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि पाकिस्तान पर भारत का करीब एक ट्रिलियन से ज्यादा का कर्ज है. याचिका में कहा गया था कि विभाजन के समय भारत ने पाकिस्तान को करीब 20 करोड़ रुपये से ज्यादा दिए थे, लेकिन उसके ठीक बाद पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला कर दिया. इन पैसों का पाकिस्तान भारत पर लगातार हमले में इस्तेमाल करता रहा है. इन हमलों में हजारों भारतीय सैनिकों ने अपनी जान गंवाई है.
याचिका में बजट के बहुत सारे दस्तावेजों का हवाला दिया गया था, जिसमें 1947 और उसके बाद भारत की ओर से पाकिस्तान को करीब 300 करोड़ रुपये देने का जिक्र है. याचिका में कहा गया था कि इस कर्ज का ब्याज बढ़कर करीब एक ट्रिलियन रुपये से ज्यादा हो गया है. याचिका में कहा गया था कि कोर्ट वित्त मंत्रालय को निर्देश दे कि वो पाकिस्तान से अपने कर्ज की वसूली के लिए तत्काल कदम उठाए. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता अपनी भावनाओं के लिहाज से सही हो सकता है, लेकिन ये एक नीतिगत मसला है, जिसे सरकार पर छोड़ देना चाहिए.