नई दिल्ली: वीर सावरकर को भारत रत्न दिए जाने की मांग पर मुस्लिम बुद्धिजीवीयों ने बेहद कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए मोदी सरकार की मंशा को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है. मुस्लिम बुद्धिजीवीयों ने साफ कहा कि अगर सावरकर को भारत रत्न दिया जाता है तो यह भारत रत्न के साथ-साथ देश का भी अपमान होगा.
'सावरकर को भारत रत्न देना गलत'
ऑल इंडिया तिब्बी कांग्रेस से जुड़े डॉ. सयैद अहमद खान ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार की मंशा है कि ऐसे लोगों को सम्मान देकर उनके द्वारा अंग्रेजों के समर्थन जैसे आरोपों को धोना चाहती है. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तानी समाज इस बात को समझता है कि कौन देश की आजादी में शामिल थे और कौन भारत रत्न जैसे सर्वोच्च सम्मान के असली हकदार हैं. किसी भी सूरत में सावरकर को भारत रत्न दिए जाने का कोई औचित्य नहीं है.
उन्होंने कहा कि भारत में बसने वाला देश का नागरिक है चाहे वह कोई भी मजहब का इंसान हो. हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सबको समान दर्जा दिया जाना चाहिए. सबके साथ एक सा व्यवहार किया जाए. यह एक तरह से समाज के साथ नाइंसाफी होगी. यह सरकार का भी फर्ज बनता है कि देश के आपसी सौहार्द और इत्तेहाद को किसी को भी तोड़ने न दें.
'भारत देश का होगा अपमान'
जमीअत उलेमा ए हिंद के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आबिद कासमी ने कहा कि अगर वीर सावरकर को भारत रत्न दिया जाता है तो यह भारत देश का भी अपमान होगा. सरकार को यह साफ करना होगा क्या कि आखिर सावरकर को भारत रत्न दिए जाने का उसका पैमाना क्या है, क्या इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि जिस शख्स को भारत रत्न दिया जा रहा है उसका देश की आज़ादी के लिए कोई योगदान है भी या नहीं. अगर सच में भारत सरकार सावरकर को भारत रत्न देना चाहती है यह बड़े ही शर्म की बात है, सरकार को साफ करना होगा कि आखिर इसके पीछे उसकी मंशा क्या है.
'मन मर्जी पर उतारू है सरकार'
अताउर्रहमान अजमली ने भी सावरकर को भारत रत्न दिए जाने की कड़े शब्दों में निंदा की. साथ ही यह भी कहा कि मोदी सरकार अब अपनी मन मर्जी पर उतारू है, वह किसी को कुछ भी दे सकती है. हैरत तो तब होती है जब सरकार को शहीद अशफाकउल्ला खान, भगत सिंह, सर सैयद अहमद खान जैसे अजीम किरदार लोगों की खूबियां भी नजर नहीं आती.