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पैसेंजर ट्रेनों के नहीं चलने से दिल्ली- NCR के 15 लाख लोग प्रभावित

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Published : Jun 6, 2020, 4:20 PM IST

दिल्ली और एनसीआर के अलग-अलग शहरों को आपस में जोड़ने वाली पैसेंजर ट्रेनों के नहीं चलने से करीब 15 लाख लोग प्रभावित हैं. एक जानकारी के मुताबिक दिल्ली से रोजाना करीब 300 पैसेंजर गाड़ियों का परिचालन होता है. इसमें सबसे अधिक दिल्ली गाजियाबाद रूट पर 104 सर्विस हैं.

people waiting for passenger train services in delhi
पैसेंजर ट्रेन

नई दिल्ली: लॉकडाउन में दी गई छूट के चलते रेलवे ने मेल/एक्सप्रेस गाड़ियां तो चला दी हैं, लेकिन दिल्ली और एनसीआर के अलग-अलग शहरों को आपस में जोड़ने वाली पैसेंजर ट्रेनों के नहीं चलने से करीब 15 लाख लोग प्रभावित हैं. दिल्ली से सटे गाज़ियाबाद, मेरठ, सोनीपत, पानीपत, गुड़गांव, फरीदाबाद, अलीगढ़, रेवाड़ी जैसी जगहों के लोग अपने काम धंधे के लिए इन्हीं गाड़ियों पर आश्रित रहते थे. खास बात है कि रेलवे कोरोना के चलते इन गाड़ियों को चलाने के मूड में भी नहीं है.

पैसेंजर ट्रेनों के नहीं चलने से लोग परेशान
300 पैसेंजर गाड़ियों का होता है परिचालन


एक जानकारी के मुताबिक दिल्ली से रोजाना करीब 300 पैसेंजर गाड़ियों का परिचालन होता है. इसमें सबसे अधिक दिल्ली गाजियाबाद रूट पर 104 सर्विस हैं. इससे अलग अन्य रूटों पर जिसमें दिल्ली-रेवाड़ी, दिल्ली-सोनीपत, दिल्ली फरीदाबाद, जैसे रूट है और ऐसे कई छोटे-बड़े स्टेशन है जहां से हजारों यात्री रोजाना दिल्ली आते हैं. आलम ये हैं कि यात्रियों ने अब पैसेंजर गाड़ियों के चलने की उम्मीद भी छोड़ दी है.


कहां के लिए कितनी गाड़ियां!

  • दिल्ली- मथुरा 46 सर्विस
  • दिल्ली-रेवाड़ी 24 सर्विस
  • दिल्ली-पानीपत 23 सर्विस
  • दिल्ली- रोहतक 26 सर्विस
  • दिल्ली- शामली 22 सर्विस
  • दिल्ली- मेरठ 17 सर्विस
  • दिल्ली- अलीगढ़ 22 सर्विस
    people waiting for passenger train services in delhi
    दिल्ली रेलवे स्टेशन


जेब को सूट करता है रेल का सफर


एनसीआर के इलाके से आने वाले ज्यादा लोग रेल को अपनी पहली पसंद बताते हैं. क्योंकि यह सफर उनकी जेब के साथ-साथ समय को भी सूट करता है. सुबह 6 बजे अलीगढ़ से चलकर दिल्ली आने वाली 3 ईएमयू गाड़ियों से हज़ारों लोग दिल्ली आया करते थे. 9 बजे तक ये गाड़ियां दिल्ली पहुंचा देती थीं, जो किसी भी कामकाजी को ठीक लगता था. दोपहर में TAD (टूंडला-अलीगढ़-दिल्ली) सर्विस से ये लोग उसी दिन घर भी पहुंच जाते हैं. रोज़ाना के किराए को देखें तो रेल से ये सफर 40-50 रुपये में हो जाता है, जबकि बस से इसमें 250 तक का खर्चा बैठता है. इसी तरह पलवल से आने वाले लोगों की भी यही कहानी है.

लॉकडाउन में मासिक पास हुआ बेकार


कोरोना वायरस के चलते किए गए देशव्यापी लॉकडाउन में रेल परिचालन को पूरी तरह बंद कर दिया गया था. इस दौरान जिन लोगों ने यात्रा के लिए मासिक पास बनवाए थे उनके पास भी घर पड़े धूल फांक रहे हैं. एडवांस रिजर्वेशन वाले लोगों को उनका पूरा पैसा वापस मिल गया, लेकिन इन पास वालों का क्या होगा यह किसी को नहीं पता. एक मासिक पास की राशि ₹100 से लेकर 525 रुपये तक होती है. कुछ लोगों ने 3 और 6 महीने के पास बनवाए होते हैं, जो पूरी तरह बेकार रहे हैं.

चलने की उम्मीद


सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली एनसीआर के लिए कॉमन पास सिस्टम के आदेश के बाद दैनिक यात्रियों के मन में पैसेंजर गाड़ियों की बहाली की उम्मीद भी जगी है. हालांकि ये मुमकिन होता नहीं दिख रहा. खुद अधिकारी इसकी संभावनाओं से इनकार कर रहे हैं.

people waiting for passenger train services in delhi
रेलवे रोड
सोशल डिस्टेनसिंग का पालन होगा मुश्किल


उत्तर रेलवे से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी के समय में रेलवे बोर्ड के आदेशानुसार गाड़ियों को चलाने और नहीं चलाने का फैसला लिया जा रहा है. कई जोनल रेलवेज ने इस संबंध में प्रस्ताव भेजे हैं, लेकिन पैसेंजर गाड़ियों को लेकर कोई प्लानिंग नहीं हैं. ऑक्यूपेंसी के हिसाब से भी देखें तो अभी मौजूदा गाड़ियों में भी लोग बहुत ज्यादा सफर नहीं कर रहे हैं. पैसेंजर गाड़ियों को शुरू करने में सबसे बड़ी चुनौती सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना होगा. ऐसे में अभी इन गाड़ियों की आस भी नहीं करनी चाहिए.

नई दिल्ली: लॉकडाउन में दी गई छूट के चलते रेलवे ने मेल/एक्सप्रेस गाड़ियां तो चला दी हैं, लेकिन दिल्ली और एनसीआर के अलग-अलग शहरों को आपस में जोड़ने वाली पैसेंजर ट्रेनों के नहीं चलने से करीब 15 लाख लोग प्रभावित हैं. दिल्ली से सटे गाज़ियाबाद, मेरठ, सोनीपत, पानीपत, गुड़गांव, फरीदाबाद, अलीगढ़, रेवाड़ी जैसी जगहों के लोग अपने काम धंधे के लिए इन्हीं गाड़ियों पर आश्रित रहते थे. खास बात है कि रेलवे कोरोना के चलते इन गाड़ियों को चलाने के मूड में भी नहीं है.

पैसेंजर ट्रेनों के नहीं चलने से लोग परेशान
300 पैसेंजर गाड़ियों का होता है परिचालन


एक जानकारी के मुताबिक दिल्ली से रोजाना करीब 300 पैसेंजर गाड़ियों का परिचालन होता है. इसमें सबसे अधिक दिल्ली गाजियाबाद रूट पर 104 सर्विस हैं. इससे अलग अन्य रूटों पर जिसमें दिल्ली-रेवाड़ी, दिल्ली-सोनीपत, दिल्ली फरीदाबाद, जैसे रूट है और ऐसे कई छोटे-बड़े स्टेशन है जहां से हजारों यात्री रोजाना दिल्ली आते हैं. आलम ये हैं कि यात्रियों ने अब पैसेंजर गाड़ियों के चलने की उम्मीद भी छोड़ दी है.


कहां के लिए कितनी गाड़ियां!

  • दिल्ली- मथुरा 46 सर्विस
  • दिल्ली-रेवाड़ी 24 सर्विस
  • दिल्ली-पानीपत 23 सर्विस
  • दिल्ली- रोहतक 26 सर्विस
  • दिल्ली- शामली 22 सर्विस
  • दिल्ली- मेरठ 17 सर्विस
  • दिल्ली- अलीगढ़ 22 सर्विस
    people waiting for passenger train services in delhi
    दिल्ली रेलवे स्टेशन


जेब को सूट करता है रेल का सफर


एनसीआर के इलाके से आने वाले ज्यादा लोग रेल को अपनी पहली पसंद बताते हैं. क्योंकि यह सफर उनकी जेब के साथ-साथ समय को भी सूट करता है. सुबह 6 बजे अलीगढ़ से चलकर दिल्ली आने वाली 3 ईएमयू गाड़ियों से हज़ारों लोग दिल्ली आया करते थे. 9 बजे तक ये गाड़ियां दिल्ली पहुंचा देती थीं, जो किसी भी कामकाजी को ठीक लगता था. दोपहर में TAD (टूंडला-अलीगढ़-दिल्ली) सर्विस से ये लोग उसी दिन घर भी पहुंच जाते हैं. रोज़ाना के किराए को देखें तो रेल से ये सफर 40-50 रुपये में हो जाता है, जबकि बस से इसमें 250 तक का खर्चा बैठता है. इसी तरह पलवल से आने वाले लोगों की भी यही कहानी है.

लॉकडाउन में मासिक पास हुआ बेकार


कोरोना वायरस के चलते किए गए देशव्यापी लॉकडाउन में रेल परिचालन को पूरी तरह बंद कर दिया गया था. इस दौरान जिन लोगों ने यात्रा के लिए मासिक पास बनवाए थे उनके पास भी घर पड़े धूल फांक रहे हैं. एडवांस रिजर्वेशन वाले लोगों को उनका पूरा पैसा वापस मिल गया, लेकिन इन पास वालों का क्या होगा यह किसी को नहीं पता. एक मासिक पास की राशि ₹100 से लेकर 525 रुपये तक होती है. कुछ लोगों ने 3 और 6 महीने के पास बनवाए होते हैं, जो पूरी तरह बेकार रहे हैं.

चलने की उम्मीद


सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली एनसीआर के लिए कॉमन पास सिस्टम के आदेश के बाद दैनिक यात्रियों के मन में पैसेंजर गाड़ियों की बहाली की उम्मीद भी जगी है. हालांकि ये मुमकिन होता नहीं दिख रहा. खुद अधिकारी इसकी संभावनाओं से इनकार कर रहे हैं.

people waiting for passenger train services in delhi
रेलवे रोड
सोशल डिस्टेनसिंग का पालन होगा मुश्किल


उत्तर रेलवे से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी के समय में रेलवे बोर्ड के आदेशानुसार गाड़ियों को चलाने और नहीं चलाने का फैसला लिया जा रहा है. कई जोनल रेलवेज ने इस संबंध में प्रस्ताव भेजे हैं, लेकिन पैसेंजर गाड़ियों को लेकर कोई प्लानिंग नहीं हैं. ऑक्यूपेंसी के हिसाब से भी देखें तो अभी मौजूदा गाड़ियों में भी लोग बहुत ज्यादा सफर नहीं कर रहे हैं. पैसेंजर गाड़ियों को शुरू करने में सबसे बड़ी चुनौती सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना होगा. ऐसे में अभी इन गाड़ियों की आस भी नहीं करनी चाहिए.

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