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मेडिकल स्टोर्स की भीड़ हुई कम, कोरोना संबंधी दवाइयों की मांग महज़ 10 फीसद

कोरोना महामारी का शिकार हो रहे लोग जहां अस्पतालों में जिंदगी और मौत से जंग लड़ते रहे, वहीं खुद को संक्रमण से बचाए रखने के लिए आम जनता मेडिकल स्टोर का रुख करती रही. आलम यह रहा कि डर इतना अधिक था कि जहां से जो दवा सुनी, बस लेने के लिए पहुंच गए. कुछ दवाएं तो ऐसी थी, जिनकी मांग इतनी ज्यादा हो गई कि मेडिकल स्टोर पर भी उनका मिलना बंद हो गया.

Medical stores are less crowded in delhi
मेडिकल स्टोर्स पर नहीं रही पहले जैसी भीड़
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Published : May 21, 2021, 6:11 PM IST

नई दिल्ली: देश में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है. वहीं इस दौरान अगर लोगों को किसी चीज की जरूरत सबसे ज्यादा पड़ी है तो वह है दवाइयां. इस महामारी के दौरान किन दवाइयों की मांग सबसे ज्यादा बढ़ी और मेडिकल स्टोर पर दवाइयों की उपलब्धता की अब क्या स्थिति है इसको लेकर ईटीवी भारत ने बात की कुछ मेडिकल स्टोर विक्रेताओं से जिन्होंने बताया कि इस दौरान जिंक, विटामिन सी जैसी दवाईयों की मांग सबसे ज्यादा बढ़ी है. साथ ही कहा कि अब वैक्सीन आने के बाद दवाइयों की मांग महज़ 10 फीसदी ही रह गई है जबकि पिछले कुछ दिनों में उनके स्टॉक खाली हो गए थे.

मेडिकल स्टोर्स पर नहीं रही पहले जैसी भीड़

कोरोना काल में ज्यादातर लोगों ने मेडिकल स्टोर्स का किया रुख

कोरोना महामारी का शिकार हो रहे लोग जहां अस्पतालों में जिंदगी और मौत से जंग लड़ते रहे वहीं खुद को संक्रमण से बचाए रखने के लिए आम जनता मेडिकल स्टोर का रुख करती रही. आलम यह रहा कि डर इतना अधिक था कि जहां से जो दवा सुनी, बस लेने के लिए पहुंच गए. कुछ दवाएं तो ऐसी थी जिनकी मांग इतनी ज्यादा हो गई कि मेडिकल स्टोर पर भी उनका मिलना बंद हो गया.

लोगों का झुकाव सेल्फ मेडिकेशन की तरफ ज्यादा

इस संबंध में स्थिति में क्या परिवर्तन आए हैं और लोगों का झुकाव सेल्फ मेडिकेशन की तरफ ज्यादा है या डॉक्टरों की सुझाए गई दवाइयों पर इसको लेकर ईटीवी भारत ने मेडिकल स्टोर चलाने वाले आलोक और सूदन गुप्ता से बात की. वहीं आलोक ने बताया कि कोविड-19 के मामले बीच में इतने बढ़े कि उनके पास जो भी दवाइयों का स्टॉक था सब खाली हो गया था. साथ ही उन्होंने कहा कि इस बात का खासा ध्यान रख रहे थे कि बिना डॉक्टर के प्रेस्क्रिप्शन के किसी भी ग्राहक को दवाई ना दी जाए.

जिंक और विटामिन सी की सबसे ज्यादा बढ़ी मांग

हालांकि उन्होंने कहा कि कुछ दवाइयां ऐसी हैं जिन्हें आमतौर पर लोग इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर ले रहे थे जिनको लेने से कोई नुकसान नहीं था. केवल वही दवाइयां थी जो सभी लोगों को बिना प्रिस्क्रिप्शन के दी जा रही थी. उन्होंने कहा कि जिंक और विटामिन सी जैसी दवाइयों की मांग बहुत बढ़ गई थी.

बिना प्रिस्क्रिप्शन के दवाई नहीं

वहीं उन्होंने कहा कि अगर अभी की स्थिति से देखा जाए तो इन दवाइयों की मांग में अचानक से कमी आई है. वैक्सीनेशन की ओर लोग ज्यादा रुख कर रहे हैं जिससे अब शुगर, थायराइड, पेट दर्द जैसी आम बीमारियों की दवाइयां ही लोग ले जा रहे हैं. साथ ही कहा कि उन्होंने इस बात का खाता ध्यान रखा है कि किसी भी ग्राहक को बिना डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन के दवाई ना दी जाए.



छोटी-मोटी दवाइयों के किये प्रिस्क्रिप्शन मांगना गलत

मेडिकल स्टोर्स जहां हर तरह की सावधानी बरतने की बात कर रहे हैं. वहां ग्राहकों को किस तरह की परेशानी हो रही है इसको लेकर भी ईटीवी भारत ने कुछ ग्राहकों से बात की, जिनका कहना था कि डॉक्टरों का प्रिस्क्रिप्शन ना होने के चलते उन्हें दवाई नहीं मिल रही है. उनका कहना है कि गंभीर समस्या में डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना दवाई न देना समझ में आता है, लेकिन छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन मांगना उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है. ग्राहकों का कहना है कि अस्पतालों में स्थिति बहुत ही भयानक है. ऐसे में सेल्फ मेडिकेशन उन्हें बेहतर विकल्प समझ आता है.

नई दिल्ली: देश में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है. वहीं इस दौरान अगर लोगों को किसी चीज की जरूरत सबसे ज्यादा पड़ी है तो वह है दवाइयां. इस महामारी के दौरान किन दवाइयों की मांग सबसे ज्यादा बढ़ी और मेडिकल स्टोर पर दवाइयों की उपलब्धता की अब क्या स्थिति है इसको लेकर ईटीवी भारत ने बात की कुछ मेडिकल स्टोर विक्रेताओं से जिन्होंने बताया कि इस दौरान जिंक, विटामिन सी जैसी दवाईयों की मांग सबसे ज्यादा बढ़ी है. साथ ही कहा कि अब वैक्सीन आने के बाद दवाइयों की मांग महज़ 10 फीसदी ही रह गई है जबकि पिछले कुछ दिनों में उनके स्टॉक खाली हो गए थे.

मेडिकल स्टोर्स पर नहीं रही पहले जैसी भीड़

कोरोना काल में ज्यादातर लोगों ने मेडिकल स्टोर्स का किया रुख

कोरोना महामारी का शिकार हो रहे लोग जहां अस्पतालों में जिंदगी और मौत से जंग लड़ते रहे वहीं खुद को संक्रमण से बचाए रखने के लिए आम जनता मेडिकल स्टोर का रुख करती रही. आलम यह रहा कि डर इतना अधिक था कि जहां से जो दवा सुनी, बस लेने के लिए पहुंच गए. कुछ दवाएं तो ऐसी थी जिनकी मांग इतनी ज्यादा हो गई कि मेडिकल स्टोर पर भी उनका मिलना बंद हो गया.

लोगों का झुकाव सेल्फ मेडिकेशन की तरफ ज्यादा

इस संबंध में स्थिति में क्या परिवर्तन आए हैं और लोगों का झुकाव सेल्फ मेडिकेशन की तरफ ज्यादा है या डॉक्टरों की सुझाए गई दवाइयों पर इसको लेकर ईटीवी भारत ने मेडिकल स्टोर चलाने वाले आलोक और सूदन गुप्ता से बात की. वहीं आलोक ने बताया कि कोविड-19 के मामले बीच में इतने बढ़े कि उनके पास जो भी दवाइयों का स्टॉक था सब खाली हो गया था. साथ ही उन्होंने कहा कि इस बात का खासा ध्यान रख रहे थे कि बिना डॉक्टर के प्रेस्क्रिप्शन के किसी भी ग्राहक को दवाई ना दी जाए.

जिंक और विटामिन सी की सबसे ज्यादा बढ़ी मांग

हालांकि उन्होंने कहा कि कुछ दवाइयां ऐसी हैं जिन्हें आमतौर पर लोग इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर ले रहे थे जिनको लेने से कोई नुकसान नहीं था. केवल वही दवाइयां थी जो सभी लोगों को बिना प्रिस्क्रिप्शन के दी जा रही थी. उन्होंने कहा कि जिंक और विटामिन सी जैसी दवाइयों की मांग बहुत बढ़ गई थी.

बिना प्रिस्क्रिप्शन के दवाई नहीं

वहीं उन्होंने कहा कि अगर अभी की स्थिति से देखा जाए तो इन दवाइयों की मांग में अचानक से कमी आई है. वैक्सीनेशन की ओर लोग ज्यादा रुख कर रहे हैं जिससे अब शुगर, थायराइड, पेट दर्द जैसी आम बीमारियों की दवाइयां ही लोग ले जा रहे हैं. साथ ही कहा कि उन्होंने इस बात का खाता ध्यान रखा है कि किसी भी ग्राहक को बिना डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन के दवाई ना दी जाए.



छोटी-मोटी दवाइयों के किये प्रिस्क्रिप्शन मांगना गलत

मेडिकल स्टोर्स जहां हर तरह की सावधानी बरतने की बात कर रहे हैं. वहां ग्राहकों को किस तरह की परेशानी हो रही है इसको लेकर भी ईटीवी भारत ने कुछ ग्राहकों से बात की, जिनका कहना था कि डॉक्टरों का प्रिस्क्रिप्शन ना होने के चलते उन्हें दवाई नहीं मिल रही है. उनका कहना है कि गंभीर समस्या में डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना दवाई न देना समझ में आता है, लेकिन छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन मांगना उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है. ग्राहकों का कहना है कि अस्पतालों में स्थिति बहुत ही भयानक है. ऐसे में सेल्फ मेडिकेशन उन्हें बेहतर विकल्प समझ आता है.

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