नई दिल्ली: दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) और इंडो ग्लोबल सोशल सर्विस सोसाइटी (IGSSS) के सहयोग से 10 सितंबर 2022 को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में दिल्ली में बस्ती के सामुदायिक नेतृत्व प्रबंधन पर राष्ट्रीय परामर्श बैठक का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. उनके साथ ही ओडिशा से सांसद अमर पटनायक व आंध्र प्रदेश के सांसद अयोध्या रामी रेड्डी सांसद सहित अन्य गणमान्य लोग कार्यक्रम में मौजूद रहे. इस चर्चा में भागीदार बनकर झुग्गी निवासियों ने भी अपनी बात रखी और अपनी बस्तियों के विकास सहित अन्य सामाजिक समस्याओं से पैनल को अवगत करवाया.
बैठक में दिल्ली के 50 से अधिक CSOs तथा 100 से अधिक प्रतिभागियों के साथ चर्चा हुई, जिन्हें झुग्गी बस्तियों में सामुदायिक प्रबंधन विकसित करने के लिए जोड़ा गया था. परामर्श में प्रतिभागियों की एक विस्तृत श्रृंखला थी जो कि अपने-अपने राज्यों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. सभा में छह राज्यों से अधिक प्रतिनिधि उपस्थित थे, जिन्होंने बस्ती स्लम विकास में सामुदायिक भागीदारी का अनुभव साझा किए.
मुख्य अतिथि मनीष सिसोदिया ने कहा कि ये बेहद हर्ष की बात है कि दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) जनता की समस्याओं को फाइल से बाहर निकाल कर, उन्हीं के आइडियाज पर चर्चा कर इन समस्याओं का समाधाना करने के लिए अनूठे प्रयास कर रही है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली की बस्तियों में रहने वाले लोगों को स्वयं की बस्ती के विकास के लिए निर्णय लेने व पॉलिसी चयन करने का अधिकार देना उनकी तरक्की के लिए महत्वपूर्ण है. क्योंकि वे जमीनी स्तर पर अपनी समस्याओं व उसका हल निकालने के उपायों के विषय में ज्यादा बेहतर समझते है. ऐसे में इस प्रकार के आयोजन उन्हें मंच प्रदान करेंगे जहाँ लोग अपने बस्तियों के तरक्की के लिए अपने विचार साझा कर सकेंगे.
सिसोदिया ने कहा कि, 2015 में सरकार में आने के बाद हमने देखा कि दिल्ली की 95% बस्तियों,अनाधिकृत कॉलोनियों में पानी, सीवर और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं थी. हमने इसको लेकर उन कॉलोनियों के लोगों से उनके सुझाव मांगे और यहां मूलभूत सुविधाएं विकसित करने की दिशा में काम किया. इसका नतीजा है कि आज दिल्ली की ज़्यादातर कॉलोनियों, बस्तियों में ये सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं और जहाँ नहीं हैं वहां काम चल रहा है.
सांसद अमर पटनायक ने कुछ आवश्यक बिंदुओं पर प्रकाश डाला, उन्होंने कहा कि “बस्तियों में सामाजिक, आर्थिक, जेंडर और कल्चरल मानदंडों का ध्यान रखते हुए सोचना होगा, कि संपर्क और संवाद दोनों तरफ़ से हो, सरकार से बस्ती और बस्ती से सरकार. सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मालिकाना हक़ की तरफ़ चलना होगा. ये सोचना होगा कि किस तरह का संवाद हो जिससे भागीदारी बढ़े.”
आंध्र प्रदेश से सांसद अयोध्या रामी रेड्डी ने कहा कि “शहरों की मास्टर प्लानिंग में चूक हुई. सरकार को प्लान करना होगा कि बस्ती में रहने वाले इतने लोगों के लिए, इतना इंफ़्रास्ट्रक्चर, इतने खर्चे में बनाना है. परामर्श प्रक्रिया में सभी हितधारकों को लेकर आना है और सभी को प्रदेय बताने होंगे जिससे कि कार्य समय पर और सही तरीके से सम्पन्न हो.”
दिन के दूसरे सत्र में DUSIB के सीईओ के महेश ने परामर्श में सभी विशेषज्ञों और हितधारकों के सामने सवाल रखा, कि बस्ती विकास समिति का गठन चुनाव, नामांकन या कोई वरिष्ठ कमेटी के सुझाव के द्वारा हो ? कार्यकाल कितना हो? शक्तियां क्या-क्या हों?
उन्होंने आश्वासन दिया कि बस्ती विकास समिति के लिए विशेषज्ञों और समुदाय के सदस्यों द्वारा उठाए गए सभी बिंदुओं को दर्ज किया गया है. दिल्ली पहले राज्यों में से है जो इस तरह की पॉलिसी पर काम कर रही है.
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