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8 मास्क और 400 एमएल सैनिटाइजर के भरोसे डेढ़ महीने, शिक्षक हो रहे परेशान - lockdown 4.0

दिलशाद कॉलोनी इलाके में नगर निगम के एक स्कूल में राशन वितरण सेंटर चला रहे प्रिंसिपल बताते हैं कि जब सेंटर शुरू हुआ था तब उन्हें सरकार की तरफ से 400 एमएल सैनिटाइजर की एक बोतल और 8 डिस्पोजेबल मास्क मिले थे.

teachers distributing ration in schools
शिक्षक हो रहे परेशान
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Published : May 21, 2020, 8:40 PM IST

नई दिल्ली: लॉकडॉउन की वजह से बेरोजगार हुए लोगों को राशन उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली सरकार ने शिक्षकों को तो काम पर लगा दिया, लेकिन उनकी स्वास्थ्य सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया. इसकी वजह से शिक्षकों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ गया है.

8 मास्क और 400 एमएल सैनिटाइजर के भरोसे डेढ़ महीने

दिलशाद कॉलोनी इलाके में नगर निगम के एक स्कूल में राशन वितरण सेंटर चला रहे प्रिंसिपल बताते हैं कि जब सेंटर शुरू हुआ था तब उन्हें सरकार की तरफ से 400 एमएल सैनिटाइजर की एक बोतल और 8 डिस्पोजेबल मास्क मिले थे.

मास्क तो पहले ही दिन खत्म हो गए और सैनिटाइजर पहले सप्ताह में. उसके बाद जब भी फूड इंस्पेक्टर को इस संबंध में कहा जाता है तो उनका जवाब होता है कि जल्द भिजवा दिया जाएगा, लेकिन वो जल्द डेढ़ महीने बाद भी नहीं आया.

रोजाना सैकड़ों लोगों से होता है संपर्क

प्रिंसिपल की मानें तो रोजाना उनके स्कूल में सैकड़ों लोग राशन लेने आते हैं. इनमें से किसी का भी पता नहीं होता कि कौन संक्रमित है या संक्रमित से मिल कर आ रहा है. ऐसे में शिक्षक अपने पैसे से ही मास्क और सैनिटाइजर का इंतजाम करने को मजबूर हैं.

नई दिल्ली: लॉकडॉउन की वजह से बेरोजगार हुए लोगों को राशन उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली सरकार ने शिक्षकों को तो काम पर लगा दिया, लेकिन उनकी स्वास्थ्य सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया. इसकी वजह से शिक्षकों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ गया है.

8 मास्क और 400 एमएल सैनिटाइजर के भरोसे डेढ़ महीने

दिलशाद कॉलोनी इलाके में नगर निगम के एक स्कूल में राशन वितरण सेंटर चला रहे प्रिंसिपल बताते हैं कि जब सेंटर शुरू हुआ था तब उन्हें सरकार की तरफ से 400 एमएल सैनिटाइजर की एक बोतल और 8 डिस्पोजेबल मास्क मिले थे.

मास्क तो पहले ही दिन खत्म हो गए और सैनिटाइजर पहले सप्ताह में. उसके बाद जब भी फूड इंस्पेक्टर को इस संबंध में कहा जाता है तो उनका जवाब होता है कि जल्द भिजवा दिया जाएगा, लेकिन वो जल्द डेढ़ महीने बाद भी नहीं आया.

रोजाना सैकड़ों लोगों से होता है संपर्क

प्रिंसिपल की मानें तो रोजाना उनके स्कूल में सैकड़ों लोग राशन लेने आते हैं. इनमें से किसी का भी पता नहीं होता कि कौन संक्रमित है या संक्रमित से मिल कर आ रहा है. ऐसे में शिक्षक अपने पैसे से ही मास्क और सैनिटाइजर का इंतजाम करने को मजबूर हैं.

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