नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित सेवा सप्ताह कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने वृक्षारोपण के उपरांत लाभार्थियों को पल्स ऑक्सीमीटर, दिव्यांगों को ट्राई साइकिल, बधिर जनों को कानों की मशीन, आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत जरूरतमंदों को रोजगार बढ़ाने के लिए फल और सब्जियों के साथ रेहड़ी-ठेला एवं अन्य उपकरण वितरित किया.
इस अवसर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व दिल्ली प्रभारी श्याम जाजू, राष्ट्रीय मंत्री सुनील देवधर, दिल्ली भाजपा पूर्व अध्यक्ष व विधायक विजेंद्र गुप्ता, प्रदेश संगठन महामंत्री सिद्धार्थन समेत कई पदाधिकारी मौजूद थे.
कार्यक्रम को जेपी नड्डा ने किया संबोधित
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि हम सब लोग एक ऐसे समय में काम कर रहे थे, जब पाने को कुछ नहीं था खोने को तो सब कुछ था. हम अगर छोटा सा मोहल्ले का चुनाव जीत जाते थे तो महीने भर धन्यवाद देकर हर्ष मनाते थे, क्योंकि हमारी विचारधारा प्रबल थी. लेकिन समर्थन उस समय जितना चाहिए था उतना नहीं था. समय के साथ भारतीय जनता पार्टी का कारवां बढ़ता चला गया, कभी सोचा नहीं था कि हमारे पार्टी से कोई भी प्रधानमंत्री बनेंगे. पहले हम नारा लगाते थे 'अगली बारी अटल बिहारी' हमने नारा बदला 'अबकी बारी अटल बिहारी'.
1996 में स्वर्गीय अटल बिहारी जी के शपथ समारोह का वक्तव्य साझा करते हुए उन्होंने कहा कि पहली बार भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा के प्रधानमंत्री बने और उसके बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने. मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सिर्फ प्रधानमंत्री ही नहीं बदला, बल्कि देश की राजनीति की संस्कृति बदल गई. संस्कृति छोटे-छोटे शब्द और छोटे-छोटे काम से बदली. मोदी ने कहा कि मैं प्रधान सेवक हूं, ये सेवक शब्द हमारी संस्कृति में डाला और यह बताया कि हम यहां राज करने नहीं आए हैं, लोगों की सेवा करने आए हैं, लोगों की तकदीर बदलने आए हैं, देश को आगे ले जाने आए हैं.
'अमेरिका तक गूंजा नारा'
जेपी नड्डा ने कहा कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले देश की तस्वीर कुछ और थी, हर छोटा देश हमारे देश को हेय दृष्टि से देखता था, अखंड भ्रष्टाचार में डूबा हुआ देश था, दुनिया में हमारे देश की कोई पहचान नहीं थी, कोई भारत में निवेश करने के लिए तैयार नहीं था, विकास नहीं हो रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विश्व भर में भारत की छवि बदली और दुनिया में मोदी सिर्फ भारत के प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित नहीं हुए बल्कि विश्व नेता के रूप में स्थापित हुए. अंग्रेजों जिसने सदियों तक हमारे देश पर राज किया वह कहे कि वो दिन दूर नहीं जब ब्रिटेन का प्रधानमंत्री भी भारतीय मूल का होगा, अगर डोनाल्ड ट्रंप चुनाव में मोदी जी का नारा सबका साथ-सबका विकास का उपयोग करें, तो हमें यह समझ लेना चाहिए कि भारत इस स्थिति में आया है अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में भी लाखों भारतीय अपना योगदान देते हैं. यही देश की ताकत है.
'गांव-गांव तक पहुंची बिजली'
जेपी नड्डा ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे पीएम मोदी साथ कैबिनेट में काम करने का मौका मिला. 70 सालों में जिन 18000 गांव में बिजली नहीं पहुंची थी, वहां बिजली पहुंचाने के लिए भी मोदी जी ने प्रण लिया. हर बैठक में मोदी पूछा करते थे कि कितने गांव तक बिजली पहुंचाने का काम हुआ और आज उन सभी गांव में बिजली है. बिजली आने का मतलब होता है जीवन में परिवर्तन आना. बिजली आने से गांव में जो विकास हुआ है उसका साक्षी मैं खुद हूं. गांव में जो बिजली लगाना होता था तो जूनियर इंजीनियर बड़े धौंस के साथ ग्रामीण से बोलते थे कि तार है तुम्हारे पास, मतलब की तार देने का काम भी उस ग्रामीण का होता था जिससे अपने घर तक बिजली ले जाना था, बिजली के खंभे भी ग्रामीण ही उठाकर ले जाते थे और बिजली लग जाने पर ऐसे जताते थे कि जैसे उन्होंने ग्रामीण पर बहुत बड़ा उपकार किया है.
आज मोदी के आने के बाद उज्जवला योजना के तहत 8 करोड़ गैस कनेक्शन मुफ्त दिए गए. गैस सिलेंडर सिर्फ समय पर भोजन तैयार करने के लिए नहीं है, बल्कि इसने गांव में रहने वाली महिलाओं की तस्वीर बदली.
'स्वास्थ्य सेवा को सुदृढ़ किया'
जेपी नड्डा ने स्वास्थ्य पर चर्चा करते हुए कहा कि स्वास्थ्य को पहले मजबूरी के दृष्टि से देखा जाता था कि किसी तरह से यह काम पूरा करो. आज मोदी के नेतृत्व में एम्स की संख्या 6 से बढ़कर 28 हुई है. लगभग 70 नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं, मेडिकल की सीट्स दुगनी हुई है. आज मेडिकल को आगे बढ़ाया गया है और नेशनल एलिजिबिलिटी एंटरेंस टेस्ट करवाने से गांव के बच्चे भी आगे आ रहे हैं, क्षेत्रीय भाषा में परीक्षाएं हो रही है इसलिए सब अंग्रेजी से पढ़े हुए बच्चे ही डॉक्टर नहीं बन रहे हैं बल्कि गांव के पढ़े हुए लोग भी डॉक्टर बन रहे हैं. आयुष्मान भारत योजना दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ कवरेज योजना है.
कोरोना काल का ज़िक्र
वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में पाश्चात्य देश जिनके स्वास्थ्य की व्यवस्थाएं भारत से कई ज्यादा सुदृढ़ है, वह भी लड़खड़ा गई थी लेकिन मोदी ने देश में समय पर लॉकडाउन लगाने का कड़ा निर्णय लेकर 130 करोड़ देशवासियों को बचाया है. उस समय में 3 दिन में देश में केस दोगुने हो रहे थे और उसमें 40 दिन का अंतराल है. उस समय हमारे पास सिर्फ एक लैब था और 10 सैंपल कलेक्शन सेंटर, आज 1700 से ज्यादा टेस्टिंग लैब हैं, प्रतिदिन 15 लाख से ज्यादा टेस्टिंग हो रहे हैं. पहले देश में पीपीई कित नहीं बनते, आज लगभग 4.5 लाख पीपीई किट और 3 लाख वेंटीलेटर भारत में प्रतिदिन बना रहा है. जब मोदी ने सब की जान बचा ली फिर आत्मनिर्भर पैकेज के साथ ही गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा की.
राजनीति करना, चुनाव लड़ना राजनीतिक दल का काम है. लेकिन मोदी जी ने देश की संस्कृति बदलने के साथ ही पार्टी की संस्कृति भी बदली है, इसलिए हम राजनीति के साथ-साथ सेवा कार्य भी कर रहे हैं.