ETV Bharat / city

दिल्ली हिंसा: कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोपी खालिद सैफी को एक मामले में दी जमानत - खालिद सैफी जमानत दिल्ली हिंसा

कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा में आरोपी खालिद सैफी को एक मामले में जमानत दे दी है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है. ऐसे में आरोपी को लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता है. साथ ही कोर्ट ने खालिद सैफी को गवाहों को प्रभावित करने या साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करने का आदेश दिया.

Karkardooma court granted bail to accused Khalid Saifi in a case of Delhi violence
कड़कड़डूमा कोर्ट खालिद सैफी जमानत खालिद सैफी जमानत खालिद सैफी जमानत दिल्ली हिंसा खालिद सैफी दिल्ली हिंसा
author img

By

Published : Nov 4, 2020, 9:30 PM IST

नई दिल्ली: कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में जेल में बंद कार्यकर्ता खालिद सैफी को एक मामले में जमानत दे दी है. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि आरोपी के खिलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चले की वह घटनास्थल पर मौजूद था. जज ने आगे कहा कि न ही आरोपी को किसी CCTV या वायरल वीडियो फुटेज में कहीं देखा गया है.




'आरोपी को लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता'

कोर्ट ने खालिद सैफी को बीस हजार रुपये के मुचलके पर जमानत देने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है. ऐसे में आरोपी को लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता है. कोर्ट ने खालिद सैफी को गवाहों को प्रभावित करने या साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करने का आदेश दिया. कोर्ट ने खालिद सैफी को इलाके में शांति और सौहार्द के साथ रहने का आदेश दिया. कोर्ट ने आरोपी को सुनवाई की हर तारीख पर कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया.


'गवाह का बयान अविश्वसनीय'

कोर्ट ने कहा कि इस मामले के गवाह राहुल कसाना की गवाही 27 सितंबर को हुई है जो अपने आप में उसे अविश्वसनीय बनाने के लिए काफी है. राहुल कसाना ने अपने बयान में कहा कि वह शाहीन बाग के एक बिल्डिंग के बाहर खड़ा था, जहां उसने मुख्य आरोपी ताहिर हुसैन को ड्रॉप किया था. कसाना ने उसी बिल्डिंग में उमर खालिद को जाते हुए देखा. ऐसे सबूतों के आधार पर चार्जशीट दाखिल करना दिल्ली पुलिस की प्रतिशोधी कार्रवाई को प्रदर्शित करता है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस की दलील सही नहीं है कि आरोपी सैफी दूसरे सह-आरोपियों के साथ साजिश में शामिल था. कोर्ट ने कहा कि महज 8 जनवरी को एक बैठक में शामिल होने भर से साजिश का पता नहीं चलता है.


'खालिद को झूठे तरीके से फंसाया गया'

सुनवाई के दौरान खालिद सैफी की ओर से वकील रेबेका जॉन ने कहा कि आरोपी एक प्रतिष्ठित परिवार से आता है. वह एक बिजनेसमैन और एक सामाजिक कार्यकर्ता भी है. उन्होंने कहा कि खालिद सैफी को झूठे तरीके से फंसाया गया है. उसे सबसे पहले 26 फरवरी को जगतपुरी थाने में दर्ज एक एफआईआर के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद उसे 21 मार्च को स्पेशल सेल की ओर से दर्ज एफआईआर नंबर 59 के तहत औपचारिक तौर पर गिरफ्तार किया गया था.

रेबेका जॉन ने कहा कि आरोपी घटनास्थल पर मौजूद नहीं था. उसे ताहिर हुसैन के बयान के आधार पर गिरफ्तार किया गया था. खालिद सैफी के पास से कुछ भी बरामद नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि खालिद सैफी के खिलाफ केवल एक आरोप था कि वह सह-आरोपियों ताहिर हुसैन, उमर खालिद, मीरान हैदर, आसिफ तान्हा, दानिश और इशरत जहां के संपर्क में था. अगर खालिद सैफी का कॉल डिटेल रिकॉर्ड ये बताता है कि 8 जनवरी को ताहिर हुसैन और उमर खालिद के साथ संपर्क में था तो भी ये साबित नहीं होता कि उनके बीच कोई बैठक हुई थी. इसका केवल यही मतलब है कि ये लोग शाहीन बाग इलाके में थे.



'दंगों के पीछे गहरी साजिश'

दिल्ली पुलिस की ओर से खालिद सैफी की जमानत याचिका का विरोध करते हुए वकील मनोज चौधरी ने कहा कि ये मामला काफी संवेदनशील है, जिसमें ताहिर हुसैन के घर के आसपास दंगे हुए थे. इसकी जांच में ये पता चला कि दिल्ली के दंगों के पीछे गहरी साजिश रची गई थी. इसके कई साजिशकर्ताओं की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया गया है. नागरिकता संशोधन कानून का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध के नाम पर सांप्रदायिक दंगे की साजिश रची गई.

इस मामले में आरोपी को स्वतंत्र गवाह राहुल कसाना के बयान के बाद गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने 27 सितंबर के राहुल कसाना के बयान का जिक्र किया जो उसने पुलिस के समक्ष दिया था. राहुल कसाना ने बताया था कि उसने 8 जनवरी को खालिद सैफी को ताहिर हुसैन और उमर खालिद से मिलते हुए शाहीन बाग में देखा था. आरोपी का कॉल डिटेल रिकॉर्ड भी बताता है कि वह ताहिर हुसैन और उमर खालिद के लगातार संपर्क में था. उन्होंने कहा कि इस मामले में चार्जशीट भले ही दाखिल कर दी गई है, लेकिन अभी जांच जारी है.

नई दिल्ली: कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में जेल में बंद कार्यकर्ता खालिद सैफी को एक मामले में जमानत दे दी है. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि आरोपी के खिलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चले की वह घटनास्थल पर मौजूद था. जज ने आगे कहा कि न ही आरोपी को किसी CCTV या वायरल वीडियो फुटेज में कहीं देखा गया है.




'आरोपी को लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता'

कोर्ट ने खालिद सैफी को बीस हजार रुपये के मुचलके पर जमानत देने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है. ऐसे में आरोपी को लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता है. कोर्ट ने खालिद सैफी को गवाहों को प्रभावित करने या साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करने का आदेश दिया. कोर्ट ने खालिद सैफी को इलाके में शांति और सौहार्द के साथ रहने का आदेश दिया. कोर्ट ने आरोपी को सुनवाई की हर तारीख पर कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया.


'गवाह का बयान अविश्वसनीय'

कोर्ट ने कहा कि इस मामले के गवाह राहुल कसाना की गवाही 27 सितंबर को हुई है जो अपने आप में उसे अविश्वसनीय बनाने के लिए काफी है. राहुल कसाना ने अपने बयान में कहा कि वह शाहीन बाग के एक बिल्डिंग के बाहर खड़ा था, जहां उसने मुख्य आरोपी ताहिर हुसैन को ड्रॉप किया था. कसाना ने उसी बिल्डिंग में उमर खालिद को जाते हुए देखा. ऐसे सबूतों के आधार पर चार्जशीट दाखिल करना दिल्ली पुलिस की प्रतिशोधी कार्रवाई को प्रदर्शित करता है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस की दलील सही नहीं है कि आरोपी सैफी दूसरे सह-आरोपियों के साथ साजिश में शामिल था. कोर्ट ने कहा कि महज 8 जनवरी को एक बैठक में शामिल होने भर से साजिश का पता नहीं चलता है.


'खालिद को झूठे तरीके से फंसाया गया'

सुनवाई के दौरान खालिद सैफी की ओर से वकील रेबेका जॉन ने कहा कि आरोपी एक प्रतिष्ठित परिवार से आता है. वह एक बिजनेसमैन और एक सामाजिक कार्यकर्ता भी है. उन्होंने कहा कि खालिद सैफी को झूठे तरीके से फंसाया गया है. उसे सबसे पहले 26 फरवरी को जगतपुरी थाने में दर्ज एक एफआईआर के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद उसे 21 मार्च को स्पेशल सेल की ओर से दर्ज एफआईआर नंबर 59 के तहत औपचारिक तौर पर गिरफ्तार किया गया था.

रेबेका जॉन ने कहा कि आरोपी घटनास्थल पर मौजूद नहीं था. उसे ताहिर हुसैन के बयान के आधार पर गिरफ्तार किया गया था. खालिद सैफी के पास से कुछ भी बरामद नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि खालिद सैफी के खिलाफ केवल एक आरोप था कि वह सह-आरोपियों ताहिर हुसैन, उमर खालिद, मीरान हैदर, आसिफ तान्हा, दानिश और इशरत जहां के संपर्क में था. अगर खालिद सैफी का कॉल डिटेल रिकॉर्ड ये बताता है कि 8 जनवरी को ताहिर हुसैन और उमर खालिद के साथ संपर्क में था तो भी ये साबित नहीं होता कि उनके बीच कोई बैठक हुई थी. इसका केवल यही मतलब है कि ये लोग शाहीन बाग इलाके में थे.



'दंगों के पीछे गहरी साजिश'

दिल्ली पुलिस की ओर से खालिद सैफी की जमानत याचिका का विरोध करते हुए वकील मनोज चौधरी ने कहा कि ये मामला काफी संवेदनशील है, जिसमें ताहिर हुसैन के घर के आसपास दंगे हुए थे. इसकी जांच में ये पता चला कि दिल्ली के दंगों के पीछे गहरी साजिश रची गई थी. इसके कई साजिशकर्ताओं की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया गया है. नागरिकता संशोधन कानून का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध के नाम पर सांप्रदायिक दंगे की साजिश रची गई.

इस मामले में आरोपी को स्वतंत्र गवाह राहुल कसाना के बयान के बाद गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने 27 सितंबर के राहुल कसाना के बयान का जिक्र किया जो उसने पुलिस के समक्ष दिया था. राहुल कसाना ने बताया था कि उसने 8 जनवरी को खालिद सैफी को ताहिर हुसैन और उमर खालिद से मिलते हुए शाहीन बाग में देखा था. आरोपी का कॉल डिटेल रिकॉर्ड भी बताता है कि वह ताहिर हुसैन और उमर खालिद के लगातार संपर्क में था. उन्होंने कहा कि इस मामले में चार्जशीट भले ही दाखिल कर दी गई है, लेकिन अभी जांच जारी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.