नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ पूर्व मंत्री एम जे अकबर की ओर से दायर किए गए मानहानि के मामले पर प्रिया रमानी के वकील रेबेका जॉन की दलीलें सुनीं. प्रिया रमानी की ओर से कहा गया कि एमजे अकबर ने उन्हें जानबूझकर टारगेट किया. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा इस मामले पर अगली सुनवाई 19 सितंबर को करेंगे.
प्रिया रमानी को टारगेट करने का आरोप
रेबेका जॉन ने कहा कि एमजे अकबर के खिलाफ कई लोगों ने ट्वीट किया, लेकिन आज तक केवल प्रिया रमानी को छोड़कर किसी दूसरे के खिलाफ केस दायर नहीं किया गया. प्रिया रमानी को ही जानबूझकर टारगेट किया गया. उन्होंने कोर्ट के समक्ष गवाहों वीनू संदल, तपन चाकी, जोयिता बासु और सुनील गुजराल के क्रास-एग्जामिनेशन को पढ़ा.
उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के व्याख्या 4 के तहत ये प्रमाणित करना जरुरी है कि जिन प्रकाशनों का दृष्टांत दिया गया है, वे दूसरों की नजर में छवि खराब करते हों. उन्होंने कहा कि अधिकांश गवाहों ने कहा कि प्रिया रमानी के ट्वीट की वजह से एमजे अकबर की छवि खराब हुई, लेकिन उसे दूसरों के ट्वीट से नहीं जोड़ा गया. ऐसा कैसे हो सकता है कि गवाहों ने एमजे अकबर के खिलाफ केवल प्रिया रमानी के ट्वीट को पढ़ा और दूसरी महिलाओं के नहीं.
रेबेका जॉन ने कहा कि रमानी के खिलाफ गवाही देने वाले लोग एमजे अकबर के प्रति समर्पित हैं. केवल प्रिया रमानी के ट्वीट्स को उद्धृत करने का मतलब कि गवाह झूठ बोल रहे हैं. रेबेका जॉन ने सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों को उद्धृत किया. उन्होंने कहा कि कोर्ट को इस बात का संज्ञान लेना चाहिए कि 14 महिलाओं ने इसके बारे में ट्वीट किया था, जिसमें यौन प्रताड़ना का जिक्र है. उन्होंने गजाला वहाब के बयानों को उद्धृत करते हुए कहा कि मी टू मूवमेंट ने महिलाओं को लीगल फ्रेमवर्क से बाहर एक प्लेटफार्म दिया.
जनता के हित में सच बोला
पिछले 8 सितंबर को सुनवाई के दौरान रेबेका जॉन ने कहा कि अगर प्रिया रमानी चुप रहतीं तो ठीक नहीं होता. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर ने कोर्ट में केस दर्ज कर उन लोगों का मुंह बंद कराने की कोशिश की है, जिन्होंने उनके खिलाफ बोला था. उन्होंने कहा था कि प्रिया रमानी ने जनता के हित में सच बोला. प्रिया रमानी को इसलिए टारगेट किया जा रहा था, ताकि एमजे अकबर के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों से ध्यान हटाया जा सके.
रेबेका जॉन ने मुंबई के ओबेराय होटल की पूरी कहानी बताई. उन्होंने कहा कि प्रिया रमानी को इंटरव्यू में बुलाकर व्यक्तिगत सवाल पूछे गए और अल्कोहल मिले पेय पीने को कहा गया, जिसे रमानी ने इनकार कर दिया.
प्रिया रमानी के ट्वीट्स एक ईमानदार गलती
रेबका जॉन ने कहा था प्रिया रमानी ने एमजे अकबर का नाम वोग मैगजीन में छपे आलेख में नहीं लिया. प्रिया रमानी दूसरी महिलाओं के ट्वीट्स देखने के बाद बोलने को मजबूर हुई. उन्होंने कहा था कि यौन प्रताड़ना शारीरिक और शाब्दिक दोनों हो सकती है. शिकारी हमेशा शिकार से शक्तिशाली होता है. उन्होंने कहा था कि प्रिया रमानी के ट्वीट्स एक ईमानदार गलती है.
जनता के हित में अगर सही बात रखना मानहानि नहीं
पिछले 5 सितंबर को सुनवाई के दौरान रेबेका जॉन ने कहा था कि जनता के हित में अगर सही बात रखी जाए तो वो मानहानि का मामला नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा था कि प्रिया रमानी के ट्वीट और वोग मैगजीन में छपे आलेख सच्चाई को बयां कर रहे थे. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर की याचिका को खारिज करने की मांग की.
अक्टूबर 2018 में दायर किया था केस
एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था.
25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी. कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे. कोर्ट ने प्रिया रमानी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने की स्थाई छूट दी थी.
केस के संबंधित वकीलों के बारे में व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करने का निर्देश
11 दिसंबर 2019 को कोर्ट ने मीडिया से आग्रह किया था कि वे इस केस के संबंधित वकीलों के बारे में व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करें. दरअसल, 11 दिसंबर 2019 को जब इस मामले की सुनवाई शुरू हुई तो एमजे अकबर की वकील गीता लूथरा ने एक वेबसाइट में गजाला वहाब के बयानों के बारे में छपी खबरों के कुछ खास हिस्सों पर आपत्ति जताई थी.
लूथरा ने अपनी आपत्ति एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा के चैंबर में जाकर बताई. लूथरा की शिकायत सुनने के बाद जज विशाल पाहूजा कोर्ट में आए और पत्रकारों से अपील की कि वे वकीलों के बारे में निजी टिप्पणी नहीं करें.