नई दिल्ली : दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (DSLSA) और एनडीएमसी की तरफ से “पर्यावरण संरक्षण कानूनी सहायता परामर्शदाता” विषय पर बुधवार को एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में पर्यावरण विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान एनडीएमसी के उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि पर्यावरण के प्रति सभी लोगों की भागीदारी समान रूप से है, चाहे वह आम आदमी हो या नगर पालिका के कर्मचारी. पर्यावरण एक ऐसा विषय है जिस पर जितनी बात की जाए कम ही होगी.
सतीश उपाध्याय ने कहा कि पांच जून, 2022 को हम 'विश्व पर्यावरण दिवस' मनाने जा रहे हैं. इसलिए हम आज से इस दिवस की तैयारी कर रहे हैं. DSLSA ने जिन विषयों को आज उठाया है वो DSLSA के कार्यों से बहुत अलग है. जिस प्रकार प्रधानमंत्री ने देश के नजरिये को बदला है, उसी प्रकार DSLSA की यह मुहिम वाकई काबिले तारीफ है.
उपाध्याय ने कहा कि हमें सबसे पहले अपने मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों को जानना जरूरी है. अपने मौलिक अधिकारों को तो हर कोई जानना चाहता, लेकिन मौलिक कर्तव्यों के प्रति लोगों का रवैया उदासीन है क्योंकि हर कोई चाहता है कि ये अधिकार मुझे चाहिये, लेकिन कर्तव्यों का पालन कोई और करे हम नहीं. उन्होंने कहा कि DSLSA को दिल्ली के कॉलेजों, विद्यालयों में एक मुहिम चलानी चाहिए, जिसमें लोगों को मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति उचित जानकारी मिल सके.
ये भी पढ़ें : डीडीए बना रहा 250 प्रजातियों के पौधे का कैक्टस पार्क
उपाध्याय ने बीते दिन दिल्ली में आई तेज बारिश और तूफान का जिक्र करते हुए कहा कि सैकड़ों पेड़ों और शाखाओं को हानि हुई, जो की एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि परिषद की इस क्षेत्र में इतनी उपलब्धियां होने के बाद भी भविष्य में इस प्रकार की आपदा और चुनौतियों से कैसे बचा जाए. इस पर सोचने की जरूरत है. ताकि पर्यावरण को भारी नुकसान से बचाया जा सके.
ये भी पढ़ें : दिल्ली में ग्रीन एरिया बढ़ा, टारगेट से अधिक हुआ पौधरोपण : गोपाल राय
उपाध्यय ने कहा परिषद् पहला ऐसा क्षेत्र होगा, जिसे NDMC पूरी तरह “बीन-फ्री” बनाने जा रही है, जिसके लिए 26 जगहों पर अंडरग्राउंड बीन लगाए गए हैं और 36 अन्य जगहों पर लगाये जाएंगे. 146 मेगावाट का हाइड्रोपावर का समझौता किया है, जिसके तहत 2024 तक परिषद् पूरी तरह ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल करेगा. उन्होंने सौर ऊर्जा को अधिक से अधिक उपयोग में लाने का आग्रह किया. हमें पर्यावरण को अपनाने की जरूरत है. हमें अपनी संस्कृति पर्यावरण धरोहर को संभाल के रखना है. इसे बचाना है क्योंकि वेदों ने भी हमें पृथ्वी मां, गंगा मां की पूजा करना सिखाया है.