नई दिल्ली: दिल्ली के लोकायुक्त जस्टिस हरीश चंद्र मिश्रा ने दिल्ली सरकार के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ दिल्ली सरकार के स्कूलों में नए क्लासरूम बनाने में दो हजार करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में सुनवाई की. बीजेपी सांसद मनोज तिवारी की शिकायत पर सुनवाई करते हुए मनीष सिसोदिया और दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया गया है.
लोकायुक्त ने मनीष सिसोदिया और मुख्य सचिव को 20 अक्टूबर को पेश होने का निर्देश दिया है. लोकायुक्त ने मनोज तिवारी को निर्देश दिया कि वो शिकायत की प्रति मनीष सिसोदिया और दिल्ली के मुख्य सचिव को उपलब्ध कराएं. मनोज तिवारी ने अपनी शिकायत में कहा है कि मनीष सिसोदिया ने दिल्ली के जोन नंबर 23, 25 और 29 में पुराने स्कूलों में नए क्लासरूम बनाए. इसमें दो हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है. शिकायत में कहा गया है कि 300 स्क्वायर फीट के कमरे बनवाए गए हैं, जिन पर हमारे हिसाब से प्रति क्लास 3-5 लाख का खर्च आता है लेकिन दिल्ली सरकार ने एक कमरा बनाने के लिए 25 लाख रुपये आवंटित किए.
सुनवाई और कोर्ट के आदेश के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों में अतिरिक्त कमरा बनाने के लिए टेंडर किए थे और जो कमरे पांच लाख में बन जाने चाहिए थे, उन पर 25 लाख से लेकर 28 लाख तक खर्च किए गए जिसकी जांच की मांग हमने हमारे सहयोगी प्रवेश वर्मा एवं अन्य ने की थी. दिल्ली सरकार के मंत्री मनीष सिसोदिया ने हमारे ऊपर मानहानि का दावा कर दिया था जिसका सामना हमने किया लेकिन पूरे मामले की शिकायत हम ने लोकायुक्त से की और आज हमें खुशी है कि तथ्यों के आधार पर और बहस के दौरान प्रस्तुत साक्ष्य देखने के बाद माननीय लोकायुक्त ने दिल्ली के मुख्य सचिव को पूरे मामले की जांच कर अगली सुनवाई तारीख पर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है.
कोर्ट ने विभागीय हलफनामा भी पेश करने की जरूरत पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि हमने प्रयास किया था की जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा जो घोटाले के जरिए लूटा गया उसके दोषियों को सजा मिले और बड़ी हद तक हमें इस प्रयास में सफलता मिलती नजर आ रही है. दो वर्ष तक लोकायुक्त ना होने की वजह से पूरे मामले की कार्यवाही में विलंब हुआ वरना अब तक दोषी अपने अंजाम तक पहुंचे होते.
सुनवाई के दौरान मौजूद रहे सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने कहा कि मनीष सिसोदिया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार ने करोड़ों के घोटाले किए हैं. पूरे मामले की गंभीरता को समझते हुए लोकायुक्त ने संज्ञान लिया. जिस काम के लिए ₹500000 खर्च होने चाहिए थे 2800000 रुपए की पेमेंट की गई और फिर उसी को आधार बनाकर बिना टेंडर किए स्कूलों के कमरों का ठेका उसी कंपनी को दिया गया जो कमरे बनाए गए.
उनकी फायर फाइटिंग की एनओसी नहीं है. निगम से बिल्डिंग प्रमाण पत्र नहीं लिया गया है. उन्होंने कहा कि बिना टेंडर प्रक्रिया के मौखिक आदेश देकर मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल ने सोची समझी साजिश के तहत भ्रष्टाचार किया है.
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