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सामाजिक कार्यकर्ता सफूरा जरगर की जामिया कैंपस में एंट्री पर बैन

जामिया मिलिया इस्लामिया में सामाजिक कार्यकर्ता सफूरा जरगर के समर्थन में प्रदर्शन करने वाले छात्रों को संस्थान की ओर से कारण बताओ नोटिस भेजा गया है. साथ ही सफूरा के कैंपस में एंट्री को बैन कर दिया गया है

जामिया मिलिया इस्लामिया की पूर्व छात्रा सफूरा जरगर
जामिया मिलिया इस्लामिया की पूर्व छात्रा सफूरा जरगर
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Published : Sep 17, 2022, 5:51 PM IST

नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया की पूर्व छात्रा सफूरा जरगर पर संस्थान ने सख्त एक्शन लेते हुए उनके कैंपस में आने पर बैन लगा दिया है. संस्थान का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से ये नोटिस किया गया है कि वह कैंपस में बेवजह के मुद्दों पर प्रदर्शन करवाती हैं. इसके साथ ही जामिया मिलिया इस्लामिया में सामाजिक कार्यकर्ता सफूरा जरगर के समर्थन में प्रदर्शन करने वाले छात्रों को संस्थान की ओर से कारण बताओ नोटिस भेजा गया है. जामिया की और से जारी इस नोटिस में छात्रों से पूछा गया है की उनके खिलाफ सख्त एक्शन क्यों न लिया जाए. इस संबंध में जामिया की ओर से एक परिपत्र भी जारी किया गया है. 30 अगस्त से 6 सितंबर तक कॉलेज की सेंट्रल कैंटीन के पास सफूरा जरगर के समर्थन में प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन करने वाले छात्रों को मिले नोटिस का जवाब भी संस्थान को लिखित में देना होगा कि उन पर संस्थान एक्शन क्यों न लें.

बताते चलें कि जामिया विश्वविद्यालय ने शोध कार्य में 'असंतोषजनक प्रगति' के कारण सामाजिक कार्यकर्ता सफूरा जरगर का प्रवेश रद्द कर दिया था. इसके विरोध में जामिया कैंपस में जमकर नारेबाजी की गई. बीजेपी, आरएसएस के साथ ही जामिया के कुलपति के खिलाफ नारेबाजी की गई.

सफूरा जरगर शाहीन बाग धरना प्रदर्शन और 2020 के दंगों में चर्चा में आई थी. सफूरा जरगर को 2020 में सीएए और एनआरसी के विरोध में दिल्ली में हुए प्रदर्शन और दंगे के एक मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. फरवरी 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए हिंसा का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगा था.

ये भी पढ़ें : भावी आईएएस अरीबा नोमान ने कहा कि 20 घंटे पढ़ने से ज्यादा जरूरी है सही प्लानिंग

भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने जामिया में सफूरा जरगर के समर्थन में प्रोटेस्ट वाले वीडियो जारी जारी करते कहा कि जरगर के समर्थन में जो नारे लग रहे हैं वह भारत के खिलाफ लग रहे हैं. फिर से वही जहरीले नारे उसी प्रकार का माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है. जामिया विश्वविद्यालय है. मां सरस्वती का मंदिर है. वहां पर कुछ जिहादी लोग दंगों की प्लानिंग करें, दंगों की फंडिंग करें, दंगाइयों का समर्थन करें, यह दिल्ली के लोग अब बर्दाश्त नहीं करेंगे. दिल्ली को खून से रंगने वाले लोग जामिया जैसी यूनिवर्सिटी का इस्तेमाल करना चाहते हैं. दिल्ली दंगों की शुरुआत जामिया से ही हुई थी. मेरा कहना है कि मां सरस्वती के मंदिर में ऐसे जो भी जिहादी हैं, उनकी पहचान होनी चाहिए. दिल्ली को खून से रंगने वाले लोग अगर विश्वविद्यालयों का इस्तेमाल करेंगे तो उनको माफ नहीं किया जाएगा.

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नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया की पूर्व छात्रा सफूरा जरगर पर संस्थान ने सख्त एक्शन लेते हुए उनके कैंपस में आने पर बैन लगा दिया है. संस्थान का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से ये नोटिस किया गया है कि वह कैंपस में बेवजह के मुद्दों पर प्रदर्शन करवाती हैं. इसके साथ ही जामिया मिलिया इस्लामिया में सामाजिक कार्यकर्ता सफूरा जरगर के समर्थन में प्रदर्शन करने वाले छात्रों को संस्थान की ओर से कारण बताओ नोटिस भेजा गया है. जामिया की और से जारी इस नोटिस में छात्रों से पूछा गया है की उनके खिलाफ सख्त एक्शन क्यों न लिया जाए. इस संबंध में जामिया की ओर से एक परिपत्र भी जारी किया गया है. 30 अगस्त से 6 सितंबर तक कॉलेज की सेंट्रल कैंटीन के पास सफूरा जरगर के समर्थन में प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन करने वाले छात्रों को मिले नोटिस का जवाब भी संस्थान को लिखित में देना होगा कि उन पर संस्थान एक्शन क्यों न लें.

बताते चलें कि जामिया विश्वविद्यालय ने शोध कार्य में 'असंतोषजनक प्रगति' के कारण सामाजिक कार्यकर्ता सफूरा जरगर का प्रवेश रद्द कर दिया था. इसके विरोध में जामिया कैंपस में जमकर नारेबाजी की गई. बीजेपी, आरएसएस के साथ ही जामिया के कुलपति के खिलाफ नारेबाजी की गई.

सफूरा जरगर शाहीन बाग धरना प्रदर्शन और 2020 के दंगों में चर्चा में आई थी. सफूरा जरगर को 2020 में सीएए और एनआरसी के विरोध में दिल्ली में हुए प्रदर्शन और दंगे के एक मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. फरवरी 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए हिंसा का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगा था.

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भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने जामिया में सफूरा जरगर के समर्थन में प्रोटेस्ट वाले वीडियो जारी जारी करते कहा कि जरगर के समर्थन में जो नारे लग रहे हैं वह भारत के खिलाफ लग रहे हैं. फिर से वही जहरीले नारे उसी प्रकार का माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है. जामिया विश्वविद्यालय है. मां सरस्वती का मंदिर है. वहां पर कुछ जिहादी लोग दंगों की प्लानिंग करें, दंगों की फंडिंग करें, दंगाइयों का समर्थन करें, यह दिल्ली के लोग अब बर्दाश्त नहीं करेंगे. दिल्ली को खून से रंगने वाले लोग जामिया जैसी यूनिवर्सिटी का इस्तेमाल करना चाहते हैं. दिल्ली दंगों की शुरुआत जामिया से ही हुई थी. मेरा कहना है कि मां सरस्वती के मंदिर में ऐसे जो भी जिहादी हैं, उनकी पहचान होनी चाहिए. दिल्ली को खून से रंगने वाले लोग अगर विश्वविद्यालयों का इस्तेमाल करेंगे तो उनको माफ नहीं किया जाएगा.

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