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जामिया के पूर्व छात्र डॉ. शुभादीप चटर्जी को मिला शांति स्वरूप भटनागर अवॉर्ड - जामिया मिल्लिया इस्लामिया

जामिया के पूर्व छात्र डॉ. शुभादीप चटर्जी को जैविक विज्ञान की श्रेणी में वर्ष 2020 के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

Jamia alumnus received Shanti Swarup Bhatnagar Award
जामिया के पूर्व छात्र को मिला शांति स्वरूप भटनागर अवॉर्ड
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Published : Oct 1, 2020, 12:57 AM IST

नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पूर्व छात्र डॉ. शुभादीप चटर्जी को जैविक विज्ञान की श्रेणी में वर्ष 2020 के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. वहीं जामिया मिल्लिया इस्लामिया प्रशासन ने इस उपलब्धि के लिए उन्हें बधाई दी है.

बता दें कि डॉ. शुभादीप चटर्जी ने 1993 में जामिया के जीव विज्ञान विभाग में शामिल हुए और 1996 में उन्होंने विश्वविद्यालय से बीएससी बायोसाइंस कोर्स पूरा किया था. बता दें कि वह इन दिनों तेलंगाना के हैदराबाद में स्थित सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंट एंड डायग्नोस्टिक (सीडीएफडी) के प्लांट माइक्रोब इंटरेक्शन में बतौर वैज्ञानिक काम कर रहे हैं.

जामिया के पूर्व छात्र को मिला अवॉर्ड
इस शोध के लिए दिया गया सम्मान
चटर्जी को यह पुरस्कार एक रिवर्सेबल, नॉन जेनेटिक बैक्टीरियल सेल्स कि उस प्रक्रिया को पहचानने के लिए दिया गया है जिससे बैक्टीरिया कोशिकाएं अपने आबादी को नियमित करती हैं. इस प्रक्रिया को क्रोम सेंसिंग (क्यूएस) के रूप में जाना जाता है. इस खोज ने अपने प्रकाशन के बाद से ही विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के रूप में भूमिका निभाई है. इस बैक्टीरिया में क्यूएस के सैद्धांतिक मॉडलिंग के शोध में वैज्ञानिकों की रूचि और ज्यादा बड़ी है.बता दें डॉ. चटर्जी इनोवेटिव यंग बायोटेक्नोलॉजिस्ट अवार्ड 2009 और भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग से नेशनल बायोसाइंस अवॉर्ड फॉर करियर डेवलपमेंट जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं.

नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पूर्व छात्र डॉ. शुभादीप चटर्जी को जैविक विज्ञान की श्रेणी में वर्ष 2020 के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. वहीं जामिया मिल्लिया इस्लामिया प्रशासन ने इस उपलब्धि के लिए उन्हें बधाई दी है.

बता दें कि डॉ. शुभादीप चटर्जी ने 1993 में जामिया के जीव विज्ञान विभाग में शामिल हुए और 1996 में उन्होंने विश्वविद्यालय से बीएससी बायोसाइंस कोर्स पूरा किया था. बता दें कि वह इन दिनों तेलंगाना के हैदराबाद में स्थित सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंट एंड डायग्नोस्टिक (सीडीएफडी) के प्लांट माइक्रोब इंटरेक्शन में बतौर वैज्ञानिक काम कर रहे हैं.

जामिया के पूर्व छात्र को मिला अवॉर्ड
इस शोध के लिए दिया गया सम्मान
चटर्जी को यह पुरस्कार एक रिवर्सेबल, नॉन जेनेटिक बैक्टीरियल सेल्स कि उस प्रक्रिया को पहचानने के लिए दिया गया है जिससे बैक्टीरिया कोशिकाएं अपने आबादी को नियमित करती हैं. इस प्रक्रिया को क्रोम सेंसिंग (क्यूएस) के रूप में जाना जाता है. इस खोज ने अपने प्रकाशन के बाद से ही विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के रूप में भूमिका निभाई है. इस बैक्टीरिया में क्यूएस के सैद्धांतिक मॉडलिंग के शोध में वैज्ञानिकों की रूचि और ज्यादा बड़ी है.बता दें डॉ. चटर्जी इनोवेटिव यंग बायोटेक्नोलॉजिस्ट अवार्ड 2009 और भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग से नेशनल बायोसाइंस अवॉर्ड फॉर करियर डेवलपमेंट जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं.
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