नई दिल्ली: प्रजा फाउंडेशन ने गुरुवार को दिल्ली के प्रेस क्लब में स्वास्थ्य स्थिति पर एक कार्यक्रम आयोजित किया. जिसमें उसने 'दिल्ली में स्वास्थ्य स्थिति' पर अपनी सालाना रिपोर्ट भी जारी की. इस कार्यक्रम में दिल्ली में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की मौजूदा हालत और स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर निगरानी की जरूरत पर बल दिया गया.
कार्यक्रम में प्रजा फाउंडेशन के निदेशक मिलिंद म्हस्के ने कहा कि प्रजा फाउंडेशन ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) से वायु की गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े हासिल किए हैं. उन आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में पिछले 4 सालों (2015-2018) के दौरान एयर इंडेक्स के लिहाज से केवल 5 दिन वायु की गुणवत्ता अच्छी थी. दिल्ली में पिछले 4 सालों में औसत एयर इंडेक्स का स्तर खराब रहा. और कम से कम तीन महीनों के दौरान वायु की गुणवत्ता बेहद खराब रही है.
दिल्लीवासियों का स्वास्थ सुविधाओं पर खर्च
कार्यक्रम के दौरान मिलिंद म्हस्के ने बताया कि दिल्लीवासी अपनी आय का औसतन 9.8 फीसदी स्वास्थ सेवाओं पर खर्च करते हैं. अगर इसकी गणना प्रति व्यक्ति आय के मुताबिक की जाए तो प्रति परिवार स्वास्थ्य पर कुल 1लाख 16 हजार 887 रुपये सालाना खर्च करता है.
डायरिया और टाइफाइड के बढ़े मामले
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने बताया कि पिछले 3 सालों के आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली ने डेंगू से निपटने में कामयाबी पाई है. डेंगू के मामलों में भी कमी दर्ज की गई है. हालांकि पानी से होने वाली बीमारियों जैसे कि डायरिया (2018- 19) के 5 लाख 14 हजार 52 और टाइफाइड (2018-19) के 51 हजार 266 मामले सामने आए हैं. ये आंकड़े जलापूर्ति की खराब गुणवत्ता को दर्शाते हैं. क्योंकि साल 2018 में दूषित जल से संबंधित 36 हजार 436 शिकायतें सामने आई हैं.
'डिस्पेंसरी के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करे सरकार'
प्रजा फाउंडेशन के संस्थापक निताई मेहता ने कहा कि वर्तमान स्थिति में सबसे उचित यही होगा कि मोहल्ला क्लीनिक जैसी नई योजनाओं के बजाय सरकार मौजूदा डिस्पेंसरी के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की दिशा में काम करें. जहां विशेषज्ञ डॉक्टर नियमित रूप से मौजूद होने चाहिए. डिस्पेंसरी और अस्पतालों की OPD की समय सीमा को बेहतर बनाते हुए इसे सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक निर्धारित किया जाना चाहिए.