नई दिल्ली: दिल्ली के रेलवे स्टेशनों को भिखारी मुक्त बनाने के लिए रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स ने एक विशेष अभियान चला रखा है. इसके तहत स्टेशन परिसर में मौजूद भिखारियों को न सिर्फ हटाया जा रहा है बल्कि इनका पुनर्वास भी किया जा रहा है. अब तक 54 भिखारियों को हटाया जा चुका है जबकि दावा है कि 15 अगस्त तक स्टेशनों पर भिखारी नजर नहीं आएंगे.
उत्तर रेलवे अधिकारियों के मुताबिक स्टेशनों पर भिखारियों की समस्या दूर करने के लिए एक सर्वे किया गया था. इसमें पता चला कि यहां करीब 500 से ज्यादा भिखारी हैं जो स्टेशनों पर ही रहते हैं. दिन में ये लोग स्टेशन परिसर में भीख मांगते हैं और रात में प्लेटफार्म या आसपास ही सो जाते हैं. इनसे सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने में भी दिक्क्त होती थी.
अधिकारियों ने बताया कि यही लोग स्टेशन के आसपास नशा करते थे और कई बार इनके आपास में लड़ने व चाकूबाजी की घटनाएं भी सामने आईं हैं. ऐसे में इनसे निपटने के लिए आरपीएफ के अधिकारियों की बैठक हुई जिसमें 15 अगस्त तक दिल्ली के स्टेशनों को भिखारी मुक्त करने की योजना बनाई गई.
आरपीएफ के लिए था बड़ा चैलेंज
दिल्ली मंडल के सीनियर डिवीज़नल सिक्युरिटी कमांडेंट ए एन झा ने बताया कि अब तक रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के सामने सबसे बड़ा चैलेंज था कि जितनी बार भी इन भिखारियों को भगाया जाता था उतनी बार ही ये वापस आ जाते थे. परमानेंट सॉल्यूशन के लिए अबकी बार एनजीओ की मदद से भिखारियों के पुनर्वास का काम चल रहा है. यहां इन्हें नहला-धुलाकर पहनने के लिए साफ कपड़े दिए जाते हैं, साथ ही खिलौने बनाना, हैंडीक्राफ्ट जैसे छोटे-मोटे काम भी सिखाए जा रहे हैं. एनजीओ की मदद से इन्हें निजी कंपनियों से काम दिलवाया जा रहा है जिससे की वह मुख्यधारा में वापस आकर समाज से जुड़े सकें.
पूरी प्रक्रिया के लिए स्टेशनों को कई ग्रुप में बांटा गया है. पकड़े गए लोगों नाम, पिता, पता आदि का रिकार्ड रखा जा रहा है. जिससे इनके दोबारा लौटने पर पता रहें.