नई दिल्ली: कोरोना के काल में एक परिवार के 6 लोग 28 दिनों के अंदर काल के गाल में समा गए (Six members same family die Corona). 31 मई को इस परिवार में सभी 6 लोगों का एक साथ 13वीं का कार्यक्रम किया गया.
दक्षिण दिल्ली के देवली (South Delhi Deoli) में मित्तल निवास में 15 लोगों का परिवार रहता था. बुजुर्ग दादा-दादी से लेकर बच्चे और पोते सभी इस परिवार में एक साथ हंसी खुशी रहते थे, लेकिन इनकी सारी खुशियों को कोरोना महामारी ने रौंद कर रख दिया. कोरोना के काल ने इस परिवार पर इतना वार किया, इनके आंखों के आंसू सूख गए. कोरोना के दौर में यह परिवार इतना सदमे में था किस दिन कौन सा परिवार का सदस्य दुनिया से चला जाए. अप्रैल में इस परिवार के तीन लोग एक साथ कोविड पॉजिटिव हुए. उस वक्त दिल्ली की बुरी हालत थी. प्राइवेट हॉस्पिटल में बेड मिलना मुश्किल था.
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मित्तल परिवार अपने सदस्यों को बचाने के लिए प्राइवेट और सरकारी सभी अस्पतालों मैं चक्कर काटता रहा, लेकिन बेड नहीं मिला. ऐसे में यह लोग हरियाणा के झज्जर के एम्स हॉस्पिटल गए. वहां पर इन्होंने अपने तीनों मरीज को एडमिट कर दिया. इलाज अभी चल रहा था कि दो और लोग परिवार के सदस्य कोविड पॉजिटिव हो गए. उन्हें भी तुरंत एम्स में एडमिट कराया गया. इलाज, बीमारी और पॉजिटिव होने का सिलसिला मानो हर दिन शुरू हो गया. हर रोज परिवार के सदस्य की हालत बिगड़ती गई.
मित्तल परिवार के जितने भी बड़े बुजुर्ग थे, सभी अस्पताल में थे और इलाज करवा रहे थे. ऐसे में घर के कुछ नौजवान बच्चे ही थे. इस परिवार के लोगों की शिकायत है कि एम्स हॉस्पिटल झज्जर में इनके मरीजों की इलाज के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जा रही थी. यह परिवार अपने बीमार सदस्यों को लेकर काफी सदमे में था. इतने में झज्जर हॉस्पिटल से परिवार के लोगों की मौत की खबर आनी शुरू हुई. सबसे पहले 83 साल की बुजुर्ग सत्यवती मित्तल की मौत हो गई. इसके बाद बेटे अमित मित्तल की मौत हो गई, कुछ ही दिनों बाद उनके दूसरे बेटे राजीव मित्तल की भी मौत हो गई. इस परिवार में बाकी लोग, जो पॉजिटिव हैं, उन्हें पीएसआरआई हॉस्पिटल और यशोदा हॉस्पिटल गाजियाबाद में एडमिट किया गया था. एक सदस्य की मौत पीएसआरआई हॉस्पिटल में हुई, तो वहीं, एक सदस्य यशोदा हॉस्पिटल गाजियाबाद में मर गए. इस परिवार में 28 दिनों के अंदर दुखों का पहाड़ टूटा है. 31 मई को सभी 6 सदस्यों का तेरहवीं का कार्यक्रम घर में किया गया.
मित्तल परिवार कोरोना महामारी के सबसे बड़े शिकार परिवार में से हैं. इस परिवार में जितने भी कमाने वाले थे. वह अब इस दुनिया में नहीं रहे. परिवार की आर्थिक स्थिति थोड़ी ठीक जरूर है, लेकिन आगे परिवार का क्या होगा. इसके लिए सभी रिश्तेदार चिंतित हैं.