नई दिल्ली: राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ममता देवी, जिन्होंने महज 12 साल की उम्र से पेंटिंग करना शुरू कर दिया था. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा को भी इनकी पेंटिंग बेहद पसंद आती हैं. ममता इतनी सशक्त हैं कि वह सैकड़ों महिलाओं को रोजगार दे रहीं हैं. आइए जानते हैं ममता के संघर्ष और उनकी सफलता की कहानी...
बचपन से पेंटिंग का शौक रखने वाली ममता देवी की शादी 13 साल की उम्र में हुई थी. मूल रूप से बिहार की रहने वाली ममता देवी आजकल दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में रहती हैं. उनको मधुबनी पेंटिंग के लिए 2016 में भारत सरकार के द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया गया है.
ममता बताती हैं कि बीते 20 सालों में उन्होंने संघर्ष का दौर भी देखा है. फिलहाल उनसे कई महिलाएं जुड़ चुकी हैं और वह महिलाएं पेंटिंग के जरिए रोजगार पा रही हैं. वहीं कोरोना महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के दौरान जब सब कुछ बंद हो गया तो इनके सामने भी रोजगार का संकट उत्पन्न हुआ साथ ही इनसे जुड़ी उन महिलाओं के सामने भी रोजगार का संकट उत्पन्न हुआ जो इनके साथ पेंटिंग कर अपनी कमाई करती थी.
20 सालों में बहुत संघर्ष किया : ममता देवी
ममता देश के प्रमुख शहरों सहित मलेशिया में भी एग्जीबिशन लगा चुकी हैं. दिल्ली हाट, सूरजकुंड के अलावा देश के कई प्रमुख जगहों पर उन्होंने मधुबनी पेंटिंग की एग्जीबिशन लगाई है. अपने प्रोडक्ट सेल करने के लिए उन्होंने वेबसाइट बनाई है. फिलहाल अपने इस पेंटिंग के जरिए सैकड़ों महिलाओं को रोजगार दे रहीं हैं और यह सिलसिला इनका जारी है.
मधुबनी पेंटिंग के जरिए महिलाओं को दे रही हैं रोजगार : ममता देवी
ममता देवी को लॉकडाउन में जब उनको पता चला की कोरोना महामारी से बचाव के लिए मास्क जरूरी है उसके बाद उन्होंने कपड़ा खरीद कर महिलाओं के साथ मिलकर मास्क बनाना शुरू किया और उस मास्क अलग लुक देने के लिए उस पर मधुबनी पेंटिंग भी बनाना शुरू किया और उसको ऑनलाइन बेचना शुरू किया. उनके पेंटिंग को लोगों ने पसंद किया और उनके मास्क का ऑर्डर ऑनलाइन मिलता गया अभी तक इस तरीके के तीन लाख मास्क ममता देवी के द्वारा बेचा जा चुका है और इस रकम से सभी महिलाओं को रोजगार मिला है.
लॉकडाउन के दौरान तीन माह में 3 लाख मास्क बेचे : ममता देवी कलाकार
ममता देवी मधुबनी पेंटिंग बचपन से ही करती हुई आ रही है मूल रूप से बिहार की रहने वाली ममता देवी फिलहाल में दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में रहती हैं उनको मधुबनी पेंटिंग के लिए 2016 में भारत सरकार के द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया गया हैं.